केआरएच में भर्ती गर्भवती को खून की कमी के चलते जच्चा और बच्चे की जान खतरे में थी। महिला का ब्लड ग्रुप रेयर निकला। महिला को बॉम्बे ब्लड ग्रुप चाहिए था। महिला की जान बच सके इसके लिए ब्लड बैंक के डॉक्टरों ने दूसरे शहरों की ब्लड बैंक से संपर्क किया। मुंबई की ब्लड बैंक में इस ग्रुप का ब्लड मिला। इसके बाद पहली बार फ्लाइट से 2 यूनिट ब्लड मंगवाया। ब्लड बैंक के डॉक्टरों ने महिला को ब्लड चढ़ाया तब तक जाकर उसकी डिलीवरी हो सकी। अब जच्चा-बच्चा स्वस्थ हैं। डबरा निवासी कामता कुशवाह की 26 वर्षीय पत्नी पूजा को प्रसव पीढ़ा होने पर परिजन ने केआरएच में भर्ती कराया। ब्लड बैंक के डॉ.अमित निरंजन, डॉ.महेश यादव और डॉ.अनीता आर्य ने बताया कि महिला को बॉम्बे ब्लड ग्रुप का खून चढ़ाना पड़ेगा, जो अंचल में किसी भी ब्लड बैंक के पास नहीं मिला। महिला की जान बच सके इसलिए दूसरे शहरों की ब्लड बैंकों से संपर्क किया। यह ब्लड मुंबई की ब्लड बैंक में मिला। वहां के डॉक्टरों से संपर्क कर फ्लाइट से बॉम्बे ब्लड ग्रुप का 2 यूनिट ब्लड मंगवाया। यह पहला मौका है कि जब फ्लाइट से दूसरे शहर से ब्लड मंगवाना पड़ा हो। मुंबई से ब्लड आने के बाद महिला के ब्लड सैंपल का मिलान करने के बाद एक यूनिट ब्लड लगने के बाद उसका सीजेरियन किया जा सका। अब जच्चा और बच्चा पूरी तरह स्वस्थ हैं। 10 हजार लोगों में से एक का होता है ये ब्लड ग्रुप
बॉम्बे ब्लड ग्रुप बहुत ही दुर्लभ रक्त समूह है। मुंबई में यह 0.01 प्रतिशत तक पाया जाता है, जिसका मतलब है कि 10,000 में से 1 व्यक्ति में यह रक्त समूह हो सकता है। इस ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति सिर्फ दूसरे बॉम्बे ब्लड ग्रुप वाले से ही ब्लड ले सकते हैं। इसलिए इस ब्लड ग्रुप का जो भी व्यक्ति ब्लड डोनेट करता है, उसे स्टोर कर लिया जाता है। क्योंकि बॉम्बे ब्लड ग्रुप बहुत दुर्लभ है, इसलिए डोनर को ढूंढना बेहद मुश्किल होता है। रेयर ब्लड ग्रुप है बॉम्बे, ऐसे पड़ा इसका नाम
रेयर ब्लड ग्रुप में शामिल बॉम्बे ब्लड ग्रुप की खोज 1952 में डॉ.वाईएम भेंडे ने की थी। यह खोज उस वक्त बॉम्बे में हुई थी, इस वजह से इसे बॉम्बे ब्लड ग्रुप का नाम दिया गया। यह ब्लड ग्रुप ज्यादातर भारत, बांग्लादेश और मध्य-पूर्व क्षेत्र के कुछ हिस्सों के लोगों में पाया जाता है।
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