होली के लिए लालू ने जज से लगाई थी गुहार:राबड़ी आवास में गार्ड, कार्यकर्ता और नेता के साथ झूमते थे लालू, राबड़ी खिलाती थीं पुआ

होली के लिए लालू ने जज से लगाई थी गुहार:राबड़ी आवास में गार्ड, कार्यकर्ता और नेता के साथ झूमते थे लालू, राबड़ी खिलाती थीं पुआ

उघार बदन.. गले में लटकता फटा कुर्ता.. कमर में ढोलक और जोगीरा सरा रा रा रा रा… गाते लालू। बिहार के पूर्व CM और RJD सुप्रीमो जब तक स्वस्थ रहे इसी अंदाज में होली मनाते रहे। इनके होली की चर्चा बिहार से लेकर देश भर में होती रही। लालू की होली का मतलब सब कुछ भूल जाने की होली… उल्लास की होली, लोक गीत, लौंडा नाच से लेकर बाकी वह सब कुछ होता था, जिसमें लालू डूब जाते थे। लालू की होली का मतलब कुर्ता फाड़ होली। इनकी होली में रंग-गुलाल से लेकर पुआ तक होता था। होली के दिन कार्यकर्ता से लेकर मंत्री तक सभी उनके सरकारी आवास पर पहुंचते थे। सुबह 10-11 बजे तक वह इनके बीच पहुंचते थे। उस दिन VVIP कल्चर को पूरी तरह किनारे रखकर कार्यकर्ता-नेता सब साथ में झूमते थे। CM हाउस में खेलते थे होली लालू गांव से जो होली खेलकर पटना पहुंचे थे, उन्होंने अपनी उसी परंपरा को पटना में भी बरकरार रखा। 1990 के बाद जब वे CM बने तब उन्होंने इसे और लोकप्रिय बना दिया। 1990 से 1997 के दौरान जब वे सीएम रहे तब उन्होंने कुर्ता फाड़ होली की परंपरा को काफी लोकप्रिय बना दिया था। वे CM हाउस के अहाते में ही होली मिलन का आयोजन करते थे। सुबह 7 बजे से ही लोग उनके आवास पर पहुंचने लगते थे। फाग के बीच रंग का दौर चलता था। इस दौरान वे अपने समर्थकों, कार्यकर्ताओं और नेताओं के साथ ढोल-मंजीरा लेकर बैठते थे और फाग गीत गाते थे। वहीं, लालू के आवास पर दोपहर होते-होते यह कार्यक्रम कुर्ता फाड़ होली में तब्दील हो जाता था। इसमें वहां मौजूद सभी लोग एक-दूसरे के कुर्ते फाड़ते थे। यहां तक कि लालू प्रसाद यादव का भी कुर्ता नहीं बचता था। लालू होली गाते थे, राबड़ी रंग डालती थीं लालू यादव के आवास पर कुर्ता फाड़ होली नेता और कार्यकर्ताओं के बीच की औपचारिक दूरी को मिटाने की प्रतीक थी। शाम को अबीर-गुलाल और होली गायन होता था। होली के गीतों के बीच लालू प्रसाद यादव खुद ढोल बजाते थे। सबसे खास बात यह थी कि लालू गाते थे और राबड़ी देवी उनके ऊपर रंग डालती थीं। राबड़ी देवी भी नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ जमकर होली खेलती थीं। जब लालू ने जज से लगाई होली के लिए गुहार जबसे लालू यादव को चारा घोटाले मामले में सजा हुई और वे जेल गए तब से राबड़ी आवास से होली का रंग फीका हो गया। लगभग 10 साल पहले की बात है, होली में बस कुछ दिन बचा था। लालू की जमानत पर सुनवाई चल रही थी। चारा घोटाला मामले की सुनवाई के दौरान लालू यादव ने जज से कहा था- ‘हुजूर, होली नजदीक है, फैसला जल्द कर दीजिए ना।’ हालांकि, इस गुहार का भी उन्हें बहुत ज्यादा लाभ नहीं मिला, उन्हें जमानत नहीं मिली। जमानत मिलने के बाद वे कई तरह की बीमारियों से जूझ रहे हैं। इसके कारण भी अब लालू के पहले की तरह होली की महफिल नहीं सजती है। सवाल पूछने पर कहा- नीतीश को विश करूं या किश करूं एक बार होली के मौके पर जब पत्रकारों ने लालू से सवाल पूछा कि क्या आप नीतीश कुमार को होली पर विश करेंगे? तब पूरे होलियााना अंदाज में लालू ने जवाब दिया था, ‘नीतीश को विश करेंगे या किस करें। आज विश करने का दिन हैं या किस करने का, चलो।’ इतना कहकर लालू हंसने लगे और फिर जोगिरा सा रा रा रा गीत गाने लगे। नीतीश को तिलक लगाते थे लालू लालू और नीतीश जब संग होली खेलते तो एक-दूसरे को तिलक लगाते थे। दोनों मर्यादा का ख्याल रखते थे। लालू पत्रकारों को भी रंग डालने से नहीं चूकते थे। लालू के बयानों में, उनके रहन-सहन में उनके हर अंदाज में गांव का ठेठपन दिखता रहा है। होली में तो यह ठेठपन अपने पूरे उठान पर होता। उघार बदन.. गले में लटकता फटा कुर्ता.. कमर में ढोलक और जोगीरा सरा रा रा रा रा… गाते लालू। बिहार के पूर्व CM और RJD सुप्रीमो जब तक स्वस्थ रहे इसी अंदाज में होली मनाते रहे। इनके होली की चर्चा बिहार से लेकर देश भर में होती रही। लालू की होली का मतलब सब कुछ भूल जाने की होली… उल्लास की होली, लोक गीत, लौंडा नाच से लेकर बाकी वह सब कुछ होता था, जिसमें लालू डूब जाते थे। लालू की होली का मतलब कुर्ता फाड़ होली। इनकी होली में रंग-गुलाल से लेकर पुआ तक होता था। होली के दिन कार्यकर्ता से लेकर मंत्री तक सभी उनके सरकारी आवास पर पहुंचते थे। सुबह 10-11 बजे तक वह इनके बीच पहुंचते थे। उस दिन VVIP कल्चर को पूरी तरह किनारे रखकर कार्यकर्ता-नेता सब साथ में झूमते थे। CM हाउस में खेलते थे होली लालू गांव से जो होली खेलकर पटना पहुंचे थे, उन्होंने अपनी उसी परंपरा को पटना में भी बरकरार रखा। 1990 के बाद जब वे CM बने तब उन्होंने इसे और लोकप्रिय बना दिया। 1990 से 1997 के दौरान जब वे सीएम रहे तब उन्होंने कुर्ता फाड़ होली की परंपरा को काफी लोकप्रिय बना दिया था। वे CM हाउस के अहाते में ही होली मिलन का आयोजन करते थे। सुबह 7 बजे से ही लोग उनके आवास पर पहुंचने लगते थे। फाग के बीच रंग का दौर चलता था। इस दौरान वे अपने समर्थकों, कार्यकर्ताओं और नेताओं के साथ ढोल-मंजीरा लेकर बैठते थे और फाग गीत गाते थे। वहीं, लालू के आवास पर दोपहर होते-होते यह कार्यक्रम कुर्ता फाड़ होली में तब्दील हो जाता था। इसमें वहां मौजूद सभी लोग एक-दूसरे के कुर्ते फाड़ते थे। यहां तक कि लालू प्रसाद यादव का भी कुर्ता नहीं बचता था। लालू होली गाते थे, राबड़ी रंग डालती थीं लालू यादव के आवास पर कुर्ता फाड़ होली नेता और कार्यकर्ताओं के बीच की औपचारिक दूरी को मिटाने की प्रतीक थी। शाम को अबीर-गुलाल और होली गायन होता था। होली के गीतों के बीच लालू प्रसाद यादव खुद ढोल बजाते थे। सबसे खास बात यह थी कि लालू गाते थे और राबड़ी देवी उनके ऊपर रंग डालती थीं। राबड़ी देवी भी नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ जमकर होली खेलती थीं। जब लालू ने जज से लगाई होली के लिए गुहार जबसे लालू यादव को चारा घोटाले मामले में सजा हुई और वे जेल गए तब से राबड़ी आवास से होली का रंग फीका हो गया। लगभग 10 साल पहले की बात है, होली में बस कुछ दिन बचा था। लालू की जमानत पर सुनवाई चल रही थी। चारा घोटाला मामले की सुनवाई के दौरान लालू यादव ने जज से कहा था- ‘हुजूर, होली नजदीक है, फैसला जल्द कर दीजिए ना।’ हालांकि, इस गुहार का भी उन्हें बहुत ज्यादा लाभ नहीं मिला, उन्हें जमानत नहीं मिली। जमानत मिलने के बाद वे कई तरह की बीमारियों से जूझ रहे हैं। इसके कारण भी अब लालू के पहले की तरह होली की महफिल नहीं सजती है। सवाल पूछने पर कहा- नीतीश को विश करूं या किश करूं एक बार होली के मौके पर जब पत्रकारों ने लालू से सवाल पूछा कि क्या आप नीतीश कुमार को होली पर विश करेंगे? तब पूरे होलियााना अंदाज में लालू ने जवाब दिया था, ‘नीतीश को विश करेंगे या किस करें। आज विश करने का दिन हैं या किस करने का, चलो।’ इतना कहकर लालू हंसने लगे और फिर जोगिरा सा रा रा रा गीत गाने लगे। नीतीश को तिलक लगाते थे लालू लालू और नीतीश जब संग होली खेलते तो एक-दूसरे को तिलक लगाते थे। दोनों मर्यादा का ख्याल रखते थे। लालू पत्रकारों को भी रंग डालने से नहीं चूकते थे। लालू के बयानों में, उनके रहन-सहन में उनके हर अंदाज में गांव का ठेठपन दिखता रहा है। होली में तो यह ठेठपन अपने पूरे उठान पर होता।  

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