मनीष तिवारी की मांग- सांसदों को वोटिंग की आजादी मिले:लोकसभा में प्राइवेट बिल पेश किया, कहा- पार्टी व्हिप जारी कर वोट तय न करे

मनीष तिवारी की मांग- सांसदों को वोटिंग की आजादी मिले:लोकसभा में प्राइवेट बिल पेश किया, कहा- पार्टी व्हिप जारी कर वोट तय न करे

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने सांसदों को व्हिप की बाध्यता को कम करने के लिए लोकसभा में एक प्राइवेट बिल पेश किया है। इसमें उन्होंने प्रस्ताव दिया है कि अच्छे कानून बनाने के लिए सांसदों को व्हिप से मुक्त किया जाए, ताकि वे पार्टी लाइन से हटकर भी वोट कर सकें। शुक्रवार को दलबदल रोधी कानून में संशोधन के लिए गैर-सरकार विधेयक पेश करने वाले तिवारी ने कहा कि इस बदलाव से सांसद जनता की आवाज के मुताबिक फैसला करेंगे, न कि सिर्फ पार्टी आदेशों के अनुसार। उन्होंने रविवार को X पर पेश करने की जानकारी दी। तिवारी ने कहा- इसका इरादा अच्छे कानून बनाना और लोकतंत्र में सांसदों की आजाद राय सुनिश्चित करना है। ताकि वे पार्टी लाइन का पालन किए बिना अपने विवेक से किसी भी बिल-प्रस्ताव पर वोट करने या न करने का फैसला ले सकें। फिलहाल यदि सांसद पार्टी व्हिप के खिलाफ जाकर वोट करते हैं तो उनकी सदस्यता खतरे में पड़ जाती है लेकिन इस बिल से सांसदों की सदस्यता सिर्फ तभी खत्म होगी, जब वे विश्वास-अविश्वास प्रस्ताव, स्थगन प्रस्ताव, मनी बिल या वित्तीय मामलों पर पार्टी निर्देश के खिलाफ वोट दें या अनुपस्थित रहें। अन्य मामलों में वे अपनी स्वतंत्र राय से वोट कर सकेंगे। बिल में प्रस्ताव- स्पीकर बताए पार्टी निर्देश किसी बिल या प्रस्ताव पर जारी पार्टी निर्देश की जानकारी हाउस के चेयरमैन या स्पीकर सदन में घोषित करेंगे। यदि कोई सदस्य निर्देश के खिलाफ जाता है, तो सदस्यता स्वतः समाप्त मानी जाएगी। सदस्य को 15 दिनों के भीतर स्पीकर/चेयरमैन के पास अपील करने का अधिकार होगा और अपील का निपटारा 60 दिनों में होना चाहिए। तिवारी बोले- अब अच्छे कानून नहीं बन पाते कांग्रेस सांसद ने कहा कि संसद में कई बार कोरम पूरा नहीं होता और लॉमेकिंग में सांसदों की भूमिका सीमित हो गई है। कानून मंत्रालय में तैयार होते हैं, मंत्री तैयार बयान पढ़ते हैं और व्हिप के कारण ट्रेजरी और विपक्ष दोनों तयशुदा लाइन पर वोट करते हैं। इससे संसदीय चर्चा और रिसर्च आधारित कानून निर्माण कमजोर हुआ है। अच्छा कानून बनाना अब इतिहास की बात हो गई है। उन्होंने कहा कि 1950 से 1985 तक व्हिप तो लगाए जाते थे, लेकिन वे बाध्यकारी नहीं थे। 1967 में ‘आया राम गया राम’ की घटनाओं के बाद दलबदल बढ़ा और आखिर में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 10वां शेड्यूल लागू किया। तिवारी ने बताया कि यह उनका तीसरा प्रयास है। इससे पहले वे 2010 और 2021 में भी इस तरह का बिल पेश कर चुके हैं। पिछले सप्ताह उन्होंने एंटी-डिफेक्शन कानून में संशोधन के लिए एक और बिल पेश किया था। —————————————— ये खबर भी पढ़ें… वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे, लोकसभा में चर्चा, आखिर सरकार क्यों इस पर बहस चाहती है, 5 वजह संसद के शीतकालीन सत्र के छठे दिन सोमवार को लोकसभा में वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने पर चर्चा की जानी है। इसके लिए 10 घंटे का समय तय किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दोपहर 12 बजे इस चर्चा की शुरुआत करेंगे। पूरी खबर पढ़ें…

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