प्राइवेट हॉस्पीटल में बदला बच्चा, लड़की थी भर्ती और दे दिया लड़का, डायपर बदलने पर हुआ खुलासा

प्राइवेट हॉस्पीटल में बदला बच्चा, लड़की थी भर्ती और दे दिया लड़का, डायपर बदलने पर हुआ खुलासा

श्रीगंगानगर. जिला मुख्यालय पर एक प्राइवेट अस्पताल में बच्चा बदलने की घटना सामने आई है। परिजनों को अपने बच्चे के बारे में उस समय पता चला जब घर जाकर नवजात शिशु का डापर बदला। हनुमानगढ़ रोड पर सेक्टर सत्रह में रेनबो हॉस्पीटल में नवजात लड़की पिछले चार दिनों से भर्ती थी, उसके जन्म के बाद ऑक्सीजन जैसी समस्या आई तब उसे यहां भर्ती कराया गया। रविवार दोपहर करीब दो बजे जब हॉस्पीटल के स्टाफ ने इस बच्ची के स्वस्थ होने पर उसकी छुटटी करते हुए परिजनों को बुला लिया। शहर से सटे गांव की रहने वाली इस बच्ची की मां अपने परिजनों के साथ कार पर आई। उसकी डिलीवरी सजेरियन हुई थी लेकिन उसे बच्ची लेने के लिए खुद को आना पड़ा। इस दौरान हॉस्पिटल स्टाफ ने इस मां को उसकी गोदी में डापर लगा शिशु दे दिया। शाम करीब सात बजे घर पर जब डापर बदलने लगे तब यह खुलासा हुआ कि यह लड़की नहीं लड़का है। इस संबंध में प्रसूता के भाई और अन्य परिजन हॉस्पिटल में पहुंचे और इस बड़ी चूक के बारे में सवाल जवाब करने लगे। हंगामा होने के दौरान हॉस्पिटल के संचालक डा. सुनील अग्रवाल नहीं मिले। लेकिन उनके भाई अनिल अग्रवाल इस हॉस्पिटल में मेडिकल स्टोर भी संचालित करते है, उन्होंने इन परिजनों से वार्ता का दौर शुरू किया।

सजेरियन ऑपरेशन से हुई थी डिलीवरी
परिजनों ने बताया कि ब्लॉक में प्राइवेट हॉस्पिटल में 22 जून को सजेरियन ऑपरेशन से डिलीवरी हुई थी। इस दौरान बच्ची का जन्म हुआ। चार दिन पहले इस नवजात बच्ची के ऑक्सीजन जैसी समस्या आई तब वहां से इस हॉस्पिटल में शिशु रोग विशेषज्ञ डा. सुनील अग्रवाल के पास भेज दिया। इस चिकित्सक ने चेकअप के बाद नवजात शिशु को नर्सरी में ऑक्सीन पर रखने की सलाह दी और भर्ती कर लिया। रविवार शाम को बच्चा बदलने का खुलासा होने पर जब परिजन हॉस्पिटल पहुंचे तब यह चिकित्सक यहां नहीं मिले। सालासर धोक लगाने की बात कही गई। तब वहां चिकित्सक के भाई अनिल अग्रवाल ने वार्ता करने का बात कही, चिकित्सक को बुलाने की जिद़्द पर एक अन्य चिकित्सक को भेजा गया। इसके बाद आईएमए जिलाध्यक्ष डा. हरीश रहेजा भी आ गए।
स्टाफ ने टैग पढ़ने में की चूक
हॉस्पिटल संचालक डा. सुनील अग्रवाल ने फोन पर पत्रिका को बताया कि स्टाफ की वजह से यह बडी चूक हुई है। नर्सिग स्टाफ ने शिशु नर्सरी में संबंधित शिशु पर लगे टैग को पढ़ नहीं पाया और गलफत होने के कारण लड़की की जगह लड़का सुपुर्द कर दिया। यह चूक मानवीय भूल है। इस संबंध में परिजनों से वार्ता कर सुलह कराई जा रही है। इस बीच, आईएमए के जिलाध्यक्ष डा. हरीश रहेजा इस हॉस्पिटल में पहुंचे और नर्सरी में भर्ती संबंधित बच्ची के बारे में जानकारी ली। इस दौरान हॉस्पिटल स्टाफ से भी फीडबैक लिया और परिजनों से भी वार्ता की। डा. रहेजा ने इस गलती को भारी चूक बताया। उन्हेांने परिजनों से संबंधित शिशु के बारे भी जानकारी ली।
परिजन बोले, तो उम्रभर रहता राज
इधर, परिजनों का कहना है कि यदि एक ही लिंग यानि अन्य की लड़की उन्हें सुपुर्द की जाती तो यह गलफत या चूक उम्रभर राज ही रह जाता। हॉस्पिटल में बेहतर सुविधा के दावे पर महंगा उपचार होने के बावजूद वे अपने नवजात बच्ची को यहां लेकर आए थे लेकिन यहां तो बच्चा तक बदल डाला। इस मामले में सीएमएचओ डा. अजय सिंगला को अवगत कराया गया है। सरकार की योजनाएं भी इस हॉस्पिटल में संचालित हो रही है, इस पर एक्शन होगा यह उम्मीद है।

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