खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 में बिहार को 5 पदक:महाराष्ट्र को पहला गोल्ड, IIM कैंपस में पारंपरिक युद्धकला गटका का प्रदर्शन

खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 में बिहार को 5 पदक:महाराष्ट्र को पहला गोल्ड, IIM कैंपस में पारंपरिक युद्धकला गटका का प्रदर्शन

गया में खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 में बुधवार का दिन परंपरा और जोश के नाम रहा। गया के IIM कैंपस में पारंपरिक युद्धकला गटका ने अपनी चमक बिखेरी। इस ऐतिहासिक दिन में गटका के सभी 5 स्वर्ण पदकों का फैसला हुआ। सुबह का माहौल शांत था, लेकिन जैसे ही स्कूलों के छात्र-छात्राएं मैदान में पहुंचे, सारा वातावरण तालियों और जयघोष से गूंज उठा। गौरतलब है कि गटका सिखों की ऐतिहासिक मार्शल आर्ट है, अब सीमाओं से निकलकर राष्ट्रीय मंच पर धूम मचा रहा है। खिलाड़ियों ने लकड़ी की सोटी और ढाल (फर्री) के साथ ऐसे दांव खेले कि दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। सबसे पहला स्वर्ण पदक महाराष्ट्र के खाते में गया, जिसने टीम फर्री सोटी बालिका वर्ग में रजत जीता और पूरे आत्मविश्वास के साथ मैदान में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। महाराष्ट्र की कोच आरती चौधरी ने बताया कि हमारे यहां इसे मरदानी कहते हैं जो गटका से काफी मेल खाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पारंपरिक खेलों को जो संजीवनी मिली है। वह सराहनीय है। बिहार ने भी दर्शकों को गर्वित कर दिया। जहां शिक्षक सिर्फ एक पदक की उम्मीद कर रहे थे, वहीं बिहार ने 1 रजत और 4 कांस्य समेत कुल 5 पदक झटक लिए। दिल्ली, चंडीगढ़ और झारखंड की टीम ने भी किया अच्छा प्रदर्शन बिहार के शिक्षक रवि रोशन अपने छात्रों को लेकर यहां पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि बच्चों में अब गटका और मल्लखंभ जैसे खेलों को लेकर नया जोश है। यह आयोजन बिहार को स्पोर्ट्स मैप पर नई पहचान दिलाएगा। पंजाब ने अधिकांश व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतकर गटका में अपना वर्चस्व फिर से सिद्ध किया। दिल्ली, चंडीगढ़ और झारखंड की टीमों ने भी दमदार प्रदर्शन किया। गटका विजेता टीम फर्री सोटी (बालिका): स्वर्ण-झारखंड, कांस्य-बिहार टीम फर्री सोटी (बालक): स्वर्ण-चंडीगढ़, कांस्य-बिहार सिंगल सोटी बालिका: रजत-अंशु (बिहार) फर्री सोटी व्यक्तिगत बालक/बालिका: कांस्य-आकाश कुमार शर्मा, कोमल जैन (बिहार)। गया में खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 में बुधवार का दिन परंपरा और जोश के नाम रहा। गया के IIM कैंपस में पारंपरिक युद्धकला गटका ने अपनी चमक बिखेरी। इस ऐतिहासिक दिन में गटका के सभी 5 स्वर्ण पदकों का फैसला हुआ। सुबह का माहौल शांत था, लेकिन जैसे ही स्कूलों के छात्र-छात्राएं मैदान में पहुंचे, सारा वातावरण तालियों और जयघोष से गूंज उठा। गौरतलब है कि गटका सिखों की ऐतिहासिक मार्शल आर्ट है, अब सीमाओं से निकलकर राष्ट्रीय मंच पर धूम मचा रहा है। खिलाड़ियों ने लकड़ी की सोटी और ढाल (फर्री) के साथ ऐसे दांव खेले कि दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। सबसे पहला स्वर्ण पदक महाराष्ट्र के खाते में गया, जिसने टीम फर्री सोटी बालिका वर्ग में रजत जीता और पूरे आत्मविश्वास के साथ मैदान में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। महाराष्ट्र की कोच आरती चौधरी ने बताया कि हमारे यहां इसे मरदानी कहते हैं जो गटका से काफी मेल खाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पारंपरिक खेलों को जो संजीवनी मिली है। वह सराहनीय है। बिहार ने भी दर्शकों को गर्वित कर दिया। जहां शिक्षक सिर्फ एक पदक की उम्मीद कर रहे थे, वहीं बिहार ने 1 रजत और 4 कांस्य समेत कुल 5 पदक झटक लिए। दिल्ली, चंडीगढ़ और झारखंड की टीम ने भी किया अच्छा प्रदर्शन बिहार के शिक्षक रवि रोशन अपने छात्रों को लेकर यहां पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि बच्चों में अब गटका और मल्लखंभ जैसे खेलों को लेकर नया जोश है। यह आयोजन बिहार को स्पोर्ट्स मैप पर नई पहचान दिलाएगा। पंजाब ने अधिकांश व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतकर गटका में अपना वर्चस्व फिर से सिद्ध किया। दिल्ली, चंडीगढ़ और झारखंड की टीमों ने भी दमदार प्रदर्शन किया। गटका विजेता टीम फर्री सोटी (बालिका): स्वर्ण-झारखंड, कांस्य-बिहार टीम फर्री सोटी (बालक): स्वर्ण-चंडीगढ़, कांस्य-बिहार सिंगल सोटी बालिका: रजत-अंशु (बिहार) फर्री सोटी व्यक्तिगत बालक/बालिका: कांस्य-आकाश कुमार शर्मा, कोमल जैन (बिहार)।  

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