बक्सर में त्रेतायुग से चली आ रही ऐतिहासिक पंचकोसी परिक्रमा यात्रा अपने तीसरे पड़ाव भभुअर गांव पहुंची। यहां दिनभर भक्ति और आध्यात्मिक माहौल बना रहा। सदर प्रखंड स्थित भभुअर पहुंचते ही श्रद्धालुओं ने भार्गव सरोवर के पास दीप प्रज्वलित किए। उन्होंने भगवान भार्गवेश्वर नाथ के मंदिर में दर्शन-पूजन किया और महर्षि भृगु को नमन किया। दूर-दराज से आए साधु-संत इसके बाद हजारों श्रद्धालुओं और दूर-दराज से आए साधु-संतों ने भभुअर स्थित लक्ष्मण सरोवर की पांच बार विधिवत परिक्रमा की। उन्होंने देश और समाज में सुख-शांति की कामना की। पवित्र सरोवर का निर्माण किया लक्ष्मण जी ने मान्यता है कि त्रेतायुग में भगवान श्रीराम के छोटे भाई लक्ष्मण जी ने इस पवित्र सरोवर का निर्माण किया था। त्रिदण्डी स्वामी गंगा पुत्र के अनुसार, विश्वामित्र ऋषि के यज्ञ के बाद श्रीराम-लक्ष्मण जब यहां पहुंचे और जल की कमी महसूस हुई, तब लक्ष्मण जी ने अपने तीर से भूमि पर प्रहार किया, जिससे पाताल से जल फूट पड़ा और यह सरोवर बना। सरोवर में स्नान करने से होते हैं पाप नष्ट कहा जाता है कि पंचकोसी यात्रा के दौरान इस सरोवर में स्नान करने से पाप नष्ट होते हैं और मन को शांति मिलती है। परिक्रमा में शामिल श्रद्धालुओं ने भजन-कीर्तन किया और पारंपरिक चूड़ा-दही का प्रसाद ग्रहण किया। भोजन-प्रसाद और विश्राम की विशेष व्यवस्था की गई भभुअर में साधु-संतों तथा श्रद्धालुओं के लिए पंचकोसी समिति और सिद्धाश्रम व्याघ्रसर बक्सर की ओर से भोजन-प्रसाद और विश्राम की विशेष व्यवस्था की गई है। कई श्रद्धालु रात भजन-संकीर्तन करते हुए यहीं बिताएंगे। मेले का आंनद उठाते लोग परिक्रमा का वातावरण केवल आध्यात्मिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक रंगों से भी भरपूर रहा। भभुअर में लगे मेले में झूले, चरखी, बच्चों के मनोरंजन के साधन और तरह-तरह की खान-पान की दुकानों ने माहौल को जीवंत कर दिया। श्रद्धालु और ग्रामीण खरीदारी करते तथा मेले का आनंद उठाते नजर आए। गांव में पर्व जैसा रहा वातावरण एक दिन पूर्व श्रद्धालु नारद आश्रम, नदांव में रात्रि विश्राम के बाद सुबह भभुअर के लिए रवाना हुए थे। दोपहर तक लगातार श्रद्धालुओं का जत्था पहुंचता रहा और गांव में पर्व जैसा वातावरण बना रहा। कल यह यात्रा अंजनी सरोवर में पहुंचेगी, जहां मेले का आयोजन होगा। बक्सर में त्रेतायुग से चली आ रही ऐतिहासिक पंचकोसी परिक्रमा यात्रा अपने तीसरे पड़ाव भभुअर गांव पहुंची। यहां दिनभर भक्ति और आध्यात्मिक माहौल बना रहा। सदर प्रखंड स्थित भभुअर पहुंचते ही श्रद्धालुओं ने भार्गव सरोवर के पास दीप प्रज्वलित किए। उन्होंने भगवान भार्गवेश्वर नाथ के मंदिर में दर्शन-पूजन किया और महर्षि भृगु को नमन किया। दूर-दराज से आए साधु-संत इसके बाद हजारों श्रद्धालुओं और दूर-दराज से आए साधु-संतों ने भभुअर स्थित लक्ष्मण सरोवर की पांच बार विधिवत परिक्रमा की। उन्होंने देश और समाज में सुख-शांति की कामना की। पवित्र सरोवर का निर्माण किया लक्ष्मण जी ने मान्यता है कि त्रेतायुग में भगवान श्रीराम के छोटे भाई लक्ष्मण जी ने इस पवित्र सरोवर का निर्माण किया था। त्रिदण्डी स्वामी गंगा पुत्र के अनुसार, विश्वामित्र ऋषि के यज्ञ के बाद श्रीराम-लक्ष्मण जब यहां पहुंचे और जल की कमी महसूस हुई, तब लक्ष्मण जी ने अपने तीर से भूमि पर प्रहार किया, जिससे पाताल से जल फूट पड़ा और यह सरोवर बना। सरोवर में स्नान करने से होते हैं पाप नष्ट कहा जाता है कि पंचकोसी यात्रा के दौरान इस सरोवर में स्नान करने से पाप नष्ट होते हैं और मन को शांति मिलती है। परिक्रमा में शामिल श्रद्धालुओं ने भजन-कीर्तन किया और पारंपरिक चूड़ा-दही का प्रसाद ग्रहण किया। भोजन-प्रसाद और विश्राम की विशेष व्यवस्था की गई भभुअर में साधु-संतों तथा श्रद्धालुओं के लिए पंचकोसी समिति और सिद्धाश्रम व्याघ्रसर बक्सर की ओर से भोजन-प्रसाद और विश्राम की विशेष व्यवस्था की गई है। कई श्रद्धालु रात भजन-संकीर्तन करते हुए यहीं बिताएंगे। मेले का आंनद उठाते लोग परिक्रमा का वातावरण केवल आध्यात्मिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक रंगों से भी भरपूर रहा। भभुअर में लगे मेले में झूले, चरखी, बच्चों के मनोरंजन के साधन और तरह-तरह की खान-पान की दुकानों ने माहौल को जीवंत कर दिया। श्रद्धालु और ग्रामीण खरीदारी करते तथा मेले का आनंद उठाते नजर आए। गांव में पर्व जैसा रहा वातावरण एक दिन पूर्व श्रद्धालु नारद आश्रम, नदांव में रात्रि विश्राम के बाद सुबह भभुअर के लिए रवाना हुए थे। दोपहर तक लगातार श्रद्धालुओं का जत्था पहुंचता रहा और गांव में पर्व जैसा वातावरण बना रहा। कल यह यात्रा अंजनी सरोवर में पहुंचेगी, जहां मेले का आयोजन होगा।


