पाकिस्तान (Pakistan) के लिए बलूचिस्तान (Balochistan) अब परेशानी की वजह बन चुका है। बलूचिस्तान के ज़्यादातर निवासी खुद को पाकिस्तान का हिस्सा नहीं मानते। बलूचों के दिल और दिमाग में पाकिस्तानी सरकार और सेना के प्रति नफरत है। समय-समय पर बलूच अलगाववादी पाकिस्तानी सेना और पुलिस को निशाना बनाते हैं। कई बलूच नेता तो पाकिस्तान से बलूचिस्तान की आज़ादी का ऐलान भी कर चुके हैं। बलूच नेता खुलकर पाकिस्तान के खिलाफ आवाज़ उठा रहे हैं और दुनियाभर के देशों से बलूचिस्तान को आज़ाद देश के तौर पर मान्यता देने की मांग कर रहे हैं। बलूचों की आवाज़ को दबाने के लिए अब पाकिस्तान ने एक नई चाल चली है।
नया कानून पारित
पाकिस्तान सरकार ने बलूचिस्तान में असहमति की आवाज़ें दबाने के लिए एक नया और कठोर कानून पारित किया है। बलूचिस्तान विधानसभा में हाल ही पारित ‘काउंटर टेररिज़्म (संशोधन) अधिनियम, 2025’ के तहत सुरक्षा एजेंसियों को किसी भी व्यक्ति को महज शक के आधार पर बिना किसी आरोप और न्यायिक निगरानी के 90 दिनों तक हिरासत में रखने की छूट दी गई है।
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कानून के ज़रिए बलूचों पर बढ़ेंगे अत्याचार
इस नए कानून के तहत पुलिस और खुफिया एजेंसियों को वैचारिक प्रोफाइलिंग, तलाशी, जब्ती और डिटेंशन ऑर्डर जारी करने की अतिरिक्त शक्तियाँ मिली हैं। पहली बार सैन्य अधिकारियों को नागरिक निगरानी पैनलों में भी भूमिका दी गई है। इस कानून के ज़रिए बलूचों पर अत्याचार बढ़ेंगे।
मानवाधिकार संगठनों ने किया विरोध शुरू
मानवाधिकार संगठनों – एचआरसीपी, एमनेस्टी इंटरनेशनल और बलूच यकजेहती समिति (बीवाईसी) – ने पाकिस्तान के इस नए कानून को संविधान और अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन बताते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी है और इसका विरोध शुरू कर दिया है। बीवाईसी ने इसे ‘नागरिक जीवन का सैन्यीकरण’ और ‘मनमानी गिरफ्तारी को वैध बनाने वाला’ कानून बताया है।
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