अमरोहा के तिगरी गंगा मेले में मंगलवार देर शाम तक श्रद्धालुओं ने गंगा में दीपदान किया। इस दौरान गंगा का तट दीपों की रोशनी से जगमगा उठा, मानो तारे जमीन पर उतर आए हों। कार्तिक माह की चतुर्दशी के अवसर पर दिवंगत परिजनों की स्मृति में यह दीपदान किया गया। हिंदू धर्म में दीपदान का विशेष महत्व है और यह परंपरा महाभारत काल से चली आ रही है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महाभारत युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए सैनिकों और कौरवों की आत्मा की शांति के लिए पांडवों ने गढ़ गंगा में दीपदान किया था। भगवान श्रीकृष्ण ने भी पांडवों के साथ तिगरी व गढ़ में दीपदान किया था, जिसके बाद से यह प्रथा जारी है। हर वर्ष कार्तिक चतुर्दशी को तिगरी धाम में शाम होते ही श्रद्धालु दीपकों से सजी डलिया लेकर गंगा तट पर पहुंचते हैं। दीपदान करते समय कई श्रद्धालु अपने दिवंगत परिजनों को याद करते हुए भावुक दिखे। दीपदान के अवसर पर गंगा घाट पर दीपक, पूजन सामग्री, डलिया और टटिया की खूब बिक्री हुई। तिगरी गांव निवासी पंडित गंगा शरण शर्मा ने बताया कि दीपदान का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है, जिससे ईष्ट देव प्रसन्न होते हैं। देखिए 9 तस्वीरें…


