बृजेश सिंह
बीकानेर। भारतीय सेना की ओर से आतंक के खिलाफ किए ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की बौखलाहट ने पश्चिमी सीमा पर सरगर्मी बढ़ा दी है। सीमावर्ती जिला होने के चलते बीकानेर में सुरक्षा बल हाई अलर्ट पर हैं। यहां सरहद पर डर नहीं, दृढ़ संकल्प की गूंज सुनाई दे रही है। कह सकते हैं…सरहदें इस समय गूंगी नहीं हैं, बोल रही हैं। सायरनों की आवाज में, सेना की सजगता में व किसानों-नागरिकों की प्रतिबद्धता में।
सीमा से सटे खाजूवाला के हालात दर्शाते हैं कि सीमावर्ती गांव राष्ट्ररक्षा के सहभागी बन चुके हैं। 14 बीडी के रहने वाले दिनेश कछवाह ने कहा, हम बीएसएफ की देख-रेख में ही पले-बढ़े। आधे सिपाही तो बन गए। करगिल के वक्त बच्चे थे, अब परिपक्व हैं। 19 केवाईडी में श्रीराम की बेटी की शादी थी। शादी रात में होने थी लेकिन उसे दिन में कर दिया।
नुकसान होगा, पर भरपाई भी हम करेंगे
4 बीजीएम के किसान शिवदत्त व प्रताप सिंह राठौड़ कहते हैं, ‘हम अन्नदाता हैं। देश पर संकट आया तो नुकसान की भरपाई खेतों से करेंगे।’ बज्जू के सेवानिवृत्त शिक्षक गोवर्धनराम बिश्नोई कहते हैं, ‘बॉर्डर पर खुद को शहरों से ज्यादा सुरक्षित मानते हैं। सेना पर भरोसा है।’ प्रतापाराम गोदारा, हरिराम, राधाकिशन व सुखराम ने कहा, हम सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहेंगे।
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