1999 बैच के IAS अधिकारी और वर्तमान में पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव विनय चौबे झारखंड कैडर के पांचवें आईएएस अधिकारी हैं, जो करप्शन के मामले में जेल गए हैं। इन पर कथित तौर झारखंड में शराब घोटाला कराने का आरोप है। शराब घोटाला मामले में इन पर न केवल झारखंड बल्कि छत्तीसगढ़ में भी मामला दर्ज है। मंगलवार को एसीबी की ओर से 6 घंटे की पूछताछ के बाद होटवार स्थित सेंट्रल जेल भेज दिया गया। इनके साथ संयुक्त उत्पाद आयुक्त गजेंद्र सिंह को भी जेल भेजा गया है। दोनों 14 दिनों तक जेल में रहेंगे। एसीबी की ओर से पूछताछ के लिए रिमांड नहीं मांगा गया है। 3 मई को जेल से वीडियो कांफ्रेंस के जरिए कोर्ट में पेश किया जाएगा। अब पढ़िए करप्शन की वो कहानी जिस वजह से IAS विनय चौबे को जेल जाना पड़ा… IAS विनय चौबे पर आरोप है कि अपने लोगों को टेंडर दिलाने के लिए उन्होंने अपने सिंडिकेट के साथ मिल कर टेंडर की शर्तें ही बदल दी। देशी-विदेशी शराब का टेंडर सिंडिकेट के लोगों को दिलवाने के लिए झारखंड आबकारी नीति में फेरबदल किया और झारखंड सरकार को करोड़ों के राजस्व का नुकसान पहुंचाया। उन पर न केवल झारखंड में ही मामला नहीं है। उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग झारखंड के तत्कालीन प्रधान सचिव विनय कुमार चौबे और संयुक्त आयुक्त उत्पाद गजेंद्र सिंह के विरुद्ध रायपुर के आर्थिक अपराध अन्वेषण (ईओडब्ल्यू) में भी दर्ज है। चौबे पर साजिश के तहत जालसाजी, धोखाधड़ी से संबंधित मामले में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। रांची के विकास सिंह ने दर्ज कराई शिकायत, सलाखों तक पहुंचाया रांची के अरगोड़ा निवासी विकास सिंह की शिकायत के आधार पर ईओडब्ल्यू रायपुर के इंस्पेक्टर बृजेश कुशवाहा ने यह प्राथमिकी दर्ज की है। प्राथमिकी में छत्तीसगढ़ शासन के अधिकारी तत्कालीन संयुक्त सचिव अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी, अनवर ढेबर, अरविंद सिंह, प्लेसमेंट एजेंसी मेसर्स सुमित फैसिलिटीज के संचालक विधु गुप्ता व मैनपावर सप्लाई करने वाली कंपनी, शराब आपूर्ति करने वाली एजेंसियों व अन्य को भी आरोपी बनाया गया है। 7 सितंबर, 2024 को दर्ज प्राथमिकी में आरोप है कि अनिल टुटेजा, आईटीएस के तत्कालीन प्रबंध संचालक अरुण पति त्रिपाठी व उनके सिंडिकेट ने झारखंड के अफसरों संग षडयंत्र कर झारखंड की आबकारी नीति में फेरबदल किया। ईडी भी मनी लान्ड्रिंग के तहत दर्ज कर सकता है केस एसीबी में 20 मई 2025 को दर्ज प्राथमिकी के आधार पर भी ईडी मनी लान्ड्रिंग के तहत ईसीआइआर दर्ज कर जांच शुरू कर सकता है। ईडी ने इससे पहले छत्तीसगढ़ की आर्थिक अपराध इकाई में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर गत वर्ष ईसीआइआर किया था। ईडी ने तब जांच के दौरान आईएएस विनय कुमार चौबे व संयुक्त आयुक्त उत्पाद गजेंद्र सिंह के ठिकानों पर छापेमारी की थी। ईडी ने छापेमारी के दौरान अधिकारियों के आइफोन जब्त किए थे। ठिकानों से महत्वपूर्ण दस्तावेज मिले थे, जिसकी ईडी जांच कर रही है। सीबीआई भी इस मामले में अब कसेगा घेरा, ईओडब्ल्यू ने की थी अनुशंसा शराब घोटाला प्रकरण में रायपुर की आर्थिक अपराध इकाई (ईओडब्ल्यू) में दर्ज केस में जल्द ही सीबीआई की भी एंट्री होगी। ईओडब्ल्यू ने सीबीआई से इसकी अनुशंसा की थी और उक्त केस की जांच करने का आग्रह किया है। इससे संबंधित दस्तावेज भी ईओडब्ल्यू ने सीबीआई मुख्यालय को भेजा था। बताया जा हा है कि झारखंड में शराब घोटाला केस में सीबीआई जांच होगी। इसकी तैयारी चल रही है। 1999 बैच के IAS अधिकारी और वर्तमान में पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव विनय चौबे झारखंड कैडर के पांचवें आईएएस अधिकारी हैं, जो करप्शन के मामले में जेल गए हैं। इन पर कथित तौर झारखंड में शराब घोटाला कराने का आरोप है। शराब घोटाला मामले में इन पर न केवल झारखंड बल्कि छत्तीसगढ़ में भी मामला दर्ज है। मंगलवार को एसीबी की ओर से 6 घंटे की पूछताछ के बाद होटवार स्थित सेंट्रल जेल भेज दिया गया। इनके साथ संयुक्त उत्पाद आयुक्त गजेंद्र सिंह को भी जेल भेजा गया है। दोनों 14 दिनों तक जेल में रहेंगे। एसीबी की ओर से पूछताछ के लिए रिमांड नहीं मांगा गया है। 3 मई को जेल से वीडियो कांफ्रेंस के जरिए कोर्ट में पेश किया जाएगा। अब पढ़िए करप्शन की वो कहानी जिस वजह से IAS विनय चौबे को जेल जाना पड़ा… IAS विनय चौबे पर आरोप है कि अपने लोगों को टेंडर दिलाने के लिए उन्होंने अपने सिंडिकेट के साथ मिल कर टेंडर की शर्तें ही बदल दी। देशी-विदेशी शराब का टेंडर सिंडिकेट के लोगों को दिलवाने के लिए झारखंड आबकारी नीति में फेरबदल किया और झारखंड सरकार को करोड़ों के राजस्व का नुकसान पहुंचाया। उन पर न केवल झारखंड में ही मामला नहीं है। उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग झारखंड के तत्कालीन प्रधान सचिव विनय कुमार चौबे और संयुक्त आयुक्त उत्पाद गजेंद्र सिंह के विरुद्ध रायपुर के आर्थिक अपराध अन्वेषण (ईओडब्ल्यू) में भी दर्ज है। चौबे पर साजिश के तहत जालसाजी, धोखाधड़ी से संबंधित मामले में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। रांची के विकास सिंह ने दर्ज कराई शिकायत, सलाखों तक पहुंचाया रांची के अरगोड़ा निवासी विकास सिंह की शिकायत के आधार पर ईओडब्ल्यू रायपुर के इंस्पेक्टर बृजेश कुशवाहा ने यह प्राथमिकी दर्ज की है। प्राथमिकी में छत्तीसगढ़ शासन के अधिकारी तत्कालीन संयुक्त सचिव अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी, अनवर ढेबर, अरविंद सिंह, प्लेसमेंट एजेंसी मेसर्स सुमित फैसिलिटीज के संचालक विधु गुप्ता व मैनपावर सप्लाई करने वाली कंपनी, शराब आपूर्ति करने वाली एजेंसियों व अन्य को भी आरोपी बनाया गया है। 7 सितंबर, 2024 को दर्ज प्राथमिकी में आरोप है कि अनिल टुटेजा, आईटीएस के तत्कालीन प्रबंध संचालक अरुण पति त्रिपाठी व उनके सिंडिकेट ने झारखंड के अफसरों संग षडयंत्र कर झारखंड की आबकारी नीति में फेरबदल किया। ईडी भी मनी लान्ड्रिंग के तहत दर्ज कर सकता है केस एसीबी में 20 मई 2025 को दर्ज प्राथमिकी के आधार पर भी ईडी मनी लान्ड्रिंग के तहत ईसीआइआर दर्ज कर जांच शुरू कर सकता है। ईडी ने इससे पहले छत्तीसगढ़ की आर्थिक अपराध इकाई में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर गत वर्ष ईसीआइआर किया था। ईडी ने तब जांच के दौरान आईएएस विनय कुमार चौबे व संयुक्त आयुक्त उत्पाद गजेंद्र सिंह के ठिकानों पर छापेमारी की थी। ईडी ने छापेमारी के दौरान अधिकारियों के आइफोन जब्त किए थे। ठिकानों से महत्वपूर्ण दस्तावेज मिले थे, जिसकी ईडी जांच कर रही है। सीबीआई भी इस मामले में अब कसेगा घेरा, ईओडब्ल्यू ने की थी अनुशंसा शराब घोटाला प्रकरण में रायपुर की आर्थिक अपराध इकाई (ईओडब्ल्यू) में दर्ज केस में जल्द ही सीबीआई की भी एंट्री होगी। ईओडब्ल्यू ने सीबीआई से इसकी अनुशंसा की थी और उक्त केस की जांच करने का आग्रह किया है। इससे संबंधित दस्तावेज भी ईओडब्ल्यू ने सीबीआई मुख्यालय को भेजा था। बताया जा हा है कि झारखंड में शराब घोटाला केस में सीबीआई जांच होगी। इसकी तैयारी चल रही है।
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