Mahakumbh 2025:देश भर की राष्ट्रीय स्मारकों पर दिखेगी महाकुंभ की झलक, एएसआई ने की तैयारी

Mahakumbh 2025:देश भर की राष्ट्रीय स्मारकों पर दिखेगी महाकुंभ की झलक, एएसआई ने की तैयारी

Mahakumbh 2025:प्रयागराज में 13 जनवरी से महाकुंभ शुरू होने जा रहा है। महाकुंभ के लिए यूपी सरकार तमाम तैयारियां कर रही हैं। वहीं दूसरी ओर केंद्र ने भी कुंभ को खास बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। कुछ दिन पूर्व ही प्रयागराज महाकुंभ का लोगो जारी हुआ था। अब एएसआई भी देश के कई राज्यों की संरक्षित स्मारकों पर प्रयागराज महाकुंभ के लोगो को अत्याधुनिक लाइटों से जगमगाकर  प्रदर्शित करने की तैयारी कर रहा है। एएसआई ने उत्तराखंड में जागेश्वर धाम को इसके लिए चुना है। एएसआई जागेश्वर मंदिर समूह को सोमवार रात आधुनिक लाइटों से जगमग कर महाकुंभ का लोगो प्रदर्शित करेगी। उस रात अत्याधुनिक लाइटों से जगमग जागेश्वर मंदिर समूह की शोभा देखने लायक होगी। इसके लिए एएसआई की टीम जल्द ही जागेश्वर धाम पहुंचने वाली है। एएसआई देहरादून मंडल के अधीक्षण पुरातत्वविद मनोज कुमार सक्सेना ने बताया कि प्रयागराज महाकुंभ के लोगो को राष्ट्रीय स्माराकों में प्रदर्शित करने के निर्देश मिले हैं। बताया कि जागेश्वर मंदिर समूह में भी सोमवार रात लाइटों के जरिए प्रयागराज महाकुंभ का आकर्षक लोगो प्रदर्शित किया जाएगा।

जी-20 का भी लोगो हुआ था प्रदर्शित

उत्तराखंड के जागेश्वर मंदिर समूह में 2023 में जी-20 शिखर सम्मेलन का लोगो भी एएसआई ने प्रदर्शित किया था। एएसआई ने जी-20 सम्मेलन के लिए भी देश  की कई संरक्षित स्मारकों को चुना था। उनमें उत्तराखंड से इकलौते जागेश्वर मंदिर समूह भी शामिल था। अब एएसआई ने प्रयागराज महाकुंभ के लोगो को प्रदर्शित करने के लिए भी राज्य में जागेश्वर मंदिर समूह का चयन किया है। इससे  जागेश्वर मंदिर प्रबंधन समिति और पुजारियों में खुशी का माहौल है। जागेश्वर मंदिर प्रबंधन समिति के उपाध्यक्ष नवीन चंद्र भट्ट ने कहा कि प्रयागराज महाकुंभ के लोगो को प्रदर्शित करने के लिए एएसआई ने जागेश्वर मंदिर समूह को चुना है, जोकि पूरे जिले के लिए गर्व की बात है।

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जागेश्वर धाम के बारे में जानें

जागेश्वर मंदिर समूह उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिला मुख्यालय से करीब 36 किमी दूरी पर स्थित है। जागेश्वर में 125 प्राचीन मंदिरों का समूह है। ये मंदिर सातवीं सदी से लेकर 14वीं सदी तक बने हुए हैं। ये प्राचीन मंदिर उत्कृष्ट शिल्पकला की बानगी पेश करते हैं। माना जाता है कि भगवान शिव की लिंग रूप में पूजा की शुरुआत जागेश्वर धाम से हुई थी। जागेश्वर धाम को देश का आठवां ज्योतिर्लिंग माना जाता है। यहां पर जागेश्वर, महामृत्युंजय, पुष्टि देवी, केदारनाथ आदि मंदिर प्रमुख हैं। ये मंदिर समूह चारों ओर देवदार वृक्षों से घिरा हुआ है।

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