India and Pakistan LOC Tension | एयर स्ट्राइक के बाद LoC पर पाकिस्तान ने की भीषण गोलीबारी, 15 नागरिकों की मौत की खबर, 57 हुए घायल

India and Pakistan LOC Tension | एयर स्ट्राइक के बाद LoC पर पाकिस्तान ने की भीषण  गोलीबारी, 15 नागरिकों की मौत की खबर, 57 हुए घायल
ऑपरेशन सिंदूर के बाद सीमा पार से गोलाबारी में तीव्र वृद्धि हुई है, जो छोटे हथियारों से लेकर भारी तोपखाने तक पहुंच गई है, पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा के पास रहने वाले नागरिक आबादी को निशाना बनाया, जिसमें कम से कम 15 लोग मारे गए और 57  घायल हो गए। जबकि कश्मीर घाटी के उरी और तंगधार सेक्टरों में भी भारी तोपखाने की गोलाबारी सुनी गई, सबसे खराब स्थिति जम्मू के पुंछ शहर में थी, जहां 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद पहली बार सार्वजनिक स्थानों के अलावा आवासीय और सरकारी भवनों पर भी तोपखाने के गोले गिरे।

पाकिस्तानी सेना ने बुधवार को जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास स्थित गांवों को निशाना बनाकर भारी गोलाबारी की और मोर्टार गोले दागे जिसमें चार बच्चों एवं एक सैनिक सहित कम से कम 15 लोगों की मौत हो गई और 57 अन्य घायल हो गए। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
पाकिस्तानी सेना द्वारा यह गोलाबारी भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में नौ आतंकवादी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए जाने के बाद की गई।

यह पिछले कुछ वर्षों में पाकिस्तान की ओर से की गई भारी गोलाबारी में से एक है।
पाकिस्तान की अंधाधुंध गोलाबारी में सैकड़ों निवासियों को भूमिगत बंकरों में शरण लेने या सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा। ऐसा इसलिए क्योंकि इस गोलाबारी में मकान, वाहन और एक गुरुद्वारा सहित विभिन्न इमारतें नष्ट हो गईं। इससे सबसे अधिक प्रभावित पुंछ जिले और राजौरी तथा उत्तरी कश्मीर के बारामूला और कुपवाड़ा में सीमावर्ती निवासियों में दहशत उत्पन्न हो गई।

अधिकारियों ने कहा कि भारतीय सेना गोलाबारी का मुंहतोड़ जवाब दे रही है, जिसके परिणामस्वरूप दुश्मन पक्ष के कई लोग हताहत हुए हैं, क्योंकि गोलीबारी में शामिल उनकी कई चौकियां नष्ट कर दी गई हैं।
दोनों देशों के बीच25 फरवरी, 2021 को संघर्षविराम समझौते के नवीनीकरण के बाद यह पहली बार है कि इतनी भारी गोलाबारी देखी गई है।
अधिकारियों ने बताया कि सभी 13 लोगों की मौत पुंछ जिले में हुई, जबकि 42 लोग घायल भी हुए हैं, जिनमें से दो की हालत गंभीर बताई गई है।

उन्होंने बताया कि पुंछ में नियंत्रण रेखा के पास बालाकोट, मेंढर, मनकोट, कृष्णा घाटी, गुलपुर, केरनी और यहां तक ​​कि पुंछ जिला मुख्यालय से भी गोलाबारी की सूचना है, जिसके परिणामस्वरूप दर्जनों आवासीय मकानों और वाहनों को नुकसान पहुंचा है।
अधिकारियों ने बताया कि सीमा पार से गोलाबारी दोपहर तक तेज रही और बाद में रुक-रुक कर जारी रही, जो अगले कुछ घंटे तक ज़्यादातर पुंछ सेक्टर तक ही सीमित रही।

अधिकारियों ने बताया कि भारी गोलाबारी के कारण स्थानीय लोगों को पीड़ितों को अस्पताल पहुंचाने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। उन्होंने बताया कि गोलाबारी में पुंछ बस स्टैंड भी क्षतिग्रस्त हो गया और कई बसें क्षतिग्रस्त हो गईं।
उन्होंने बताया कि पुंछ नगर में एक गुरुद्वारा और आस-पास के मकानों पर तोप का गोला गिरने से तीन सिखों की मौत हो गई।

पंजाब की कई पार्टियों ने इस घटना की निंदा की है।
शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘पुंछ में पवित्र केंद्रीय गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा साहिब पर पाकिस्तानी सेना द्वारा किए गए अमानवीय हमले की कड़ी निंदा करता हूं, जिसमें भाई अमरीक सिंह जी (एक रागी सिंह), भाई अमरजीत सिंह और भाई रणजीत सिंह सहित तीन निर्दोष गुरसिखों की जान चली गई।’’

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अधिकारियों ने बताया कि बारामूला जिले के उरी सेक्टर में सीमा पार से हुई गोलाबारी में पांच बच्चों समेत 10 लोग घायल हो गए जबकि राजौरी जिले में तीन अन्य घायल हो गए। उन्होंने बताया कि कुपवाड़ा जिले के करनाह सेक्टर में गोलाबारी के कारण कई घरों में आग लग गई।
अधिकारियों ने मृतकों की पहचान बलविंदर कौर उर्फ ​​ रूबी (33), मोहम्मद जैन खान (10), उसकी बड़ी बहन जोया खान (12), मोहम्मद अकरम (40), अमरीक सिंह (55), मोहम्मद इकबाल (45), रणजीत सिंह (48), शकीला बी (40), अमरजीत सिंह (47), मरियम खातून (7), विहान भार्गव (13) एवं मोहम्मद रफी (40) और सेना के एक लांस नायक के रूप में की है।

पहलगाम हमले के बाद बढ़े तनाव के बीच जम्मू कश्मीर में सीमा पर बिना उकसावे के गोलीबारी की यह लगातार 13वीं रात थी।
इससे पहले, एक रक्षा प्रवक्ता ने कहा था कि 6 और 7 मई की दरमियानी रात्रि के दौरान, पाकिस्तानी सेना ने नियंत्रण रेखा और जम्मू कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार स्थित चौकियों से तोपखाने के जरिये गोलाबारी की।
उन्होंने बताया था कि भारतीय सेना गोलीबारी का मुंहतोड़ जवाब दे रही है।
सेना के सूत्रों ने बताया कि जवाबी कार्रवाई में भारतीय सैनिकों ने दुश्मन सेना की कई चौकियां नष्ट कर दीं और उन्हें भारी नुकसान पहुंचाया जिसके उसके कई हताहत हुए हैं।
अधिकारियों ने बुधवार को जम्मू क्षेत्र के पांच सीमावर्ती जिलों में सभी शैक्षणिक संस्थानों को बंद कर दिया था।

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25 फरवरी, 2021 को भारत और पाकिस्तान द्वारा संघर्षविराम समझौते को नवीनीकृत करने के बाद संघर्षविराम उल्लंघन बहुत कम हुआ है।
एकजुटता के संकेत के रूप में, राजौरी के कांग्रेस विधायक इफ्तखार अहमद ने राजौरी के जीएमसी अस्पताल में इलाज करा रहे घायलों से मिलने के बाद अपने समर्थकों के साथ रक्तदान किया।
अहमद ने लोगों से आगे आकर रक्तदान करने की अपील की और इस महत्वपूर्ण समय में चिकित्सा प्रयासों का समर्थन करने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, ‘‘हम देश की अखंडता और संप्रभुता के लिए सब कुछ बलिदान करने के लिए तैयार हैं।

राष्ट्र सबसे पहले आता है और हमें अपने रास्ते में आने वाली किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए एकजुट होना चाहिए।’’
जीएमसी राजौरी के प्रिंसिपल अमरजीत सिंह भाटिया ने कहा कि सीमा पर झड़पों और बढ़ते तनाव के मद्देनजर अस्पताल स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
उन्होंने कहा, मरीजों के लिए सर्वोत्तम उपचार सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं की गई हैं।
पुंछ जिले के अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने पाकिस्तानी गोलाबारी से प्रभावित अग्रिम गांवों से स्थानांतरित होने के इच्छुक लोगों के लिए पर्याप्त सुविधाओं के साथ नौ सार्वजनिक आश्रय शिविर निर्धारित किए हैं।

अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास जोरियन गांव के निवासी लियाकत अली ने बताया, ‘‘हालांकि हमारे गांव में सीमापार से कोई गोलीबारी नहीं हुई है, लेकिन हमें आरएस पुरा में आईटीआई कॉलेज में स्थानांतरित होने के लिए कहा गया है, जहां मौजूदा तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए सरकार ने हमारे ठहरने के लिए आवश्यक व्यवस्था की है।’’
अली ने कहा कि अतीत में गांव को बहुत नुकसान हुआ है और पाकिस्तानी गोलाबारी से यह गांव जलकर राख हो गया था।
सीमापार से भारी गोलाबारी भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में नौ आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमला करने के तुरंत बाद शुरू हुई। यह हमला 22 अप्रैल को दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का बदला लेने के लिए किया गया था, जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे।

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