बांका में कृषि नवाचार के तहत पहली बार लेडी रोसेटा आलू की खेती शुरू हुई है। इस विशेष किस्म का उपयोग चिप्स और फ्रेंच फ्राइज बनाने में होता है। उद्यान विभाग ने सब्जी विकास योजना के अंतर्गत किसानों को 75 प्रतिशत अनुदान पर बीज उपलब्ध कराए हैं। जिले के विभिन्न प्रखंडों से ऑनलाइन आवेदन के आधार पर 97 किसानों का चयन इस योजना के लिए किया गया है। इस उन्नत किस्म की खेती के लिए 40 हेक्टेयर का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। प्रति हेक्टेयर खेती की लागत 1 लाख 25 हजार 150 रुपए है, जिसमें से विभाग 94 हजार रुपए तक का अनुदान दे रहा है। एक किसान को न्यूनतम 0.25 एकड़ से अधिकतम दो हेक्टेयर तक खेती करने की अनुमति मिली है। जल्दी खराब नहीं होता रोसेटा आलू उद्यान विभाग के अनुसार, लेडी रोसेटा आलू की मुख्य खासियत इसका लाल छिलका, मजबूत सतह और बेहतर भंडारण क्षमता है। यह आलू जल्दी खराब नहीं होता। इसका उपयोग चिप्स, कुरकुरे और फ्रेंच फ्राइज जैसे प्रसंस्करण उद्योगों में बड़े पैमाने पर होता है। बाजार में इसकी कीमत सामान्य आलू से अधिक मिलती है। एक हेक्टेयर के लिए 30 क्विंटल बीज की आवश्यकता एक हेक्टेयर खेती के लिए लगभग 30 क्विंटल बीज की आवश्यकता होती है। यह फसल 100 से 110 दिनों में तैयार हो जाती है, जिससे किसान समय पर कटाई कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल जिले के किसानों की आय बढ़ाने में महत्वपूर्ण साबित होगी। सहायक उद्यान निदेशक दिवाकर कुमार भारती ने बताया कि किसानों को अनुदानित बीज के साथ-साथ उपज के लिए बाजार भी सुनिश्चित किए जा रहे हैं। इससे किसानों को मार्केटिंग की समस्या नहीं होगी। उन्होंने कहा कि लेडी रोसेटा आलू की देशभर में भारी मांग है, जिससे यह फसल बांका जिले के किसानों के लिए बेहद लाभकारी सिद्ध होगी। बांका में कृषि नवाचार के तहत पहली बार लेडी रोसेटा आलू की खेती शुरू हुई है। इस विशेष किस्म का उपयोग चिप्स और फ्रेंच फ्राइज बनाने में होता है। उद्यान विभाग ने सब्जी विकास योजना के अंतर्गत किसानों को 75 प्रतिशत अनुदान पर बीज उपलब्ध कराए हैं। जिले के विभिन्न प्रखंडों से ऑनलाइन आवेदन के आधार पर 97 किसानों का चयन इस योजना के लिए किया गया है। इस उन्नत किस्म की खेती के लिए 40 हेक्टेयर का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। प्रति हेक्टेयर खेती की लागत 1 लाख 25 हजार 150 रुपए है, जिसमें से विभाग 94 हजार रुपए तक का अनुदान दे रहा है। एक किसान को न्यूनतम 0.25 एकड़ से अधिकतम दो हेक्टेयर तक खेती करने की अनुमति मिली है। जल्दी खराब नहीं होता रोसेटा आलू उद्यान विभाग के अनुसार, लेडी रोसेटा आलू की मुख्य खासियत इसका लाल छिलका, मजबूत सतह और बेहतर भंडारण क्षमता है। यह आलू जल्दी खराब नहीं होता। इसका उपयोग चिप्स, कुरकुरे और फ्रेंच फ्राइज जैसे प्रसंस्करण उद्योगों में बड़े पैमाने पर होता है। बाजार में इसकी कीमत सामान्य आलू से अधिक मिलती है। एक हेक्टेयर के लिए 30 क्विंटल बीज की आवश्यकता एक हेक्टेयर खेती के लिए लगभग 30 क्विंटल बीज की आवश्यकता होती है। यह फसल 100 से 110 दिनों में तैयार हो जाती है, जिससे किसान समय पर कटाई कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल जिले के किसानों की आय बढ़ाने में महत्वपूर्ण साबित होगी। सहायक उद्यान निदेशक दिवाकर कुमार भारती ने बताया कि किसानों को अनुदानित बीज के साथ-साथ उपज के लिए बाजार भी सुनिश्चित किए जा रहे हैं। इससे किसानों को मार्केटिंग की समस्या नहीं होगी। उन्होंने कहा कि लेडी रोसेटा आलू की देशभर में भारी मांग है, जिससे यह फसल बांका जिले के किसानों के लिए बेहद लाभकारी सिद्ध होगी।


