सुपौल सदर अस्पताल में रविवार शाम मरीज की मौत के बाद हंगामा हो गया। मृतक की पहचान नगर परिषद वार्ड नंबर 22 निवासी स्वर्गीय मंजूर आलम के बेटे अब्दुल बारीक (45) के रूप में हुई है। अब्दुल को शाम करीब 6:30 बजे अचानक पेट में तेज दर्द की शिकायत के बाद परिजन सदर अस्पताल लेकर पहुंचे। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल में डॉक्टर की अनुपस्थिति में पैरामेडिकल छात्रों ने अब्दुल का प्राथमिक उपचार किया। परिजनों ने बताया कि छात्र ने मरीज को बिना समुचित जांच के हायर सेंटर रेफर कर दिया। साथ ही, यह भी बताया कि मरीज को हार्ट अटैक आया है। परिजनों ने अस्पताल में किया हंगामा परिजनों का कहना है कि अगर समय रहते डॉक्टर ने इलाज किया होता, तो शायद मरीज की जान बच सकती थी। मरीज की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल परिसर में जमकर हंगामा किया और चिकित्सकों पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया। घटना की जानकारी मिलते ही मौके पर अंचलाधिकारी आनंद कुमार पहुंचे और परिजनों को शांत कराया। उन्होंने आश्वासन दिया कि मामले की जांच की जाएगी और दोषियों पर उचित कार्रवाई की जाएगी। पहले भी हो चुकी ऐसी लापरवाही स्थानीय लोगों का कहना है कि यह कोई पहली घटना नहीं है, जब सदर अस्पताल में इस तरह की लापरवाही सामने आई हो। अक्सर देखा जाता है कि आपातकालीन स्थिति में डॉक्टरों की अनुपस्थिति रहती है और इलाज का जिम्मा प्रशिक्षु छात्रों पर छोड़ दिया जाता है। ऐसे में मरीजों की जान के लिए ये खतरा बनता जा रहा है। सुपौल सदर अस्पताल में रविवार शाम मरीज की मौत के बाद हंगामा हो गया। मृतक की पहचान नगर परिषद वार्ड नंबर 22 निवासी स्वर्गीय मंजूर आलम के बेटे अब्दुल बारीक (45) के रूप में हुई है। अब्दुल को शाम करीब 6:30 बजे अचानक पेट में तेज दर्द की शिकायत के बाद परिजन सदर अस्पताल लेकर पहुंचे। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल में डॉक्टर की अनुपस्थिति में पैरामेडिकल छात्रों ने अब्दुल का प्राथमिक उपचार किया। परिजनों ने बताया कि छात्र ने मरीज को बिना समुचित जांच के हायर सेंटर रेफर कर दिया। साथ ही, यह भी बताया कि मरीज को हार्ट अटैक आया है। परिजनों ने अस्पताल में किया हंगामा परिजनों का कहना है कि अगर समय रहते डॉक्टर ने इलाज किया होता, तो शायद मरीज की जान बच सकती थी। मरीज की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल परिसर में जमकर हंगामा किया और चिकित्सकों पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया। घटना की जानकारी मिलते ही मौके पर अंचलाधिकारी आनंद कुमार पहुंचे और परिजनों को शांत कराया। उन्होंने आश्वासन दिया कि मामले की जांच की जाएगी और दोषियों पर उचित कार्रवाई की जाएगी। पहले भी हो चुकी ऐसी लापरवाही स्थानीय लोगों का कहना है कि यह कोई पहली घटना नहीं है, जब सदर अस्पताल में इस तरह की लापरवाही सामने आई हो। अक्सर देखा जाता है कि आपातकालीन स्थिति में डॉक्टरों की अनुपस्थिति रहती है और इलाज का जिम्मा प्रशिक्षु छात्रों पर छोड़ दिया जाता है। ऐसे में मरीजों की जान के लिए ये खतरा बनता जा रहा है।
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