नमस्कार दौसा में कृषि मंत्री ने बताया कि उनमें और बड़े भाई की जन्म तारीख में 4 महीने का ही फर्क है। इससे जुड़ी एक दिलचस्प कहानी भी सुनाई। बूंदी में बारिश से फसल चौपट होने के बाद किसान ने मुआवजे के लिए विधायक को फोन लगाया। विधायकजी ने गुस्से में पुलिस भेज दी। बारां के अंता उपचुनाव के रंगों के आगे पुष्कर का मेला भी फीका है। राजस्थान की राजनीति और ब्यूरोक्रेसी की ऐसी ही खरी-खरी बातें पढ़िए, आज के इस एपिसोड में… 1. मास्टरजी ने जन्म की तारीख पूछी तो.. मंत्रीजी जमीन से जुड़े आदमी हैं। जन्मदिन पर ज्यादा हो-हल्ला नहीं करते। लेकिन मोबाइल और सोशल मीडिया के युग में छोटा सा सेलिब्रेशन भी छुप नहीं सकता। मंत्रीजी झोपड़ीनुमा मकान में हैं। बल्लियों पर लाइट जगमगा रही है। पत्नी के हाथ में तलवार है। पति को तलवार और गुलदस्ता भेंट किया गया। मिठाई मुंह की तरफ बढ़ाई तो मंत्रीजी ने हाथ से तोड़कर खाई। पत्नी ने उलाहना दिया-मेरे हाथ से नहीं खाओगे? बात जन्मदिन की आई तो मंत्रीजी ने बचपन की कहानी सुनाई। कहा- मेरे बड़े भाई और मुझमें 4 महीने का ही फर्क है। हुआ यूं कि पिताजी स्कूल में दाखिला कराने दोनों को ले गए। मास्टरजी ने जन्म तारीख पूछी। पिताजी को याद नहीं। पिताजी बोले- ऐसी तारीख लिख दो कि 10वीं के बाद इनको नौकरी मिल जाए। मास्टरजी ने कलम चलाई लेकिन दोनों भाइयों की जन्म की तारीख में 4 महीने का ही अंतर छोड़ा। मंत्रीजी की बात सुन चारों ओर खड़े समर्थक खिलखिला पड़े। 2. किसान को विधायकजी बोले- दिमाग से बात करो.. माननीय की आदत है। वोट मांगने जाते हैं तो झुककर दोहरे हो जाते हैं। काम पड़ने पर मर-मिटने की कसमें खाते हैं। चुनाव जीतने के बाद वे सीधे सिंहासन पर जाकर बैठ जाते हैं। मांग उन्हें गाली जैसी लगती है। बूंदी के केशोरायपाटन में ऐसा ही किस्सा हुआ। बारिश से धान की फसल तबाह। किसान ने मुआवजे के लिए विधायकजी को फोन लगा दिया। किसान की गलती ये कि मांग में याचना कम और कटाक्ष ज्यादा था। वह बोला- धान खराब हो गया साब, खेतों में घुटनों तक पानी भरा है। अब मुआवजे की बात करो। विधायकजी ने टरकाने के अंदाज में कहा- कलेक्टर और सीएम को लिख तो दिया, पढ़ा नहीं पेपर में? मैं आपको कटिंग भेजता हूं। किसान ने तंज कसा- अंता बारां तक बाजरा गिर गया साब। विधायकजी भांप गए कि ये वाला बाजरा सियासी है। तमककर पूछा- अरे क्या नाम है तुम्हारा। दिमाग से बात करो। किसान ने अब सीधे चुनावी तंज कर दिया-उधर तो चुनाव जीत गया भाया? विधायकजी भड़क चुके थे, बोले-दादागिरी नहीं, क्या डराना चाहते हो? किसान डाउन आ गया, बोले-क्या डराएंगे साहब, किसानों की तो दशा ही खराब चल रही है। यह वाकया होने के बाद गांव में फोन करने वाले किसान की तलाश में पुलिस पहुंच गई। लोगों ने घेर लिया। बोले-अपनी समस्याएं विधायक से नहीं कहेंगे तो किससे कहेंगे? वोट दिया है, फोन तो करेंगे। 3. चुनावी बिसात पर ऊंट, हाथी और रॉकी मेला और चुनाव में कई तरह की समानताएं होती हैं। दोनों जगह अपनी दुकान चमकाने की जद्दोजहद होती है। दोनों में जनता को मनोरंजन मिलता है। राजस्थान में एक तरफ पुष्कर मेला चल रहा है तो दूसरी तरह अंता में उपचुनाव की सरगर्मियां। वहां भी घोड़े-भैंसा का जलवा है। इधर भी निर्दलीय विधायक ऊंट-हाथी ले आए हैं। ऊंट पर चढ़कर रोटी खा चुके हैं। हाथी पर बैठकर नगर परिक्रमा लगा चुके हैं। नेताजी ने नैसर्गिक उत्साह है। इतना उत्साह कि किसी से टकराते ही छलक पड़ता है। जोश-जोश में गला बैठा लेते हैं। चुनाव प्रचार के दौरान खुद को किसी नायक से कम नहीं देख रहे हैं। वोटर्स को संबोधित करते उनका एक वीडियो आया। वे कह रहे हैं- जिस प्रकार के.जी.एफ. में नायक रॉकी गरुड़ा को मारता है। जिस भांति नायक का हीरो अनिल कपूर अमरीश पुरी को धो डालता है। उसी प्रकार मैं सबकी छुट्टी कर दूंगा। वही बात हो जाएगी जो करण-अर्जुन में कही गई थी- ठाकुर तो गियो.. 4. चलते-चलते… राजस्थान में एक नारा बहुत चलता है- बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ। अब परिवहन मंत्री और शिक्षा मंत्री यह वीडियो देख लें। सोशल मीडिया पर खूब चल रहा है। बेटी पढ़ाओ तक तो ठीक है। लेकिन बेटी को पढ़ने के लिए अगर इस तरह टेम्पो के पीछे लटककर स्कूल जाना पड़े तो ‘बेटी बचाओ’ नारे का क्या होगा? वीडियो जोधपुर के बालेसर के एक गांव का है। लेकिन यह तस्वीर आम है। इन दिनों कितने भीषण सड़क हादसे हो रहे हैं। इन बेटियों के साथ अगर कोई अनहोनी हो जाती है तो जिम्मेदार कौन होगा? सोशल मीडिया पर यह वीडियो पोस्ट कर यूजर ने तंज कसा-शिक्षा मंत्री के अथक प्रयासों से बेटियां आगे बढ़ती हुईं… वीडियो देखने के लिए ऊपर फोटो पर क्लिक करें। अब कल मुलाकात होगी…


