रायपुर से लगे टेमरी गांव की सुविधाएं-देखने आते हैं लोग:प्रदूषण से बच्चे बीमार हो रहे थे, स्कूल में हाजिरी घटी, ग्रामीणों ने क्षेत्र में पौधे रोपकर ऑक्सीजोन बना दिया

रायपुर से लगे टेमरी गांव की सुविधाएं-देखने आते हैं लोग:प्रदूषण से बच्चे बीमार हो रहे थे, स्कूल में हाजिरी घटी, ग्रामीणों ने क्षेत्र में पौधे रोपकर ऑक्सीजोन बना दिया

राजधानी रायपुर के वीआईपी रोड से लगे करीब 2000 की आबादी वाले टेमरी गांव का मिडिल स्कूल। पहले यह वीरान जगह का स्कूल था। बच्चे पढ़ने की बजाए इधर-उधर घूम रहे थे। गांव के कुछ लोग स्कूल पहुंचे तो प्रिंसिपल से पता चला कि शिक्षक तो हैं, लेकिन बच्चे नियमित नहीं है। जो आते थे, उनका पढ़ने में मन नहीं लगता था। ग्रेडिंग गिर चुकी थी। भोजराज साहू के मुताबिक 2012 में पता चला कि स्कूल से कुछ दूरी पर स्टोन क्रेशर प्लांट है। इसके प्रदूषण से बच्चों के साथ शिक्षकों की तबीयत बिगड़ रही थी। तब ग्रामीणों ने पौधे लगाने का निर्णय लिया गया। पूरे गांव ने इसके लिए चंदा दिया। साथ ही वहां पौधे भी लगाए। गांव वालों की पहल से अब यह ऑक्सीजोन में तब्दील हो चुका है। बच्चे पेड़ों की छांव के नीचे पढ़ते हैं। वातावरण सुधरा तो ज्यादा बच्चे स्कूल आने लगे। लोगों ने टेमरी स्कूल ऐसा संवारा कि यहां की सुविधाएं देखने दूसरे गांव से लोग यहां आ रहे हैं। 40-40 हजार रुपए की 11 महापुरुषों की मूर्तियां चंदे से लगवाई गईं। रामायण मंडली ने कंप्यूटर व प्रोजेक्टर लगवाए। गांव की जागरुकता देख तत्कालीन कलेक्टर ओपी चौधरी ने स्कूल में शेड व मॉडल क्लासरूम बनवाने की स्वीकृति दी। पौधों को महिलाओं ने माना भाई, बांधती हैं राखी: स्कूल परिसर में पौधे लगाने के बाद उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी महिलाओं ने ली। हर महिला ने एक पौधे को चिह्नित कर उसकी देखरेख करना शुरू किया। हर साल रक्षाबंधन पर इन्हें राखी भी बांधती हैं। टेमरी का यह अभियान स्कूल तक ही सीमित नहीं रहा। हर साल हरेली में पौधे लगाए जाते हैं। पानी बचाने के लिए 2 स्कूल, 3 आंगनबाड़ी, पंचायत भवन और स्वास्थ्य केंद्र में रैन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाए गए। बारिश के पानी को संरक्षित करने 35 सोख्ता गड्ढे भी बनवाए गए हैं। टेमरी की सीख बनी तर्रा के लिए राह : रायपुर के तर्रा गांव में जल स्तर गिरने और पेयजल संकट बढ़ने से गांव वाले परेशान होने लगे। सृष्टि सेवा संकल्प संस्था ने वहां पर्यावरण संरक्षण की पहल शुरू की। संस्था की नीमा गुप्ता ने बताया कि पेड़-पौधों की कमी मुख्य समस्या थी। समाधान के लिए संस्था ने तर्रा के लोगों को टेमरी गांव ले जाकर वहां की व्यवस्थाएं दिखाई। ताकि लोग पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक हो सकें। लगाई सैनेटरी पैड मशीन: पूर्व सरपंच पद्मा टोमन यादव बताती हैं कि टेमरी की महिलाएं अब माहवारी के दौरान स्वास्थ्य समस्याओं से जूझने की बजाय सजग हो गई हैं। यहां के बिहान कैफे परिसर में अत्याधुनिक टॉयलेट बनवाया गया है। इसमें सैनेटरी पैड वेंडिंग मशीन और इस्तेमाल पैड नष्ट करने के लिए डिस्पोजल मशीन भी लगी है। वीआईपी रोड में होने से इससे गुजरने वाली महिलाएं भी इसका उपयोग कर रहीं हैं। स्वच्छता के क्षेत्र में 2020-21 में इसे प्रदेशभर में द्वितीय पुरस्कार भी मिल चुका है। हरे-भरे वातावरण में बच्चे नियमित स्कूल आते हैं टेमरी का स्कूल, जहां बच्चे हरियाली के बीच पढ़ते हैं। 2012 तक उजाड़ में था स्कूल, जो अब हरे-भरे परिसर में बदल गया है।

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