श्रीलंका के कोलंबो में आयोजित पहले ब्लाइंड महिला टी20 विश्व कप में भारत ने नेपाल को सात विकेट से हराकर खिताब अपने नाम किया। इस ऐतिहासिक जीत में बक्सर के सिमरी प्रखंड स्थित मुकुंदपुर गांव की अनु कुमारी भी भारतीय टीम का हिस्सा थीं। पिता डुमरांव राज करते हैं गौशाला में मजदूरी सोहन चौधरी की पुत्री अनु कुमारी अपने पांच भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं। उनके पिता डुमरांव राज की गौशाला में मजदूरी करते हैं। अनु ने अपनी कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प से यह मुकाम हासिल किया है। भारतीय टीम ने पूरे टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन किया। फाइनल मुकाबले में नेपाल ने 114 रन बनाए, जिसके जवाब में भारत ने 12.1 ओवर में तीन विकेट खोकर 117 रन बनाकर जीत दर्ज की। अनु कुमारी की इस उपलब्धि से मुकुंदपुर गांव में खुशी का माहौल है। उनकी नानी श्रीमती राधिका देवी सहित परिवार के सदस्य और ग्रामीण उन्हें बधाई दे रहे हैं। दिव्यांग युवाओं के लिए बनी प्रेरणा इस जीत पर देशभर से बधाइयां मिल रही हैं। कई बड़े नेताओं ने भी भारतीय टीम को बधाई दी है। अनु कुमारी की यह सफलता बक्सर जिले के साथ-साथ अन्य दिव्यांग युवाओं के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनी है, जो यह दर्शाती है कि दृढ़ संकल्प से किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है। अब बक्सर के लोगों की दुआ है कि अनु कुमारी को सरकारी समर्थन मिले, उनकी प्रतिभा को और निखारा जाए। ताकि वह और ज़्यादा ऊंचाइयां छू सकें। उनकी इस उपलब्धि ने साबित कर दिया है कि सीमित दृष्टि, लेकिन असीमित संकल्प यही असली विजेता होती है। श्रीलंका के कोलंबो में आयोजित पहले ब्लाइंड महिला टी20 विश्व कप में भारत ने नेपाल को सात विकेट से हराकर खिताब अपने नाम किया। इस ऐतिहासिक जीत में बक्सर के सिमरी प्रखंड स्थित मुकुंदपुर गांव की अनु कुमारी भी भारतीय टीम का हिस्सा थीं। पिता डुमरांव राज करते हैं गौशाला में मजदूरी सोहन चौधरी की पुत्री अनु कुमारी अपने पांच भाई-बहनों में सबसे बड़ी हैं। उनके पिता डुमरांव राज की गौशाला में मजदूरी करते हैं। अनु ने अपनी कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प से यह मुकाम हासिल किया है। भारतीय टीम ने पूरे टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन किया। फाइनल मुकाबले में नेपाल ने 114 रन बनाए, जिसके जवाब में भारत ने 12.1 ओवर में तीन विकेट खोकर 117 रन बनाकर जीत दर्ज की। अनु कुमारी की इस उपलब्धि से मुकुंदपुर गांव में खुशी का माहौल है। उनकी नानी श्रीमती राधिका देवी सहित परिवार के सदस्य और ग्रामीण उन्हें बधाई दे रहे हैं। दिव्यांग युवाओं के लिए बनी प्रेरणा इस जीत पर देशभर से बधाइयां मिल रही हैं। कई बड़े नेताओं ने भी भारतीय टीम को बधाई दी है। अनु कुमारी की यह सफलता बक्सर जिले के साथ-साथ अन्य दिव्यांग युवाओं के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनी है, जो यह दर्शाती है कि दृढ़ संकल्प से किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है। अब बक्सर के लोगों की दुआ है कि अनु कुमारी को सरकारी समर्थन मिले, उनकी प्रतिभा को और निखारा जाए। ताकि वह और ज़्यादा ऊंचाइयां छू सकें। उनकी इस उपलब्धि ने साबित कर दिया है कि सीमित दृष्टि, लेकिन असीमित संकल्प यही असली विजेता होती है।


