Corruption in MahaKumbh: प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ 2025 के दौरान उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (UPSRTC) में बड़ा वित्तीय घोटाला सामने आया है। महाकुंभ जैसे भव्य आयोजन में जहां 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान कर पुण्य लाभ प्राप्त किया, वहीं दूसरी ओर श्रद्धालुओं की सुविधाओं के नाम पर करोड़ों रुपये की हेराफेरी की गई।
प्रभारी आरएम को मिली थी खरीद की पूरी छूट
परिवहन निगम ने प्रयागराज के प्रभारी क्षेत्रीय प्रबंधक मनोज कुमार त्रिवेदी को महाकुंभ के दौरान आवश्यक वस्तुओं की खरीद का अधिकार दिया था। लेकिन इस अधिकार का दुरुपयोग करते हुए उन्होंने नियमों को दरकिनार कर व्यापक वित्तीय अनियमितताएं कीं।
कोटेशन के आधार पर की गई खरीद, जेम पोर्टल को किया नजरअंदाज
ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि कंप्यूटर, एसी और सीसीटीवी जैसे इलेक्ट्रॉनिक सामान बिना तकनीकी विशिष्टताओं के केवल कोटेशन पर खरीदे गए। जबकि सरकारी खरीद के लिए आवश्यक जेम पोर्टल का पालन नहीं किया गया। यही नहीं, सिविल वर्क के लिए भी पीडब्ल्यूडी की दरों की बजाय मनमाने ढंग से एस्टीमेट तैयार कर काम कराए गए।
क्रय समिति के नियमों की भी उड़ाई धज्जियां
रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि प्रभारी आरएम ने खुद को समिति अध्यक्ष न बनाकर एक सेवा प्रबंधक को क्रय समिति का अध्यक्ष बना दिया, जो नियमों के स्पष्ट उल्लंघन के अंतर्गत आता है।
जांच रिपोर्टों में पुष्टि, फिर भी कोर्ट की शरण में पहुंचे अधिकारी
17 जनवरी को प्रारंभिक ऑडिट के आदेश के बाद 11 मार्च को पहली रिपोर्ट और 24 अप्रैल को दूसरी जांच रिपोर्ट में त्रिवेदी की वित्तीय अनियमितताओं की पुष्टि हुई। इसके बाद उन्हें 17 अप्रैल को मुख्यालय से अटैच करने का आदेश जारी किया गया, लेकिन उन्होंने कोर्ट में अपील कर पुनः अपने पुराने पद पर बने रहने की मांग की।
अब फिर से मुख्यालय अटैच, निष्पक्ष जांच के निर्देश
8 मई को परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक मासूम अली सरवर ने आदेश जारी कर मनोज कुमार त्रिवेदी को लखनऊ मुख्यालय में प्रबंधक (संचालन) पद पर कार्यभार ग्रहण करने का निर्देश दिया। आदेश में स्पष्ट किया गया कि निष्पक्ष जांच के लिए उन्हें प्रयागराज क्षेत्रीय प्रबंधक पद से हटाया गया है।
भविष्य में बड़ी कार्रवाई के संकेत
परिवहन निगम के अपर प्रबंध निदेशक राम सिंह वर्मा ने कहा कि जांच में वित्तीय अनियमितताओं की पुष्टि हो चुकी है और अब विस्तृत जांच कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यह मामला यूपी रोडवेज में पारदर्शिता और जवाबदेही के सवाल खड़े करता है।
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