Philemon Yang: विदेश मंत्री एस जयशंकर ( Foreign Minister) ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा (UN General Assembly) के 79वें सत्र के अध्यक्ष फिलेमोन यांग से मुलाकात कर संयुक्त राष्ट्र एजेंडे के कई मुद्दों पर चर्चा की। जयशंकर ने कहा कि उन्होंने क्षेत्रीय, वैश्विक और विकासात्मक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। यांग विदेश मंत्री एस जयशंकर (Jaishankar) के निमंत्रण पर भारत की चार दिवसीय यात्रा पर मंगलवार को नई दिल्ली पहुंचे थे। जयशंकर ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “आज दोपहर दिल्ली में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 79वें सत्र के अध्यक्ष फिलेमोन यांग (Philemon Yang) से मिल कर खुशी हुई। उनके साथ सुधारवादी बहुपक्षवाद की आवश्यकता सहित संयुक्त राष्ट्र के एजेंडे पर कई मुद्दों पर चर्चा हुई। साथ ही क्षेत्रीय, वैश्विक और विकास के मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। उन्होंने कहा कि मैं संयुक्त राष्ट्र में उनके नेतृत्व और मार्गदर्शन की सराहना करता हूं।
यांग राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से भी मुलाकात करेंगे
इस यात्रा में प्रमुख बहुपक्षीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित होने की उम्मीद है, जिसमें ईएएम जयशंकर और यांग के बीच आपसी हित के मामलों पर चर्चा होनी है। संयुक्त राष्ट्र के साथ भारत के संबंधों को और मजबूत करने की भावना से यांग भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से भी मुलाकात करेंगे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा, “मिस्टर फिलेमोन यांग का भारत में हार्दिक स्वागत है। संयुक्त राष्ट्र की 80वीं वर्षगांठ की अगुवाई में भारत-संयुक्त राष्ट्र के बीच जुड़ाव बढ़ाने का एक अवसर है।
बेंगलूरु की यात्रा करने का भी कार्यक्रम
विदेश मंत्रालय ने कहा है कि 10 सितंबर को यूएनजीए अध्यक्ष के रूप में पदभार संभालने वाले यांग का बेंगलूरु की यात्रा करने का भी कार्यक्रम है। वहां वे वह इन्फोसिस और भारतीय विज्ञान संस्थान का दौरा करेंगे, जहां उन्हें विभिन्न क्षेत्रों जैसे स्थिरता, डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे और अन्य क्षेत्रों में भारत के नवाचारों पर विशेषज्ञों के साथ बातचीत करने का अवसर मिलेगा।
यांग पहले कैमरून के प्रधानमंत्री थे
उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र ने यांग के नेतृत्व में “भविष्य के लिए एक समझौता” अपनाया है, जिसका उद्देश्य “बेहतर कल के लिए बहुपक्षीय समाधान” को साकार करना था। यांग पहले कैमरून के प्रधानमंत्री के रूप में कार्यरत थे और वे वैश्विक एकता, शांति और मानवीय गरिमा के मुखर समर्थक रहे हैं। जयशंकर से मुलाकात के दौरान उन्होंने ग्लोबल साउथ के हितों को आगे बढ़ाने में भारत की भूमिका की भी सराहना की।
No tags for this post.