आजमगढ़ के अवंतिका पुरी में कार्तिक पूर्णिमा के दिन भक्तों का भारी मेला उमड़ता है। यही कारण है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन दूर से बड़ी संख्या में भक्त यहां पर स्नान करने के लिए आते हैं और पुण्य के भागीदार बनते हैं। अवंतिका पुरी का यह कुंड 84 बीघे में फैला हुआ है। राजा परीक्षित की यह पवन कुटिया है। अवंतिकापुरी का वर्णन महाभारत काल में भी अंकित है। पौराणिक रूप से इस स्थान की विशेष महत्व है। अवंतिका पुरी की तपोस्थली के बारे में कहा जाता है कि पहले यहां पर जंगल था यहां पर संदीपन ऋषि का आश्रम था। जहां श्री कृष्णा और सुदामा ने अध्ययन किया था। अवंतिका पुरी धाम के बारे में मान्यता है कि सर्पिया के बाद से आज तक यहां सर्पदान से किसी भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई मंदिर के आसपास जो भी सर्प दिखे वह केंचुए की तरह देखते हुए नजर आए जो किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। अवंतिका पुरी में हुआ था सर्प यज्ञ आजमगढ़ जिले में स्थित अवंतिका पुरी में राजा जन्मेजय ने 84 बीघे का कुंड बनवाया था। और यहां पर सर्प यज्ञ हुआ था जिसमें सारे कर खत्म हो गए थे सिर्फ एक ही सर्प बचा था। जो भगवान शिव के पास था। सर्प यज्ञ के बाद से यह पवन कुटिया तैयार हुई। तभी से यहां कार्तिक पूर्णिमा का मेला लगता है और दूर-दूर से बड़ी संख्या में भक्त आते हैं। दैनिक भास्कर से बातचीत करते हुए गांव के रहने वाले राजा राम प्रजापति ने बताया कि अवंतिका पुरी के धाम की बहुत महिमा है।। यही कारण है कि कार्तिक पूर्णिमा और श्री रामनवमी को यहां भक्तों का भारी मेला उमड़ता है। पुरातत्व विभाग ने की खुदाई राजाराम प्रजापति ने बताया कि 1980 और 1993 में यहां पर पुरातत्व विभाग ने खुदाई की उसे समय भी राजा परीक्षित के बहुत सारे सामान मिले जिन में सिक्का गणेश जी की मूर्ति बरामद हुए। जन्मेजय महाकुंभ के नाम से मशहूर है कुंड दैनिक भास्कर से बातचीत करते हुए दयाराम विश्वकर्मा ने बताया कि अवंतिका पुरी का यह महाकुंड जन्मेजय यज्ञ कुंड के नाम से मशहूर हैं। यहां पर गुप्तकालीन मंदिर था जो अब नष्ट हो गया। यहां कुंड की जो दीवाल हैं वह 50 इंच चौड़ी दीवार है।


