देवरिया जिले के प्रसिद्ध ग्राम कुशहरी घाट पर मंगलवार देर शाम गंगा आरती के साथ कुशहरी महोत्सव का शुभारंभ हुआ। गंडक नदी के तट पर आयोजित यह वार्षिक उत्सव श्रद्धा और लोकसंस्कृति के संगम के रूप में मनाया गया। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित इस महोत्सव में क्षेत्र के हजारों श्रद्धालुओं और ग्रामीणों ने भाग लिया। संध्या समय गंगा आरती के दौरान सैकड़ों दीपों की रोशनी से पूरा घाट प्रकाशित हो उठा। ‘हर-हर गंगे’ और ‘जय मां गंगा’ के जयघोष से वातावरण गूंज उठा। श्रद्धालुओं ने दीपदान कर अपने परिवार और समाज की सुख-समृद्धि की कामना की। कार्यक्रम स्थल को रंग-बिरंगी झालरों, फूलों और रोशनी से सजाया गया था। आयोजन समिति के पदाधिकारियों और स्वयंसेवकों ने श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए विशेष व्यवस्था की थी। घाट पर सुरक्षा और व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस बल भी तैनात रहा। आयोजन समिति के अध्यक्ष ऋतिक कुमार पांडेय ने बताया कि कुशहरी महोत्सव अब क्षेत्र की पहचान बन चुका है। उन्होंने जानकारी दी कि गंगा आरती के बाद भोजपुरी कलाकारों द्वारा भजन संध्या और लोकगीतों की प्रस्तुतियां दी जाएंगी, जिनमें भक्ति, लोकपरंपरा और संस्कृति का मिश्रण देखने को मिलेगा। इस आयोजन का उद्देश्य लोगों में संस्कृति, आध्यात्मिकता और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाना है। महोत्सव में स्थानीय कलाकारों के अलावा कई प्रसिद्ध गायकों और नर्तक दलों को भी आमंत्रित किया गया है। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग शामिल हुए। लोगों ने आरती के बाद एक-दूसरे को प्रसाद वितरित किया और गंगा तट पर भक्ति गीतों का आनंद लिया। कुशहरी महोत्सव ने एक बार फिर देवरिया की सांस्कृतिक पहचान को प्रदर्शित किया। रात ढलने के साथ गंगा किनारे जलते दीपों की पंक्तियों ने एक मनमोहक दृश्य प्रस्तुत किया।


