जैसलमेर जिले से करीब 35 किलोमीटर दूर झाबरा गांव में सोमवार रात उस समय अफरा-तफरी मच गई जब राणा फ़क़ीर दरगाह परिसर में एक तीन फीट लंबा कोबरा सांप दिखाई दिया। पिछले 7 से 8 दिनों से यह कोबरा गाँव के आसपास घूम रहा था, जिससे ग्रामीणों में भय का माहौल बना हुआ था। स्नेक कैचर साहिल ने रात 12 बजे मौके पर पहुंचकर सीढ़ी को तोड़कर पानी डालकर सांप को बाहर निकाला। करीब 15 मिनट की कड़ी मशक्कत के बाद सांप को काबू में कर सुरक्षित जंगल में छोड़ा। मदरसे की बच्चियों ने सांप के निकाले जाने के बाद राहत की सांस ली। मदरसे की सीढ़ी में घुसा सांप रात करीब 9 बजे यह सांप पास में बने मदरसे की सीढ़ियों के नीचे जा घुसा। खास बात यह है कि इस मदरसे में करीब 200 से 250 बालिकाएं शिक्षा प्राप्त करती हैं। बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए स्थानीय लोगों ने तत्काल ही स्नेक कैचर साहिल को सूचना दी। सूचना मिलते ही साहिल मौके पर पहुंचे और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। उन्होंने पहले क्षेत्र को सुरक्षित कराया और भीड़ को थोड़ी दूरी पर रहने को कहा। इसके बाद सीढ़ियों के नीचे छिपे कोबरा की लोकेशन का अंदाज़ा लगाकर रॉड और हुक की मदद से सावधानीपूर्वक पकड़ने की कोशिश की। करीब 10 से 15 मिनट के प्रयास के बाद कोबरा को सुरक्षित रूप से पकड़ा गया। सुरक्षित जंगल में छोड़ा स्नैक कैचर साहिल ने बताया कि “यह एक वयस्क कोबरा था जिसकी लंबाई करीब तीन फीट थी। ऐसे सांप आमतौर पर इंसानों पर तब तक हमला नहीं करते जब तक उन्हें खतरा महसूस न हो। सबसे जरूरी है कि लोग खुद से कुछ करने की कोशिश न करें, बल्कि प्रशिक्षित व्यक्ति को बुलाएं।” रेस्क्यू के बाद कोबरा को सुरक्षित रूप से नज़दीकी जंगल क्षेत्र में छोड़ा गया। पूरी प्रक्रिया के दौरान किसी व्यक्ति या साँप को कोई नुकसान नहीं हुआ। गांव के लोगों ने साहिल के इस काम की जमकर सराहना की। ग्रामीणों का कहना था कि पिछले कई दिनों से सांप को देख लोग डरे हुए थे, लेकिन साहिल ने बड़ी ही सूझबूझ और हिम्मत से काम करते हुए स्थिति को संभाल लिया। सांप से मदरसे की बच्चियों को था खतरा स्थानीय निवासियों ने कहा कि “मदरसे में सैकड़ों बच्चियां पढ़ती हैं, अगर सांप अंदर चला जाता तो बड़ी अनहोनी हो सकती थी। साहिल ने समय रहते आकर सबकी जान बचाई।” वन्यजीव प्रेमियों ने भी इस रेस्क्यू को सराहनीय बताया। उनका कहना है कि ऐसे मामलों में सांपों को नुकसान पहुंचाने के बजाय सुरक्षित तरीके से जंगल में छोड़ा जाना पर्यावरण संरक्षण के लिए बेहद जरूरी है। साहिल ने ग्रामीणों से अपील की है कि किसी भी जंगली या विषैले जीव के दिखाई देने पर तुरंत वन विभाग या प्रशिक्षित स्नेक कैचर को सूचना दें। इससे न केवल इंसानों की बल्कि वन्यजीवों की भी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।


