राजस्थानी भाषा अर संस्कृति प्रचार मण्डल का आयोजन
अहमदाबाद. राजस्थानी भाषा अर संस्कृति प्रचार मण्डल की ओर से बसंत पंचमी और फागण ऋतु के अवसर पर स्नेह मिलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में सदस्यों ने बसंत, फागण ऋतु से संबंधित और राजस्थानी गीतों पर नृत्य पेश किए। सदस्यों ने देवी सरस्वती की पूजा और प्रार्थना की। इसके बाद चंचलराज मेहता, सुमेरमल लोढ़ा, गौतम भण्डारी, तारा चंद जैन, राधेश्याम गुप्ता ने मण्डल की गतिविधियों की सराहना की।
विशेष रूप से भारतीय काल गणना और विक्रम संवत् पर आधारित राजस्थानी भाषा में तैयार कैलेंडर के बारे में कहा कि यह कैलेंडर प्रसिद्ध हो रहा है। इसमें राजस्थानी संस्कृति की झलक मिलती है और रीति रिवाज व राजस्थानी त्योहारों की जानकारी भी मिलती है। उन्होंने मण्डल के सदस्यों की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया।
22 वर्षों से है इंतजार
मण्डल के अध्यक्ष डॉ सुरेंद्रसिंह पोखरना ने बताया कि 2003 में राजस्थान विधानसभा ने एक सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास कर केन्द्र सरकार से अनुरोध किया था कि राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं सूची में सम्मिलित किया जाए। 22 वर्षों के इंतजार के बाद भी राजस्थानी निवासियों को अपनी भाषा के लिए केन्द्र सरकार से मान्यता का इंतजार करना पड रहा है।
मण्डल की ओर से हर तीज त्यौहार अपने प्रवासी राजस्थानी परिवारों के साथ सामूहिक रूप से मनाने का प्रयास किया जाता है। साथ ही अपनी राजस्थानी संस्कृति की पालना और प्रचार भी किया जाता है। संयोजक चन्द्र शेखर माथुर ने 7 वर्षों से प्रकाशित किए जा रहे कैलेण्डरों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि राजस्थान सरकार की संस्था राजस्थान फाउण्डेशन ने भी इन कैलेण्डरों में रुचि दिखाई और यह संस्था कैलेण्डरों का वितरण कर रही है।
नई पीढ़ी को राजस्थानी भाषा से जोड़ने की जरूरत
डा. हरीश सेठ ने बताया कि 12वीं शताब्दी से लिखी जा रही राजस्थानी भाषा में 73 बोलियां, 2,50,000 शब्द, 69 शब्द कोष हैं। नई पीढ़ी को राजस्थानी भाषा से जोड़ने की जरूरत है। मण्डल के मंत्री प्रेम चन्द पटवा ने संचालन करते हुए गीतों से सदस्यों को मंत्रमुग्ध किया। डॉ. हरीश सेठ, सुमन मोदी, रेणु शर्मा, मीनाक्षी सेठ और हीना बापना ने बसंत और फागण के गीतों, खेल और नृत्य से सभी का मन मोह लिया।
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