पाकिस्तान के नॉर्थ वजीरिस्तान के मीर अली इलाके में शुक्रवार को आत्मघाती हमला हुआ है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस हमले में 7 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए हैं, जबकि 13 लोगों के घायल होने की खबर है। हालांकि, अधिकारियों ने दावा किया है कि हमले में उनका कोई भी सैनिक नहीं मारा गया है। पाकिस्तानी अधिकारियों के मुताबिक हमले के लिए जिम्मेदार 4 उग्रवादी मारे गए हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक एक उग्रवादी ने विस्फोटकों से भरी गाड़ी को आर्मी कैंप की दीवार से टकरा दिया। इसके अलावा तीन कैंप के अंदर घुसने की कोशिश कर रहे थे, जो जवाबी कार्रवाई में मारे गए। गृह मंत्री मोहसिन नकवी ने सुरक्षाबलों की तारीफ की पाकिस्तान के गृहमंत्री मोहसिन नकवी ने उग्रवादियों से निपटने के लिए सुरक्षाबलों की तारीफ की है। उन्होंने कहा- हमारे बहादुर जवानों को सलाम, जिन्होंने ख्वारिज (आतंकियों) की नापाक साजिश को नाकाम कर दिया। पूरी कौम को अपने वीर सैनिकों पर गर्व है। पिछले कुछ हफ्तों में उत्तरी वजीरिस्तान और अन्य क्षेत्रों में उग्रवादियों के हमले बढ़े हैं। इसके चलते सुरक्षा बलों की सतर्कता बढ़ा दी गई है। पाकिस्तान का कहना है कि अफगानिस्तान में मौजूद कुछ आतंकी समूह इन हमलों में शामिल हैं, जबकि अफगान सरकार इन आरोपों से इनकार करती रही है। इन हमलों के पीछे तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) को जिम्मेदार बताया जाता रहा है। पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा खतरा बना TTP 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से TTP ने पाकिस्तानी सुरक्षा बलों के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध छेड़ रखा है। TTP को पिछले बारह साल में पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ा आतंकवादी खतरा माना जा रहा है।पाकिस्तान का आरोप है कि TTP के लड़ाके सीमा पार अफगानिस्तान से ट्रेनिंग लेकर पाकिस्तान लौटते और हमला करते हैं। हालांकि तालिबान दावा करता है कि वह TTP का समर्थन नहीं करता।पाकिस्तान इंस्टीट्यूट फॉर पीस स्टडीज के अनुसार, देश में आतंकवादी हमले 2015 के बाद सबसे ज्यादा हो गए हैं, और TTP इसकी मुख्य वजह है। वैश्विक आतंकवाद सूचकांक के इन हमलों की वजह से ही पाकिस्तान आतंकवाद प्रभावित देशों की सूची में दूसरे नंबर पर पहुंच गया है। अमेरिकी हमले के जवाब में TTP का गठन 2001 में अमेरिका ने अफगानिस्तान पर हमला किया, तो कई लड़ाके पाकिस्तान के कबाइली इलाकों में छिप गए। पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर हमले का समर्थन किया। इससे नाराज होकर 2007 में बेतुल्लाह मेहसूद ने 13 विद्रोही गुटों को मिलाकर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) बनाया। TTP ने कबायली इलाकों में शरिया कानून लागू किया और पाकिस्तानी सुरक्षा बलों और अफगानिस्तान में विदेशी सैनिकों पर हमले किए। TTP ने यूनिवर्सिटीज, धार्मिक नेताओं और नागरिक ठिकानों को भी निशाना बनाया, और यहां तक कि पाकिस्तान के बड़े शहरों में भी हमले किए। पाकिस्तानी सेना और अमेरिकी ड्रोन हमलों के बावजूद, पाकिस्तानी तालिबान (TTP) को पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सका। 2018 में पाकिस्तान ने TTP पर जीत की घोषणा की थी, लेकिन बाद में यह गलत साबित हुआ। ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स में पाकिस्तान दूसरे नंबर पर ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स 2025 के मुताबिक, बुर्किना फासो के बाद पाकिस्तान दुनिया का दूसरा सबसे आतंक प्रभावित देश बन चुका है, जबकि 2024 में यह चौथे स्थान पर था। रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान सबसे ज्यादा आतंक प्रभावित इलाके हैं। देश भर की कुल आतंकी घटनाओं में से 90% इसी इलाके में हुईं। रिपोर्ट में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान को लगातार दूसरे साल पाकिस्तान का सबसे खतरनाक आतंकवादी संगठन बताया गया। 2024 में इस ग्रुप ने 482 हमले किए, जिसकी वजह से 558 मौतें हुई थीं, जो 2023 के मुकाबले 91% ज्यादा हैं।
पाकिस्तान के नॉर्थ वजीरिस्तान में आर्मी कैंप पर आत्मघाती हमला:7 पाकिस्तानी सैनिकों की मौत, 13 घायल; 4 उग्रवादी भी मारे गए


