देशभक्ति:मप्र हाई कोर्ट के जज ने लिखी चीफ जस्टिस को चिट्‌ठी

देशभक्ति:मप्र हाई कोर्ट के जज ने लिखी चीफ जस्टिस को चिट्‌ठी

भारतीय सेना के शौर्य और पराक्रम से प्रेरित होकर मप्र हाई कोर्ट की ग्वालियर पीठ में पदस्थ जस्टिस अनिल वर्मा ने देशसेवा के एक अनोखे जज्बे का परिचय दिया है। उन्होंने चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत को पत्र लिखकर निवेदन किया है कि उन्हें सेना या प्रशासनिक सेवा के लिए सीमा पर भेजा जाए। पत्र में लिखा- मैं पूरी तरह फिट, कोर्ट से हटाकर सेना में तैनात करें जस्टिस वर्मा ने अपने पत्र में लिखा है कि वे शारीरिक और मानसिक रूप से पूरी तरह फिट हैं और देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा रखते हैं। उन्होंने आग्रह किया कि उन्हें बेंच से हटाकर सीमा पर तैनात किया जाए। यह पहला मौका नहीं है जब उन्होंने ऐसी इच्छा जताई है; 1998 में कारगिल युद्ध के दौरान भी उन्होंने सेना की सेवा के लिए आवेदन भेजा था।
23 साल की उम्र ​में सिविल जज
न्यायमूर्ति वर्मा ने शिक्षण काल में 3 साल तक एनसीसी में सैन्य प्रशिक्षण लिया। 1986 में इलाहाबाद में आर्मी बैरक में ग्रुप टेस्टिंग ऑफिसर की परीक्षा और साक्षात्कार पास किया था। 23 वर्ष की आयु में सिविल जज और 2021 में हाई कोर्ट जज बने। उन्होंने भारत के इतिहास और स्वतंत्रता संग्राम पर दर्जनों पुस्तकें भी लिखी हैं। दादा भी स्वाधीनता आंदोलन से जुड़े
जस्टिस वर्मा के पूर्वज भी स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं। उनके बाबा स्व. मोतीलाल वर्मा ने स्वाधीनता आंदोलन में भाग लेकर सन 1931 के जंगल सत्याग्रह और सन 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में 6-6 माह जेल की सजा काटी। कांतिकारी चंद्रशेखर आजाद के साथ भी देश की आजादी के लिए काम किया था।

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