कैमूर की मोहनिया विधानसभा सीट पर राजद ने निर्दलीय प्रत्याशी रवि पासवान को अपना समर्थन देने की घोषणा की है। यह फैसला राजद की अधिकृत प्रत्याशी श्वेता सुमन का नामांकन रद्द होने के बाद लिया गया। पार्टी ने सोशल मीडिया के माध्यम से इसकी औपचारिक घोषणा की, जिससे क्षेत्र में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। रवि पासवान पूर्व सांसद छेदी पासवान के बेटे हैं। छेदी पासवान का इस क्षेत्र में गहरा प्रभाव रहा है और उनके परिवार को दलित समाज में सम्मानित पहचान प्राप्त है। राजद का यह कदम छेदी पासवान की राजनीतिक विरासत को साधने और दलित वोट बैंक को मजबूत करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। राजद कार्यकर्ताओं ने इस निर्णय का स्वागत किया स्थानीय राजद कार्यकर्ताओं ने इस निर्णय का स्वागत किया है। उनका कहना है कि रवि पासवान युवा और जनता से जुड़े नेता हैं, जो विकास की राजनीति को आगे बढ़ा सकते हैं। दूसरी ओर, बीजेपी भी अपने परंपरागत वोट बैंक को बचाने और सीट पर कब्जा बरकरार रखने के लिए पूरी ताकत लगा रही है। मोहनिया में अब मुकाबला त्रिकोणीय राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राजद की इस रणनीति से दो उद्देश्य पूरे होंगे। पहला, दलित समुदाय के वोटों को अपने पक्ष में करना और दूसरा, नामांकन विवाद के बाद पार्टी में उपजी नाराजगी को शांत करना। यह निर्णय एनडीए, विशेष रूप से बीजेपी के लिए भी एक चुनौती बन गया है, क्योंकि मोहनिया में अब मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। कैमूर की मोहनिया विधानसभा सीट पर राजद ने निर्दलीय प्रत्याशी रवि पासवान को अपना समर्थन देने की घोषणा की है। यह फैसला राजद की अधिकृत प्रत्याशी श्वेता सुमन का नामांकन रद्द होने के बाद लिया गया। पार्टी ने सोशल मीडिया के माध्यम से इसकी औपचारिक घोषणा की, जिससे क्षेत्र में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। रवि पासवान पूर्व सांसद छेदी पासवान के बेटे हैं। छेदी पासवान का इस क्षेत्र में गहरा प्रभाव रहा है और उनके परिवार को दलित समाज में सम्मानित पहचान प्राप्त है। राजद का यह कदम छेदी पासवान की राजनीतिक विरासत को साधने और दलित वोट बैंक को मजबूत करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। राजद कार्यकर्ताओं ने इस निर्णय का स्वागत किया स्थानीय राजद कार्यकर्ताओं ने इस निर्णय का स्वागत किया है। उनका कहना है कि रवि पासवान युवा और जनता से जुड़े नेता हैं, जो विकास की राजनीति को आगे बढ़ा सकते हैं। दूसरी ओर, बीजेपी भी अपने परंपरागत वोट बैंक को बचाने और सीट पर कब्जा बरकरार रखने के लिए पूरी ताकत लगा रही है। मोहनिया में अब मुकाबला त्रिकोणीय राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राजद की इस रणनीति से दो उद्देश्य पूरे होंगे। पहला, दलित समुदाय के वोटों को अपने पक्ष में करना और दूसरा, नामांकन विवाद के बाद पार्टी में उपजी नाराजगी को शांत करना। यह निर्णय एनडीए, विशेष रूप से बीजेपी के लिए भी एक चुनौती बन गया है, क्योंकि मोहनिया में अब मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।


