बंगाल में गरमाई राजनीति: मतदाता सूची विवाद पर TMC-BJP आमने-सामने, ममता का मार्च

बंगाल में गरमाई राजनीति: मतदाता सूची विवाद पर TMC-BJP आमने-सामने, ममता का मार्च
पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर मचा सियासी घमासान लगातार गहराता जा रहा है। इस बीच तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद कल्याण बनर्जी ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं सुवेंदु अधिकारी और सुकांत मजूमदार को खुली चुनौती दे डाली है।
बनर्जी ने दोनों नेताओं को दानकुनी आने की हिम्मत करने को कहा और यह भी जोड़ा कि अगर वे बिना सीआईएसएफ सुरक्षा के जनता के बीच उतरने का साहस दिखा पाएं तो वे खुद वहां मौजूद रहेंगे। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि “आइए, अपने लोग लेकर आइए, हम भी बिना पुलिस के वहां रहेंगे, फिर देखेंगे कि अमित शाह उन्हें सुरक्षित वापस ले जा पाते हैं या नहीं।”
बता दें कि उनकी इस चुनौती के बाद बंगाल का राजनीतिक माहौल और गरमा गया है। बनर्जी ने आरोप लगाया कि भाजपा नेता जनता से जुड़ने की बात तो करते हैं, लेकिन जनता के भरोसे की बजाय अपनी सुरक्षा पर अधिक निर्भर रहते हैं।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने टीएमसी पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि “टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने भाजपा नेताओं को खुलेआम जान से मारने की धमकी दी है। ममता बनर्जी की सरकार में लोकतंत्र सबसे बड़े खतरे में है।”
इधर, यह पूरा विवाद ऐसे समय में उठ खड़ा हुआ है जब चुनाव आयोग देशभर के 12 राज्यों में, जिनमें पश्चिम बंगाल भी शामिल है, विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान चला रहा है। मौजूद जानकारी के अनुसार, ब्लॉक लेवल अधिकारी मतदाता सूचियों को अपडेट करने और सत्यापित करने के लिए घर-घर जाकर जानकारी एकत्र कर रहे हैं। यह प्रक्रिया 4 नवंबर से 4 दिसंबर 2025 तक चलेगी, और अंतिम मतदाता सूची फरवरी 2026 में जारी की जाएगी।
गौरतलब है कि टीएमसी इस अभियान का विरोध कर रही है। पार्टी का आरोप है कि भाजपा मतदाता सूचियों में हेराफेरी कर चुनावी माहौल को प्रभावित करने की कोशिश कर रही है। इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 4 नवंबर को कोलकाता में विरोध मार्च के लिए उतरेंगी, जिसमें पार्टी महासचिव अभिषेक बनर्जी भी शामिल होंगे। टीएमसी का दावा है कि यह अभ्यास लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर करने का प्रयास है, जिसे जनता के सवालों का सामना करके जवाब दिया जाना चाहिए।
इस पूरे घटनाक्रम ने बंगाल की राजनीति को एक बार फिर उबाल पर ला खड़ा किया है और आने वाले दिनों में सियासी गर्मी और बढ़ने की आशंका है।

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