सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में एसआईआर के खिलाफ द्रमुक, माकपा, पश्चिम बंगाल कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस नेताओं की याचिकाओं पर निर्वाचन आयोग से जवाब मांगा। सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग से तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में एसआईआर कवायद को चुनौती देने वाली द्रमुक, कांग्रेस की पश्चिम बंगाल इकाई और तृणमूल कांग्रेस की अलग-अलग याचिकाओं पर दो सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा।
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शीर्ष अदालत बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण करने के निर्वाचन आयोग के फैसले की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर पहले से ही सुनवाई कर रही है। निर्वाचन आयोग ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण की कवायद को ‘सटीक’ बताते हुए न्यायालय से 16 अक्टूबर को कहा था कि याचिकाकर्ता राजनीतिक दल और गैर सरकारी संगठन इस प्रक्रिया को केवल बदनाम करने के लिए झूठे आरोप लगाकर संतुष्ट हैं। आयोग ने न्यायालय से यह भी कहा था कि अंतिम मतदाता सूची के प्रकाशन के बाद से नाम हटाने के खिलाफ किसी मतदाता ने एक भी अपील दायर नहीं की है। उसने याचिकाकर्ताओं के इस आरोप का खंडन किया था कि महीनों तक चली एसआईआर प्रक्रिया के बाद तैयार की गई राज्य की अंतिम मतदाता सूची में ‘‘मुसलमानों को अनुपातहीन तरीके से बाहर’’ किया गया।
निर्वाचन आयोग ने 30 सितंबर को बिहार की अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित करते हुए कहा था कि इसमें मतदाताओं की कुल संख्या लगभग 47 लाख घटकर 7.42 करोड़ रह गई है जो निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण से पहले 7.89 करोड़ थी।
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अंतिम संख्या हालांकि एक अगस्त को जारी की गई मसौदा सूची में दर्ज 7.24 करोड़ मतदाताओं से 17.87 लाख अधिक है। मृत्यु, प्रवास और मतदाताओं के दोहराव सहित विभिन्न कारणों से 65 लाख मतदाताओं के नाम मूल सूची से हटा दिए गए थे। मसौदा सूची में 21.53 लाख नए मतदाता जोड़े गए जबकि 3.66 लाख मतदाताओं के नाम हटाए गए जिससे कुल मतदाताओं की संख्या में 17.87 लाख की वृद्धि हुई है। बिहार में 243 सदस्यीय विधानसभा की 121 सीट पर पहले चरण का चुनाव बृहस्पतिवार को हो गया, जबकि शेष 122 निर्वाचन क्षेत्रों में 11 नवंबर को मतदान होगा। मतों की गिनती 14 नवंबर को होगी।


