भारत (India) के पड़ोसी देश बांग्लादेश (Bangladesh) में पिछले कुछ समय से राजनीतिक अस्थिरता बढ़ती ही जा रही है। पिछले साल अगस्त में तख्तापलट होने की वजह से तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina) को पद और देश छोड़कर जाना पड़ा था। शेख हसीना के बाद मुहम्मद यूनुस (Muhammad Yunus) के नेतृत्व में बांग्लादेश में अंतरिम सरकार बनी, लेकिन अब उनकी मुश्किलें भी बढ़ती जा रही हैं। पिछले कुछ समय से बांग्लादेश में एक बार फिर तख्तापलट की अटकलें चल रही थीं, जिन पर सेना की तरफ से विराम लगा दिया गया था। हालांकि इसके बावजूद यूनुस की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। इसकी वजह है कुछ समय पहले उनका लिया हुआ एक विवादित फैसला।
क्या है यूनुस का विवादित फैसला?
यूनुस सरकार कुछ समय पहले ही एक अध्यादेश लाई थी, जिसके अनुसार बांग्लादेश में किसी भी सरकारी कर्मचारी को दुर्व्यवहार के आरोप में 14 दिनों के भीतर बिना किसी उचित प्रक्रिया के बर्खास्त किया जा सकता है। देशभर में सभी सरकारी कर्मचारी इसके खिलाफ हैं और इस अध्यादेश को अवैध और ‘काला कानून’ बता रहे हैं। कर्मचारियों की मांग है कि यूनुस सरकार जल्द से जल्द इस अध्यादेश को वापस ले। इस अध्यादेश के खिलाफ बांग्लादेश में सरकारी कर्मचारी विरोध कर रहे हैं।
ढाका में जुलुस-रैलियों पर लगाई रोक
सरकारी कर्मचारियों के विरोध को देखते हुए यूनुस सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। यूनुस सरकार ने राजधानी ढाका में किसी भी तरह के जुलुस और रैलियों पर रोक लगा दी है।

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सुरक्षा बढ़ाई
जानकारी के अनुसार सोमवार को ढाका पुलिस ने यूनुस के आधिकारिक निवास, बांग्लादेश सचिवालय और आसपास के क्षेत्रों को पूरी तरह से सील कर दिया है। पिछले कुछ हफ्तों से सचिवालय के बाहर चल रहे विरोध प्रदर्शनों के चलते सुरक्षा को पुख्ता करने के इरादे से यह फैसला लिया गया है।
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