श्रीराम जन्मभूमि मंदिर न केवल आस्था और भक्ति का केंद्र बनेगा, बल्कि यह अध्यात्म, इतिहास और पर्यटन का भी प्रमुख स्थल होगा। इसी दिशा में मंदिर परिसर में 10 एकड़ क्षेत्र में विकसित होने वाला पंचवटी उद्यान श्रद्धालुओं के लिए त्रेतायुग की स्मृतियों को जीवंत करेगा। यह उद्यान साधारण पार्क नहीं होगा, बल्कि रामायण काल की घटनाओं, ऋषियों की तपोभूमियों और प्रकृति के तत्वों को आधुनिक तकनीक के साथ प्रस्तुत करेगा। पंचवटी की परिकल्पना राम मंदिर परिसर में जटायुराज की मूर्ति स्थापना के दौरान ट्रस्ट के मन में आई थी। अब इसका ब्लूप्रिंट डिजाइन एसोसिएट की ओर से तैयार कर लिया गया है, जिसे जून में प्रस्तावित ट्रस्टी बैठक में अनुमोदन के बाद धरातल पर उतारने की तैयारी है। जलाशय और म्यूजिकल फाउंटेन की भी होगी व्यवस्था उद्यान में एक भव्य जलाशय का निर्माण प्रस्तावित है, जिसमें म्यूजिकल फाउंटेन और मोटर बोट की व्यवस्था भी होगी। हालांकि आम श्रद्धालुओं को बोटिंग की अनुमति मिलेगी या नहीं, यह सुरक्षा कारणों पर निर्भर करेगा। जलाशय के आसपास प्राकृतिक दृश्यावली विकसित कर उसे आकर्षक बनाया जाएगा। इससे पहले मंदिर परिसर में एक प्रतीकात्मक पुष्करिणी (कुंड) का निर्माण हो चुका है, जो सप्त मंडपम के मध्य स्थित है। सप्त मंडपम में महर्षि वाल्मीकि, विश्वामित्र, वशिष्ठ, अगस्त्य, माता शबरी, देवी अहिल्या और निषादराज के स्मृति मंदिर बनाए गए हैं। वन्यजीवों और पक्षियों के लिए बनेगा अभयारण्य पंचवटी उद्यान में जीएमआर कंपनी की मदद से एक अभयारण्य भी विकसित किया जाएगा। इसमें रामायण कालीन दुर्लभ वनस्पतियों, पुष्पों और पक्षियों की प्रजातियों को संरक्षित किया जाएगा। इसके अलावा यहां जलचर और वन्य प्राणियों के लिए अनुकूल वातावरण तैयार किया जाएगा। रामकथा के प्रमुख प्रसंगों को दर्शाएगा पंचवटी यह उद्यान उस ऐतिहासिक स्थल की स्मृति को सजीव करेगा, जहां भगवान राम ने माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ वनवास का लंबा समय बिताया था। यहीं शूर्पणखा की नाक काटी गई थी, खर-दूषण वध हुआ था, स्वर्ण मृग के पीछे जाते समय सीता हरण जैसी घटनाएं घटी थीं। पंचवटी में इन घटनाओं से जुड़े दृश्यात्मक स्थल बनाए जाएंगे। ट्रस्ट के डॉ अनिल मिश्रा के अनुसार “राम मंदिर परिसर का यह पंचवटी उद्यान श्रद्धालुओं को न केवल धार्मिक अनुभव देगा, बल्कि उन्हें भारतीय संस्कृति और पर्यावरणीय चेतना से भी जोड़ने का कार्य करेगा।”
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