प्रशासन की नाकामी से मां मरी, गुस्से में अफसर बना:IIT का प्लेसमेंट छोड़कर घर लौटा, BPSC की तैयारी की, पहले ही अटेम्‍प्‍ट में बना SDM

प्रशासन की नाकामी से मां मरी, गुस्से में अफसर बना:IIT का प्लेसमेंट छोड़कर घर लौटा, BPSC की तैयारी की, पहले ही अटेम्‍प्‍ट में बना SDM

‘कॉलेज में प्लेसमेंट फॉर्म भर रहा था, तभी घर से अचानक कॉल आया कि मां अब नहीं रही। मां की जान विसर्जन में प्रशासन की अनदेखी के कारण गई थी। तब मेरे मन में लॉ एंड ऑर्डर को लेकर काफी गुस्सा भरा था। तभी मैंने इसमें सुधार लाने की ठानी और BPSC की तैयारी शुरू कर दी।’ यह कहते हुए नसीन कुमार निशांत की आंखों में आंसू आ जाते हैं। उन्हें अपनी मां की कमी बहुत खलती है। सभी मुश्किलों के बावजूद उन्होंने 22 साल की उम्र में फर्स्ट अटेम्प्ट में ही BPSC क्रैक किया है। जो रिश्तेदार और पड़ोसी उन्हें ताना मारते थे, आज वही माला पहनाकर सम्मान देते हैं। भास्कर की स्पेशल सीरीज ‘BPSC सक्सेस स्टोरी’ में अगली कहानी सीतामढ़ी के नसीन कुमार निशांत की। इस सीरीज में हम BPSC एग्जाम को क्रैक करने वाले लोगों की कहानी आपके साथ साझा कर रहे हैं। नसीन ने फर्स्ट अटेम्प्ट में ही BPSC क्लियर कर लिया था। उन्होंने 64वीं बिहार प्रशासनिक सेवा परीक्षा में 140वीं रैंक हासिल की थी। अभी वह मधुबनी में सीनियर डिप्टी कलेक्टर हैं। आगे की कहानी पढ़िए और देखिए…नसीन की जुबानी… नसीन का जन्म सीतामढ़ी जिले के बासोपट्टी गांव में हुआ था। 7 भाई-बहनों में सबसे छोटे नसीन, पढ़ने के लिए सरकारी स्कूल में बोरा लेकर जाते थे। उन्होंने 5वीं कक्षा तक इसी सरकारी स्कूल से पढ़ाई की। पिता महेंद्र पासवान एडवोकेट हैं और मां मंजू कुमारी सरकारी स्कूल की शिक्षिका थीं। नसीन बताते हैं, ‘बचपन से ही पढ़ाई में बहुत अच्छा था। अंग्रेजी अच्छी होने के कारण मेरा एडमिशन प्राइवेट स्कूल में करवाया गया। इसके लिए मैं सीतामढ़ी के छोटे से शहर पुपरी के DAV स्कूल में एंट्रेंस एग्जाम देने गया। जब पापा के साथ DAV पहुंचा तब उन्होंने स्कूल की ऊंची बिल्डिंग दिखाकर कहा- ‘अगर इससे ऊंचा नाम कमाओगे तभी आगे बढ़ो, नहीं तो वापस घर चलो।’ तब मैंने पापा कहा, ‘अगर मैं इसमें घुस गया तो फर्स्ट ही करूंगा।’ पिता ने साथ में एक थाली में खाना छोड़ दिया ‘DAV स्कूल में एंट्रेंस एग्जाम में फर्स्ट आया था, लेकिन एडमिशन के बाद पहले यूनिट टेस्ट में थर्ड आ गया। तब पापा काफी नाराज हुए। हर बार मैं और पिता एक ही थाली में खाना खाते थे, लेकिन यूनिट टेस्ट के रिजल्ट वाले दिन से उन्होंने साथ खाना छोड़ दिया। यह बात मेरे दिल पर लगी। मुझे ऐसा लगा जैसे पिता का प्यार मुझसे छीन गया है। उसके बाद से मैं यही कोशिश करता था कि हर टेस्ट या एग्जाम में फर्स्ट आऊं और मैं आता भी था।’ पढ़ाई से मन हटने पर दिल्ली से वापस आ गए गांव ‘12वीं पास करने के बाद IIT की तैयारी करने दिल्ली गया। वहां मेरा एकदम से पढ़ाई से मन ऊब गया। गर्मी की छुट्टी में घर वापस आया तो मां से कहा- अब नहीं पढूंगा। इस बीच मां के साथ पटना घूमने आया। जिस रिश्तेदार के यहां ठहरा था, वहां बगल में एक भइया सिविल सर्विस की तैयारी कर रहे थे। मैंने उनकी एक किताब उठाकर पढ़नी शुरू कर दी। मुझे उस किताब में लिखी चीजें काफी अच्छी लगी। फिर मैंने मां से कहा कि मैं आगे पढ़ाई जारी रखूंगा।’ पापा ने 10 से 12 बार निकलवाया रिजल्ट मेरा JEE Mains निकल चुका था, पर एडवांस नहीं हुआ था। जिस दिन एडवांस का रिजल्ट आया था मैं घर पर ही था। रिजल्ट चेक करने के लिए मैं और पापा साइबर कैफे गए। रिजल्ट प्रिंट आउट करवाया। रिजल्ट में ‘नॉट क्वालिफाइड फॉर JEE Mains’ लिखा था। इस चीज का मेरे पापा को विश्वास ही नहीं हुआ। वह मानने को तैयार ही नहीं थे कि उनका बेटा फेल हो सकता है। उन्होंने दोबारा रिजल्ट निकलवाया। उसमें भी वही लिखा था। ऐसा करके पापा ने 10 से 12 बार रिजल्ट निकलवाए। जितनी बार वह रिजल्ट प्रिंट आउट करवा रहे थे उतनी बार मैं रो रहा था, क्योंकि मुझे लग रहा था कि मैंने पापा को धोखा दिया है। आखिर में दुकान वाले ने पापा को बोला कि आप जितनी बार भी रिजल्ट निकलवा लीजिए, उसमें हर बार यही चीज दिखाएगा कि नसीन पास नहीं हुआ है। मेरी पढ़ाई के लिए मां ने बेचे गहने IIT की तैयारी के लिए कोटा जाने के लिए मैंने मां से काफी जिद्द की। वह मान गई। एक दिन मां के साथ मार्केट गए, वहां मां ने बहाना बनाते हुए मुझे मार्केट घूमने को कहा और खुद एक गहने की दुकान में चली गई। मैंने छुपकर देखा कि मां गहने गिरवी रख रही है। यह देखकर मुझे बहुत अजीब लगा और मैं रो पड़ा। बाद में मैंने मां से इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि ‘तुमको पढ़ना है न तो पढ़ो, मैं कैसे पढ़ा रही हूं वह मत देखो। तुम बस मन लगाकर पढ़ाई करो और रिजल्ट लाओ।’ कोटा में एडमिशन के लिए कोचिंग संचालक के पकड़े पैर IIT की तैयारी के लिए कोटा गया, पर वहां कोचिंग में एडमिशन के लिए पैसे कम पड़ गए। मैंने कोचिंग संचालक से काफी रिक्वेस्ट की, उन्हें यकीन दिलाया कि मैं पढ़ाई में काफी अच्छा हूं। फिर भी न मानने पर मैंने कोचिंग संचालक के पैर भी पकड़ लिए। कोचिंग संचालक ने मेरे सामने शर्त रखी कि एक महीने बाद टेस्ट होगा, जिसमें अगर मैं 200 नंबर लाता हूं, तो फीस कम हो सकती है। मैंने टेस्ट में 211 नंबर लाए और कम फीस में मेरा एडमिशन हो गया। प्लेसमेंट वाले दिन घर से आए कॉल ने बदल दी जिंदगी इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए IIT BHU में एडमिशन लिया। अपने बैच का टॉपर था। प्लेसमेंट वाले दिन जब मैं फॉर्म भर रहा था, तब मुझे घर से एक कॉल आया, जिसने मेरी जिंदगी बदल दी। दूसरी साइड से आवाज आई मां अब इस दुनिया में नहीं रही। इस बात ने मुझे झकझोर कर रख दिया। मुझे कुछ समझ नहीं आया और सबकुछ छोड़कर वहां से घर चला आया। मां का अंतिम संस्कार किया और अपने घर के बगल में दफना दिया। वहीं, मैं अपनी मां का म्यूजियम बनवाऊंगा। मां की मौत ने प्रशासन को लेकर भरा गुस्सा जब मैं गांव से वापस कॉलेज गया तब मैंने ठान लिया था कि अब किसी कंपनी में जॉब नहीं करुंगा। मां की मौत, एक एक्सीडेंट में हुई थी। उस दिन सरस्वती पूजा का विसर्जन था और प्रशासन की अनदेखी के कारण मां को हॉस्पिटल जाने की जगह नहीं मिली थी। अगर वह समय से हॉस्पिटल पहुंच जाती तो बच जाती। इसलिए मेरे मन में लॉ एंड आर्डर को लेकर गुस्सा भर गया था। मैं लॉ एंड आर्डर से जुड़ी चीज में नौकरी करना चाहता था, ताकि उसमें सुधार ला सकूं। इसलिए मैंने BPSC की तैयारी शुरू की। 2018 में एग्जाम दिया, 2021 में आया रिजल्ट 2018 में एग्जाम दिया था, लेकिन उसका रिजल्ट 2021 में आया। जिस दिन रिजल्ट आने वाला था, उस दिन मैं सोच कर बैठा था कि अगर नहीं निकला तब मैं दिल्ली चला जाऊंगा। जब रिजल्ट आया तब नीचे से सारे पेज में मेरा नाम नहीं था। मेरा मन निराश हो गया। सिर्फ एक पहला पेज बचा था जिसमें मुझे उम्मीद नहीं थी, क्योंकि वह बड़े पोस्ट के लिए थी। मैं उसे देखने ही जा रहा था तभी मेरे घर वाले आकर मुझे कंधे पर उठाकर बधाई देने लगे कि मैं SDM बन गया हूं। जो लोग मारते थे ताने, वही माला पहनाकर दे रहे बधाई जब मैं कॉलेज खत्म कर घर आया था तब रिश्तेदार और पड़ोसी को लगा कि मैं बिना किसी काम के बस घर में बैठा रहता हूं। मैंने BPSC की तैयारी के लिए कहीं कोचिंग नहीं ली। घर में ही तैयारी करता था। लोग मुझे ताने मारने में कोई कसर नहीं छोड़ते थे। रिश्तेदार बोलते थे कि अब कौन सा नया शौक चढ़ा है। फिर जिस दिन नसीन का रिजल्ट निकला और मैंने क्वालीफाई कर लिया, तब वही लोग माला लेकर मेरे घर आए और बधाई देने लगे। मेंस की तैयारी करने वालों के लिए टिप्स बीपीएससी मेन्स की तैयारी कर रहे छात्रों को सुझाव देते हुए नसीन कहते हैं, ‘अभ्यर्थियों को आंसर राइटिंग ज्यादा से ज्यादा करनी चाहिए। मॉक टेस्ट देने चाहिए। NCERT की किताबों को खासकर पढ़ना चाहिए। हिस्ट्री, जियोग्राफी के लिए यह किताब काफी मददगार होती है। युवाओं के लिए मेरा यही मैसेज है कि ‘थोड़ा ऊंचा सोचे क्योंकि अगर गिरे भी तो इतनी ऊंचाई पर रहे कि काम हो जाए।’ स्ट्रेस, बोरडम मैनेज करना बहुत जरूरी आपको BPSC की बेहतर तैयारी के लिए स्ट्रेस कम करने पर काम करना होगा। बहुत जरूरी है कि आपकी तैयारी हेल्दी हो। मैंने इस तरह अपनी तैयारी को स्ट्रेस फ्री रखा… ‘कॉलेज में प्लेसमेंट फॉर्म भर रहा था, तभी घर से अचानक कॉल आया कि मां अब नहीं रही। मां की जान विसर्जन में प्रशासन की अनदेखी के कारण गई थी। तब मेरे मन में लॉ एंड ऑर्डर को लेकर काफी गुस्सा भरा था। तभी मैंने इसमें सुधार लाने की ठानी और BPSC की तैयारी शुरू कर दी।’ यह कहते हुए नसीन कुमार निशांत की आंखों में आंसू आ जाते हैं। उन्हें अपनी मां की कमी बहुत खलती है। सभी मुश्किलों के बावजूद उन्होंने 22 साल की उम्र में फर्स्ट अटेम्प्ट में ही BPSC क्रैक किया है। जो रिश्तेदार और पड़ोसी उन्हें ताना मारते थे, आज वही माला पहनाकर सम्मान देते हैं। भास्कर की स्पेशल सीरीज ‘BPSC सक्सेस स्टोरी’ में अगली कहानी सीतामढ़ी के नसीन कुमार निशांत की। इस सीरीज में हम BPSC एग्जाम को क्रैक करने वाले लोगों की कहानी आपके साथ साझा कर रहे हैं। नसीन ने फर्स्ट अटेम्प्ट में ही BPSC क्लियर कर लिया था। उन्होंने 64वीं बिहार प्रशासनिक सेवा परीक्षा में 140वीं रैंक हासिल की थी। अभी वह मधुबनी में सीनियर डिप्टी कलेक्टर हैं। आगे की कहानी पढ़िए और देखिए…नसीन की जुबानी… नसीन का जन्म सीतामढ़ी जिले के बासोपट्टी गांव में हुआ था। 7 भाई-बहनों में सबसे छोटे नसीन, पढ़ने के लिए सरकारी स्कूल में बोरा लेकर जाते थे। उन्होंने 5वीं कक्षा तक इसी सरकारी स्कूल से पढ़ाई की। पिता महेंद्र पासवान एडवोकेट हैं और मां मंजू कुमारी सरकारी स्कूल की शिक्षिका थीं। नसीन बताते हैं, ‘बचपन से ही पढ़ाई में बहुत अच्छा था। अंग्रेजी अच्छी होने के कारण मेरा एडमिशन प्राइवेट स्कूल में करवाया गया। इसके लिए मैं सीतामढ़ी के छोटे से शहर पुपरी के DAV स्कूल में एंट्रेंस एग्जाम देने गया। जब पापा के साथ DAV पहुंचा तब उन्होंने स्कूल की ऊंची बिल्डिंग दिखाकर कहा- ‘अगर इससे ऊंचा नाम कमाओगे तभी आगे बढ़ो, नहीं तो वापस घर चलो।’ तब मैंने पापा कहा, ‘अगर मैं इसमें घुस गया तो फर्स्ट ही करूंगा।’ पिता ने साथ में एक थाली में खाना छोड़ दिया ‘DAV स्कूल में एंट्रेंस एग्जाम में फर्स्ट आया था, लेकिन एडमिशन के बाद पहले यूनिट टेस्ट में थर्ड आ गया। तब पापा काफी नाराज हुए। हर बार मैं और पिता एक ही थाली में खाना खाते थे, लेकिन यूनिट टेस्ट के रिजल्ट वाले दिन से उन्होंने साथ खाना छोड़ दिया। यह बात मेरे दिल पर लगी। मुझे ऐसा लगा जैसे पिता का प्यार मुझसे छीन गया है। उसके बाद से मैं यही कोशिश करता था कि हर टेस्ट या एग्जाम में फर्स्ट आऊं और मैं आता भी था।’ पढ़ाई से मन हटने पर दिल्ली से वापस आ गए गांव ‘12वीं पास करने के बाद IIT की तैयारी करने दिल्ली गया। वहां मेरा एकदम से पढ़ाई से मन ऊब गया। गर्मी की छुट्टी में घर वापस आया तो मां से कहा- अब नहीं पढूंगा। इस बीच मां के साथ पटना घूमने आया। जिस रिश्तेदार के यहां ठहरा था, वहां बगल में एक भइया सिविल सर्विस की तैयारी कर रहे थे। मैंने उनकी एक किताब उठाकर पढ़नी शुरू कर दी। मुझे उस किताब में लिखी चीजें काफी अच्छी लगी। फिर मैंने मां से कहा कि मैं आगे पढ़ाई जारी रखूंगा।’ पापा ने 10 से 12 बार निकलवाया रिजल्ट मेरा JEE Mains निकल चुका था, पर एडवांस नहीं हुआ था। जिस दिन एडवांस का रिजल्ट आया था मैं घर पर ही था। रिजल्ट चेक करने के लिए मैं और पापा साइबर कैफे गए। रिजल्ट प्रिंट आउट करवाया। रिजल्ट में ‘नॉट क्वालिफाइड फॉर JEE Mains’ लिखा था। इस चीज का मेरे पापा को विश्वास ही नहीं हुआ। वह मानने को तैयार ही नहीं थे कि उनका बेटा फेल हो सकता है। उन्होंने दोबारा रिजल्ट निकलवाया। उसमें भी वही लिखा था। ऐसा करके पापा ने 10 से 12 बार रिजल्ट निकलवाए। जितनी बार वह रिजल्ट प्रिंट आउट करवा रहे थे उतनी बार मैं रो रहा था, क्योंकि मुझे लग रहा था कि मैंने पापा को धोखा दिया है। आखिर में दुकान वाले ने पापा को बोला कि आप जितनी बार भी रिजल्ट निकलवा लीजिए, उसमें हर बार यही चीज दिखाएगा कि नसीन पास नहीं हुआ है। मेरी पढ़ाई के लिए मां ने बेचे गहने IIT की तैयारी के लिए कोटा जाने के लिए मैंने मां से काफी जिद्द की। वह मान गई। एक दिन मां के साथ मार्केट गए, वहां मां ने बहाना बनाते हुए मुझे मार्केट घूमने को कहा और खुद एक गहने की दुकान में चली गई। मैंने छुपकर देखा कि मां गहने गिरवी रख रही है। यह देखकर मुझे बहुत अजीब लगा और मैं रो पड़ा। बाद में मैंने मां से इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि ‘तुमको पढ़ना है न तो पढ़ो, मैं कैसे पढ़ा रही हूं वह मत देखो। तुम बस मन लगाकर पढ़ाई करो और रिजल्ट लाओ।’ कोटा में एडमिशन के लिए कोचिंग संचालक के पकड़े पैर IIT की तैयारी के लिए कोटा गया, पर वहां कोचिंग में एडमिशन के लिए पैसे कम पड़ गए। मैंने कोचिंग संचालक से काफी रिक्वेस्ट की, उन्हें यकीन दिलाया कि मैं पढ़ाई में काफी अच्छा हूं। फिर भी न मानने पर मैंने कोचिंग संचालक के पैर भी पकड़ लिए। कोचिंग संचालक ने मेरे सामने शर्त रखी कि एक महीने बाद टेस्ट होगा, जिसमें अगर मैं 200 नंबर लाता हूं, तो फीस कम हो सकती है। मैंने टेस्ट में 211 नंबर लाए और कम फीस में मेरा एडमिशन हो गया। प्लेसमेंट वाले दिन घर से आए कॉल ने बदल दी जिंदगी इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए IIT BHU में एडमिशन लिया। अपने बैच का टॉपर था। प्लेसमेंट वाले दिन जब मैं फॉर्म भर रहा था, तब मुझे घर से एक कॉल आया, जिसने मेरी जिंदगी बदल दी। दूसरी साइड से आवाज आई मां अब इस दुनिया में नहीं रही। इस बात ने मुझे झकझोर कर रख दिया। मुझे कुछ समझ नहीं आया और सबकुछ छोड़कर वहां से घर चला आया। मां का अंतिम संस्कार किया और अपने घर के बगल में दफना दिया। वहीं, मैं अपनी मां का म्यूजियम बनवाऊंगा। मां की मौत ने प्रशासन को लेकर भरा गुस्सा जब मैं गांव से वापस कॉलेज गया तब मैंने ठान लिया था कि अब किसी कंपनी में जॉब नहीं करुंगा। मां की मौत, एक एक्सीडेंट में हुई थी। उस दिन सरस्वती पूजा का विसर्जन था और प्रशासन की अनदेखी के कारण मां को हॉस्पिटल जाने की जगह नहीं मिली थी। अगर वह समय से हॉस्पिटल पहुंच जाती तो बच जाती। इसलिए मेरे मन में लॉ एंड आर्डर को लेकर गुस्सा भर गया था। मैं लॉ एंड आर्डर से जुड़ी चीज में नौकरी करना चाहता था, ताकि उसमें सुधार ला सकूं। इसलिए मैंने BPSC की तैयारी शुरू की। 2018 में एग्जाम दिया, 2021 में आया रिजल्ट 2018 में एग्जाम दिया था, लेकिन उसका रिजल्ट 2021 में आया। जिस दिन रिजल्ट आने वाला था, उस दिन मैं सोच कर बैठा था कि अगर नहीं निकला तब मैं दिल्ली चला जाऊंगा। जब रिजल्ट आया तब नीचे से सारे पेज में मेरा नाम नहीं था। मेरा मन निराश हो गया। सिर्फ एक पहला पेज बचा था जिसमें मुझे उम्मीद नहीं थी, क्योंकि वह बड़े पोस्ट के लिए थी। मैं उसे देखने ही जा रहा था तभी मेरे घर वाले आकर मुझे कंधे पर उठाकर बधाई देने लगे कि मैं SDM बन गया हूं। जो लोग मारते थे ताने, वही माला पहनाकर दे रहे बधाई जब मैं कॉलेज खत्म कर घर आया था तब रिश्तेदार और पड़ोसी को लगा कि मैं बिना किसी काम के बस घर में बैठा रहता हूं। मैंने BPSC की तैयारी के लिए कहीं कोचिंग नहीं ली। घर में ही तैयारी करता था। लोग मुझे ताने मारने में कोई कसर नहीं छोड़ते थे। रिश्तेदार बोलते थे कि अब कौन सा नया शौक चढ़ा है। फिर जिस दिन नसीन का रिजल्ट निकला और मैंने क्वालीफाई कर लिया, तब वही लोग माला लेकर मेरे घर आए और बधाई देने लगे। मेंस की तैयारी करने वालों के लिए टिप्स बीपीएससी मेन्स की तैयारी कर रहे छात्रों को सुझाव देते हुए नसीन कहते हैं, ‘अभ्यर्थियों को आंसर राइटिंग ज्यादा से ज्यादा करनी चाहिए। मॉक टेस्ट देने चाहिए। NCERT की किताबों को खासकर पढ़ना चाहिए। हिस्ट्री, जियोग्राफी के लिए यह किताब काफी मददगार होती है। युवाओं के लिए मेरा यही मैसेज है कि ‘थोड़ा ऊंचा सोचे क्योंकि अगर गिरे भी तो इतनी ऊंचाई पर रहे कि काम हो जाए।’ स्ट्रेस, बोरडम मैनेज करना बहुत जरूरी आपको BPSC की बेहतर तैयारी के लिए स्ट्रेस कम करने पर काम करना होगा। बहुत जरूरी है कि आपकी तैयारी हेल्दी हो। मैंने इस तरह अपनी तैयारी को स्ट्रेस फ्री रखा…  

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