रोहतक में ASI संदीप लाठर सुसाइड केस में रोहतक सदर थाने में दर्ज FIR नंबर 305 10 दिन बाद सामने आई है। ये वही FIR है, जिसमें दिवंगत IPS वाई पूरन कुमार की IAS अफसर पत्नी अमनीत पी. कुमार और पंजाब के बठिंडा ग्रामीण से आम आदमी पार्टी के विधायक समेत 4 लोग नामजद हैं। सरकार ने सख्त हिदायत थी कि FIR सार्वजनिक न हो। यहां तक कि लाठर के परिजनों को भी FIR की कॉपी नहीं दी गई थी। FIR में कई चौकाने वाली जानकारियां हैं। इसमें 4 लोगों को नामजद किया गया। जिनमें रोहतक IG ऑफिस के सिक्योरिटी इंचार्ज सुनील, IPS वाई पूरन कुमार के गनमैन सुशील कुमार, IPS की पत्नी अमनीत पी. कुमार, MLA अमित रतन और एक अज्ञात का नाम लिखा है। FIR संदीप लाठर की पत्नी संतोष की शिकायत पर दर्ज हुई है। शिकायत में MLA की पत्नी का भी जिक्र है। इसमें लिखा है कि अनुसूचित आयोग में बैठे इनके रिश्तेदार (साले की पत्नी DIG है) जिम्मेदार हैं। हालांकि FIR के आरोपियों के नामों के कॉलम में सिर्फ 4 ही नामों का जिक्र है। पांचवें कॉलम में अन्य लिखा है। FIR में विधायक का नाम गलत लिखा
इस FIR के पहले पन्ने पर चौथे आरोपी के तौर पर अमन रतन MLA लिखा है। अंदर के पन्ने में अमन रतन को IPS वाई पूरन कुमार का साला लिखा है। हकीकत में उनका नाम अमन रतन नहीं बल्कि अमित रतन है, जो पंजाब के बठिंडा देहात सीट से आम आदमी पार्टी के विधायक हैं। विधायक की DIG पत्नी का जिक्र, नामजद नहीं
FIR के अंदर के पन्ने में अनुसूचित आयोग में बैठे रिश्तेदार का जिक्र है। शिकायत में संतोष ने लिखा है- गनमैन सुशील कुमार, IG ऑफिस के सुनील कुमार व अन्य इसके साथी लगातार IG पूरन कुमार, पत्नी अमनीत पी कुमार व अमन रतन MLA व अनुसूचित आयोग (साले की पत्नी DIG है) में बैठे उनके रिश्तेदारों की ऊंची पहुंच होने का हवाला देकर संदीप पर दबाव बनाकर धमकी दे रहे थे। नाम गलत है तो क्लेरिकल एरर माना जाएगा
एडवोकेट प्रदीप मलिक ने बताया कि FIR में अगर किसी का नाम गलत लिखा हुआ है तो उसे क्लेरिकल एरर माना जाएगा, जो बाद में ठीक कर दिया जाता है। दूसरा अगर FIR में किसी का जिक्र है और उसका नाम नहीं है, तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। जब जांच शुरू होती है तो सभी से पूछताछ होती है। इसमें अगर कोई दोषी मिलता है तो उसका नाम जोड़ दिया जाता है और अगर किसी के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिलता तो उसका नाम निकाल दिया जाता है। 10 दिन बाद भी FIR की कॉपी मजिस्ट्रेट के पास जमा नहीं
एडवोकेट प्रदीप मलिक ने कहा कि अगर FIR होने के बाद मजिस्ट्रेट के पास जमा नहीं करवाई जाती तो इसका असर शिकायतकर्ता के केस पर पड़ेगा। 10 दिन बाद भी पुलिस ने FIR की कॉपी मजिस्ट्रेट के पास जमा नहीं करवाई। कॉपी भले ही परिवार के पास हो या पुलिस के पास, जब तक मजिस्ट्रेट के पास जमा नहीं होती, तब तक कार्रवाई आगे नहीं बढ़ती और इसका असर केस पर पड़ता है। अब जानिए FIR की 5 अहम बातें…. अर्बन एस्टेट थाने में दर्ज भ्रष्टाचार के केस से शुरू हुआ मामला
शिकायतकर्ता संतोष ने बयान दिया कि उनके पति संदीप रोहतक साइबर सेल में ASI थे। कुछ समय पहले, अर्बन एस्टेट थाने में IG पूरन कुमार और उनके गनमैन के खिलाफ भ्रष्टाचार का केस दर्ज हुआ था। केस दर्ज होने से पहले और बाद में, दबाव बनाने और धमकाने का सिलसिला शुरू हो गया था। संदीप को ऊंची पहुंच का हवाला देकर मिल रही थी धमकी
संतोष ने आरोप लगाया कि IG वाई. पूरन कुमार, उनकी पत्नी अमनीत पी. कुमार, पूरन के साले अमन रतन (असली नाम अमित रतन), अपनी पत्नी और अनुसूचित आयोग में अपनी ऊंची पहुंच का हवाला देकर संदीप को लगातार धमकी दे रहे थे, क्योंकि संदीप गनमैन सुशील को पकड़ने वाली टीम में शामिल थे। इस केस में कई अन्य लोगों की गिरफ्तारी भी होनी थी। इसी के चलते पूरन कुमार ने आत्महत्या की। ईमानदार अधिकारियों व कर्मचारियों की गिरफ्तारी का बना रहे थे दबाव
FIR में संतोष ने आरोप लगाया कि अमनीत पी. कुमार और उनके भाई अमन रतन ने शव का पोस्टमॉर्टम न करवाकर लगातार सरकार पर पुलिस विभाग के ईमानदार अधिकारियों और कर्मचारियों की गिरफ्तारी का दबाव बनाया। ऐसा इसलिए किया जा रहा था क्योंकि IPS पूरन कुमार और उनकी पत्नी अमनीत पी. कुमार के साथ कुछ भ्रष्ट IAS व IPS की बड़े स्तर पर विजिलेंस जांच चल रही थी। संतोष ने आगे कहा कि सरकार की तरफ से भ्रष्टाचारियों के खिलाफ जल्द ही सख्त कार्रवाई होने वाली थी। इसी कार्रवाई से बचने के लिए कुछ भ्रष्ट अधिकारियों ने मिलकर सरकार पर नाजायज दबाव बनाने का प्रयास किया और उचित कार्रवाई करने वाले ईमानदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करवा रहे हैं। संदीप लाठर ने पत्नी से कई बातें की थी शेयर
FIR में संतोष के हवाले से यह भी जिक्र है कि वाई. पूरन कुमार की पत्नी दबाव डालकर परिवार में कोई बड़ा पद लेने की तैयारी कर रही थीं। इसी के चलते संदीप एक हफ्ते से संतोष से कह रहे थे कि पुलिस विभाग में ईमानदार कर्मचारियों व अधिकारियों का कोई महत्व नहीं है। संतोष ने संदीप को कई बार समझाया, लेकिन संदीप बार-बार यही कहते कि ईमानदार पुलिस अफसरों का नौकरी करने का कोई भविष्य नहीं है। संदीप को मरने के लिए किया मजबूर
FIR में संतोष ने आरोप लगाया कि अमनीत पी. कुमार और उनके भाई अमन रतन ने अपनी ऊंची पहुंच का हवाला देकर IG वाई. पूरन कुमार के कार्यालय में तैनात कर्मचारियों को काफी परेशान किया। साथ ही, संदीप को भी मरने के लिए मजबूर कर दिया। यह लड़ाई ईमानदार और भ्रष्ट अधिकारियों के बीच की है। ———————————— ये खबर भी पढ़ें :- हरियाणा IPS सुसाइड- बिजारणिया को नोटिस जारी होगा:शराब कारोबारी की FIR जांच के दायरे में; SIT 3 पॉइंट्स पर आगे बढ़ रही हरियाणा के IPS वाई पूरन कुमार सुसाइड केस में रोहतक के तत्कालीन SP नरेंद्र बिजारणिया को जांच में शामिल होने का नोटिस जारी होगा। पूरन कुमार के 8 पेज के सुसाइड नोट में बिजारणिया का नाम बोल्ड अक्षरों में लिखा था। इस सुसाइड केस में गठित चंडीगढ़ पुलिस की SIT 3 बिंदुओं पर जांच कर रही है। पढ़ें पूरी खबर…
रोहतक ASI संदीप लाठर केस की FIR सामने आई:IPS पूरन कुमार के विधायक साले की पत्नी का भी जिक्र, लिखा- अनुसूचित आयोग में बैठे रिश्तेदार जिम्मेदार


