National Lok Janshakti Party: RLJP ने शुरू की बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी, समझिए पार्टी के समीकरण

National Lok Janshakti Party: RLJP ने शुरू की बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी, समझिए पार्टी के समीकरण
बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की सियासी हलचल बढ़ गई है। सत्ताधारी जनतांत्रिक गठबंधन और विपक्षी महागठबंधन चुनावी मुकाबले को बहुकोणीय बनाने की कोशिश में हैं। वहीं राजनीतिक दलों का एक से दूसरे गठबंधन में जाने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। पशुपति पारस की पार्टी आरएलजेपी भी चुनावी रण में उतरने के लिए मजबूत रणनीति पर काम कर रही हैं। हालांकि राज्य विधानसभा से लेकर देश की संसद तक पशुपति पारस की पार्टी की मौजूदगी न के बराबर है।
पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव तक पशुपति पारस खुद केंद्र में मंत्री थे। वहीं उनकी पार्टी चुनाव में 6 सीटों पर दावेदारी कर रही थी, लेकिन पार्टी को मिलीं शून्य। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि पशुपति पूरी तरीके से हाशिए पर चले गए हैं। हालांकि पशुपति पारस की अगुवाई वाली आरएलजेपी ने बिहार विधानसभा चुनाव में सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर रही हैं। वहीं चुनाव में अच्छे नतीजे के लिए पार्टी जमीनी स्तर पर संगठन और दलित सशक्तिकरण पर ध्यान केंद्रित कर रही है।

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आरएलजेपी गठन

बता दें कि राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी की अक्तूबर 2021 में स्थापना हुई थी। पार्टी की स्थापना पशुपति कुमार पारस के नेतृत्व में की गई थी। हालांकि पहले यह एकीकृत लोक जनशक्ति पार्टी का हिस्सा थी, लेकिन रामविलास पासवान के निधन के बाद लोजपा दो भागों में बंट गई। जिसमें एक हिस्सा चिराग पासवान का गुट लोक जनशक्ति पार्टी और दूसरा गुट राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी बनी। साल 2014 में आरएलजेपी एनडीए का हिस्सा थी, लेकिन साल 2025 में पार्टी ने गठबंधन तोड़ दिया।
संख्याबल के लिहाज से देखा जाए, तो पशुपति कुमार पारस की पार्टी का लोकसभा और राज्यसभा में एक भी सदस्य नहीं है। वहीं बिहार विधानसभा में भी पार्टी का प्रतिनिधित्व जीरो है। विधान परिषद में पार्टी का एक सदस्य है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि क्या बिहार विधानसभा चुनाव में क्या पशुपति कुमार पारस ‘पारस’ साबित होंगे। हालांकि केंद्रीय मंत्री रहते हुए पशुपति पारस के पास खुद को बड़े दलित नेता के रूप में स्थापित करने का मौका था, लेकिन वह ऐसा नहीं कर सके।
पशुपति पारस की पार्टी की स्क्रिप्ट तो लोकसभा चुनाव में ही लिखी जा चुकी थी। राज्य की 40 सीटों के लिए सीट शेयरिंग में पार्टी के हाथ खाली रह गए थे। वहीं पशुपति को भी हाजीपुर सीट से हाथ धोना पड़ा था। जिस सीट से वह सांसद थे।

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