संभल में श्रीकल्कि महोत्सव का कल से शुभारंभ:पहली बार जगद्गुरु रामभद्राचार्य श्रीकल्कि कथा करेंगे, दो हजार साधु-संत पहुंचेंगे

संभल में श्रीकल्कि महोत्सव का कल से शुभारंभ:पहली बार जगद्गुरु रामभद्राचार्य श्रीकल्कि कथा करेंगे, दो हजार साधु-संत पहुंचेंगे

संभल के ऐंचौड़ा कम्बोह गांव स्थित श्रीकल्कि धाम में सात दिवसीय श्रीकल्कि महोत्सव की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। महोत्सव का शुभारंभ सोमवार सुबह महायज्ञ में आहुति के साथ होगा। इस दौरान पूरे परिसर में हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा की जाएगी। श्रीकल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने बताया कि यह विश्व में पहली बार होगा जब भगवान कल्कि की कथा का वाचन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार राम कथा, कृष्ण कथा और श्रीमद्भागवत कथा सदियों से सुनाई जाती रही हैं, उसी परंपरा में अब कल्कि कथा का आरंभ हो रहा है। आचार्य कृष्णम के अनुसार, पुराणों में वर्णित है कि भगवान का अंतिम अवतार कल्कि के रूप में संभल की पवित्र धरती पर होगा। इसी पावन भूमि पर श्री कल्कि कथा का शुभारंभ किया जा रहा है। इस महोत्सव में देश के विभिन्न राज्यों जैसे राजस्थान, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र से हजारों साधु-संत कथा श्रवण के लिए संभल पहुंच रहे हैं। अधिकांश संत पूरे सात दिन तक महोत्सव में प्रवास करेंगे। महोत्सव में देश के कई प्रमुख संत शामिल होंगे। इनमें जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज, विश्व जागृति मंच के अध्यक्ष सुधांशु महाराज, अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रवींद्र पुरी जी महाराज और बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री प्रमुख हैं। इनके आगमन की पुष्टि की गई है। आचार्य प्रमोद कृष्णम ने इस आयोजन को अद्वितीय और ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि श्री कल्कि धाम का निर्माण कार्य जारी है और इस बीच कल्कि कथा का आरंभ कलयुग में पापों के विनाश का मार्ग प्रशस्त करेगा। देशभर के कई राजनीतिक नेताओं को भी महोत्सव में शामिल होने के लिए निमंत्रण भेजा गया है। गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान कैबिनेट मंत्री दिगंबर कामत के आने की पुष्टि हुई है। इसके अतिरिक्त, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और दिल्ली के मंत्रियों व राज्यपालों सहित भारत के प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और रक्षा मंत्री को भी आमंत्रित किया गया है। आचार्य प्रमोद कृष्णम ने जोर देकर कहा कि यह विश्व की पहली कल्कि कथा है, जो कल्कि कथाओं के एक नए युग की शुरुआत करेगी। उनका मुख्य उद्घोष है: ‘श्री कल्कि का अवतार, कलयुग का उद्धार’।

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