भारत के श्रीहरि नटराज ने ऐतिहासिक सिल्वर मेडल जीता, 16 साल का सूखा किया खत्म

भारत के श्रीहरि नटराज ने ऐतिहासिक सिल्वर मेडल जीता, 16 साल का सूखा किया खत्म

11वीं एशियाई एक्वाटिक्स चैम्पियनशिप के पहले दिन रविवार को 200 मीटर फ्रीस्टाइल में भारतीय तैराक श्रीहरी नटराज ने सिल्वर मेडल जीता है। श्रीहरि ने एक मिनट 48.47 सेकंड का समय निकाला और वह चीन के 17 वर्ष के सू हेइबो के बाद दूसरे स्थान पर रहे। जबकि जापान के हिनाता एंदो को ब्रॉन्ज मेडल मिला। बता दें कि, नटराज ने दूसरी हीट में दूसरे स्थान पर रहकर फाइनल के लिए क्वालीफाई किया था। वहीं उन्होंने 16 साल का पदक का सूखा भी खत्म किया है। नटराज ने 1.48,47 का ठोक समय निकाला और पोडियम में स्थान पाने में केवल चीन के हाइबो जू से पीछे रहे। वहीं इसके बाद नटराज ने एक और नटराज ने एक इसके बाद नटराज ने एक और शानदार तैराकी की, जिसमें भारतीय ने पुरुषों की 50 मीटर बैकस्ट्रोक में 25.11 सेकंड का ठोस समय दर्ज किया और रात का अपना दूसरा रजत पदक हासिल किया। भारतीय तैराक चीन के गुकैलाई वांग से थोड़ा पीछे रहे, जिन्होंने 25.11 सेकंड के समय के साथ गोल्ड अपने नाम किया। भारत इस स्पर्धा में आखिरी बार 2009 में पोडियम पर पहुंचा था, जब वीरधवल खाड़े, संदीप सेजवाल, रेहान पोंचा और आरोन डिसूजा ने मिलकर सात मेडल जीते थे।   

11वीं एशियाई एक्वाटिक्स चैम्पियनशिप के पहले दिन रविवार को 200 मीटर फ्रीस्टाइल में भारतीय तैराक श्रीहरी नटराज ने सिल्वर मेडल जीता है। श्रीहरि ने एक मिनट 48.47 सेकंड का समय निकाला और वह चीन के 17 वर्ष के सू हेइबो के बाद दूसरे स्थान पर रहे। जबकि जापान के हिनाता एंदो को ब्रॉन्ज मेडल मिला। बता दें कि, नटराज ने दूसरी हीट में दूसरे स्थान पर रहकर फाइनल के लिए क्वालीफाई किया था। वहीं उन्होंने 16 साल का पदक का सूखा भी खत्म किया है। 

नटराज ने 1.48,47 का ठोक समय निकाला और पोडियम में स्थान पाने में केवल चीन के हाइबो जू से पीछे रहे। 

वहीं इसके बाद नटराज ने एक और नटराज ने एक इसके बाद नटराज ने एक और शानदार तैराकी की, जिसमें भारतीय ने पुरुषों की 50 मीटर बैकस्ट्रोक में 25.11 सेकंड का ठोस समय दर्ज किया और रात का अपना दूसरा रजत पदक हासिल किया। 

भारतीय तैराक चीन के गुकैलाई वांग से थोड़ा पीछे रहे, जिन्होंने 25.11 सेकंड के समय के साथ गोल्ड अपने नाम किया। 

भारत इस स्पर्धा में आखिरी बार 2009 में पोडियम पर पहुंचा था, जब वीरधवल खाड़े, संदीप सेजवाल, रेहान पोंचा और आरोन डिसूजा ने मिलकर सात मेडल जीते थे।  

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