भारतीय संगीत जगत की उभरती आवाज स्नेहा शंकर ने अपनी सादगी, शास्त्रीय सुरों और बेहतरीन गायकी से सबका दिल जीता है। महज 19 साल की उम्र में उन्होंने म्यूजिक के उस मुकाम को छुआ, जहां पहुंचना कई सिंगर्स का सपना होता है। भोपाल पहुंचीं स्नेहा ने दैनिक भास्कर से बातचीत में बताया कि रहमान जी के साथ काम करना उनके लिए कितना खास अनुभव रहा। स्नेहा ने कहा कि मैं खुद को बहुत ज्यादा खुशनसीब मानती हूं। रहमान सर इज अ ड्रीम फॉर एवरीवन। उनके साथ काम करना हर सिंगर का सपना होता है। मेरे लिए सबसे बड़ी बात ये थी कि उन्होंने मेरी सिंगिंग सुनी और पसंद की। उनके लिए गाना रिकॉर्ड करना मेरे लिए चेरी ऑन द केक जैसा था। मेरा डेब्यू गाना मणिरत्नम की फिल्म में रहा और दिलचस्प बात यह है कि मेरे पापा (रामशंकर जी) ने भी उनकी फिल्म ‘बॉम्बे’ में गाया था। ऐसा था पहला अनुभव
रहमान के साथ अपने पहले अनुभव को याद करते हुए स्नेहा ने बताया कि जब रहमान सर की टीम मुझसे संपर्क करने की कोशिश कर रही थी, तब मैं लंदन में थी। फ्लाइट में होने के कारण कोई कॉल नहीं ले पा रही थी। जब लैंड की तो पता चला कि सर के लिए मुझे एक गाना गाना है। मेरा दिल नहीं माना और मैंने होटल पहुंचकर रात 3-4 बजे डबिंग की। अगले दिन मेरा पहला एरीना शो था, लेकिन मैंने कहा कि ये मौका हाथ से नहीं जाने दूंगी। सर को वो रिकॉर्डिंग बहुत पसंद आई और बाद में मुंबई में दोबारा डब कर गाना रिलीज हुआ। मेरे लिए यह किसी सपने से कम नहीं था। टैलेंट नहीं हो तो नेपो किड टिकेगा नहीं
नेपोटिज्म पर सधे हुए अंदाज में जवाब देते हुए स्नेहा ने कहा कि नेपोटिज्म तब तक चलता है जब तक टैलेंट न हो। चाहे कोई ‘नेपो किड’ हो या नया कलाकार, अगर उसमें टैलेंट नहीं है, तो वो टिक नहीं पाएगा। इंडस्ट्री में टिके रहने के लिए असली ताकत आपकी कला है। ड्रामा भी रियलिटी से ही निकलता है
रियलिटी शोज को लेकर पूछे गए सवाल पर स्नेहा ने कहा कि जो कुछ भी दिखाया जाता है, उसका कुछ न कुछ सच होता है। लोग कहते हैं कि रियलिटी शो सिर्फ ड्रामा हैं, लेकिन ड्रामा भी रियलिटी से ही निकलता है। अगर कोई चीज दर्शकों को दिखाई जाती है तो उसका कोई आधार जरूर होता है। परिवार मेरे लिख आशीर्वाद
स्नेहा एक ऐसी संगीत परिवार से आती हैं, जिनकी जड़ें शास्त्रीय संगीत में गहरी हैं। उनके दादा-परदादा शंकर-शंभू जैसे दिग्गज संगीतकार रहे हैं। इस बारे में स्नेहा कहती हैं कि मैं इसे प्रेशर नहीं बल्कि आशीर्वाद मानती हूं। लोग कहते हैं कि रामशंकर जी की बेटी है तो गाना अच्छा ही होगा, ये अपेक्षा है, दबाव नहीं। मैं बस इस परंपरा को आगे बढ़ाने की एक छोटी-सी कोशिश कर रही हूं। एक वीडियो बदल सकता है जिंदगी
संगीत के बदलते दौर में सोशल मीडिया की भूमिका पर स्नेहा का मानना है कि यह प्लेटफॉर्म टैलेंट को पहचान दिलाने का बेहतरीन जरिया है। सोशल मीडिया बहुत अच्छा माध्यम है, बशर्ते आप इसे सही तरीके से इस्तेमाल करें। अगर आपके पास टैलेंट है, तो एक वीडियो भी आपकी जिंदगी बदल सकता है।’ गॉड फादर पर कहा- मेरी प्रेरणा मेरे पिता
संगीत में “गॉडफादर” के सवाल पर स्नेहा ने मुस्कुराते हुए कहा- ‘मेरे गुरु, मेरे गॉडफादर और मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा मेरे पिताजी रामशंकर जी हैं। मैं तीन साल की उम्र से उनसे संगीत की शिक्षा ले रही हूं।’ उन्होंने यह भी कहा कि श्रेया घोषाल उनकी प्रेरणा हैं। इंडियन आइडल के दौरान जब मैंने गाना गाया और श्रेया दी की आंखें नम हो गईं, वो मेरे जीवन का सबसे खूबसूरत पल था।


