‘बिहार से होने के बावजूद मुझे मुंबई में कभी ये नहीं लगा कि मैं किसी से कम हूं। उल्टा, बिहारी जिद-मेहनत और यहां की माटी ने ही मुझे मजबूत बनाया। आज जो कुछ हूं, उसमें पटना की गलियों और मां-बाबूजी के संस्कारों का सबसे बड़ा हाथ है।’ ‘बचपन में मैं क्रिकेटर बन सकता था। पिताजी का मन था कि मैं UPSC क्लियर करूं। लेकिन 10वीं क्लास तक पहुंचते-पहुंचते मुझे समझ आया कि कुछ बड़ा करने के लिए बिहार से बाहर निकलना होगा। किसे पता था कि मैं आगे चलकर बड़े पर्दे पर नजर आऊंगा। बड़े-बड़े एक्टर के साथ स्क्रीन शेयर करूंगा।’ एक्टर अभिमन्यु हर फिल्म के लिए आज के डेट में 1 से 2 करोड़ रुपए तक चार्ज करते हैं। उनकी कुल नेटवर्थ 90 करोड़ रुपए है। ‘मैं बिहारी’ में आज बात करेंगे पटना के रहने वाले 50 साल के अभिमन्यु सिंह की, जो पेशे से एक्टर हैं। हिंदी से लेकर तेलुगु, तमिल, गुजराती, कन्नड़ और मलयालम में फिल्मों में एक्टिंग कर इन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई है। अभिमन्यु का बचपन पटना की गलियों में बीता है। क्रिकेट का शौक इतना कि गलियों में बैट-बॉल लिए दिनभर खेलते रहते थे। मछली पकड़ना, नदियों में तैरना और घर की छत से शहर देखना- यही उनका बचपन था। फिल्मों में खलनायक, असल जिंदगी में हीरो मुंबई की चकाचौंध दुनिया में जहां हर दिन हजारों सपने आते हैं, उनमें एक सपना बिहार के पटना के लोहानीपुर से निकले अभिमन्यु सिंह का भी था। आज भले ही वह ‘अक्स’, ‘गुलाल’, ‘मॉम’ और दर्जनों दक्षिण भारतीय फिल्मों में खलनायक बन चुके हों, लेकिन असल जिंदगी में वे बेहद शांत, मुस्कराने वाले और परिवार को सर्वोपरि मानने वाले इंसान हैं। ‘पिताजी चाहते थे- अफसर बनूं’ अभिमन्यु ने बताया कि- ‘मैंने अपनी हाईस्कूल तक की पढ़ाई पटना से ही की है, लेकिन कॉलेज की पढ़ाई के लिए दिल्ली पहुंचा। संस्कृत में रुचि थी इस वजह से मैंने सेंट स्टीफंस कॉलेज से संस्कृत ऑनर्स से ग्रेजुएशन कम्प्लीट की। पिताजी का मन था कि मैं UPSC क्लियर करूं और अफसर बनूं। लेकिन मेरे भाग्य में कुछ और ही मंजूर था।’ ग्रेजुएशन के बीच ऑफर मिला तो अभिमन्यु फैशन शो का भी हिस्सा बने। फिर जब उन्हें मॉडलिंग का चस्का लगा तो वे शेक्सपियर सोसाइटी में शामिल हो गए, लेकिन कुछ कारण से उसका हिस्सा नहीं बन सके। इसके बाद अभिमन्यु ने पॉकेट मनी के लिए मॉडलिंग की और फिर मुंबई का रुख किया। शुरुआत में परिवार वालों ने किया था विरोध अभिमन्यु ने आगे बताया, एक्टिंग की फील्ड में गया तो परिवार वालों ने विरोध किया। उनका कहना था- हमने इतने पैसे लगाकर तुम्हें पढ़ाया। लेकिन तुम अपनी लाइफ बर्बाद करना चाहते हो। हालांकि, मेरी जिद थी कि मैं अपना करियर एक्टिंग फील्ड में ही बनाऊं। मैंने माता-पिता को मनाने के लिए उनसे कहा- एक ही लाइफ होती है और मेरी मर्जी है कि मैं इसमें ट्राई करूं। अगर सक्सेस नहीं मिला तो आपलोग जो बोलेंगे वही करूंगा। एक बार जब ट्राई करने गया तो फिर मैंने कभी पीछे पलट कर नहीं देखा। मुंबई में ‘अंश’ नामक थिएटर ग्रुप से जुड़ाव हुआ। यहीं मेरी किस्मत बदली, जब एक दिन मनोज वाजपेयी का नाटक देखा। उन्होंने तुरंत राकेश ओमप्रकाश मेहरा को फोन किया और ‘अक्स’ फिल्म के लिए बात की। इसके बाद अभिमन्यु ने अपनी पहली फिल्म 2001 में अभिनेता अमिताभ बच्चन के साथ की। हालांकि, फिल्म फ्लॉप हो गई। अभिमन्यु याद करते हैं – ‘जब पहली बार राकेश मेहरा से मिला, तो उन्होंने कहा- ‘मुंबई इज वेटिंग फॉर यू’।’ ‘गुलाल’ से मिली पहचान, ‘मॉम’ से सम्मान मिला अभिमन्यु बताते है कि ‘गुलाल'(2009) उनके करियर के लिए टर्निंग प्वाइंट बना। इसके बाद ‘रक्तचरित्र'(2010), ‘ढोल’, ‘लक्ष्य’, ‘जन्नत’ जैसी फिल्मों में वे नजर आए। फिल्म रक्तचरित्र के लिए उन्होंने 40 हजार रुपए चार्ज किए थे। अभिमन्यु ने 20 से ज्यादा साउथ फिल्मों में काम किया है। ज्यादातर नेगेटिव किरदार निभाए, लेकिन हर बार दर्शकों का प्यार मिला। टीवी पर भी उन्होंने ‘कहीं किसी रोज’, ‘कुसुम’ और ‘ये नजदीकियां’ जैसे सीरियल्स में काम किया है। बाद में वो श्रीदेवी के साथ थ्रिलर फिल्म ‘मॉम’ में नजर आएंगे। यह फिल्म रवि उद्यावर द्वारा निर्देशित और बोनी कपूर द्वारा निर्मित है। अपकमिंग मूवी के लिए किया 2Cr की डिमांड आज उनके पास कई बड़ी फिल्में हैं, जो आने वाले समय में दर्शकों को उनका नया अवतार दिखाएंगी। खासकर ‘लाहौर 1947’ में वह सनी देओल के सामने नजर आएंगे, जिसमें उनका किरदार एक बड़े खतरे के रूप में सामने आ सकता है। ये फिल्म 2025 में आने वाली है। इसमें वो विलेन के रोल में हैं, इस फिल्म के लिए उन्होंने 2 करोड़ फीस ली है। कहा जा रहा है एक बार फिर अभिमन्यु सिंह अपने दमदार अभिनय से दर्शकों को चौंकाने वाले हैं। ‘पत्नी नहीं होती, तो लाइफ नहीं होती’ ‘मेरी निजी जिंदगी भी संघर्षों से भरी रही। एक दौर ऐसा था, जब मेरे पास काम नहीं था। जेब खाली थी, लेकिन दोस्ती निभा रही थीं सरगम, जो आगे चलकर 2006 में जीवनसाथी बनीं। अभिमन्यु भावुक होकर कहते हैं – ‘उस समय जब कुछ नहीं था, सरगम ने मेरा साथ दिया। आज भी कहता हूं – वाइफ ना होती, तो लाइफ ना होती।’ अभिमन्यु और सरगम का एक बेटा भी है। उनके पिता चंद्रशेखर सिंह और मां शांति सिंह आज भी पटना के साकेतपुरी में रहते हैं। उनका पैतृक गांव जहानाबाद के दाउदपुर में है। ———————- ये भी पढ़ें… 5 लाख से शुरूआत, आज 3 हजार करोड़ का टर्नओवर:माता-पिता से 2 साल तक बिजनेस की बात छुपाई, पढ़िए बिहार के साकेत गौरव की कहानी ‘बिहार से निकलकर बिजनेस शुरू करने में सबसे बड़ा चैलेंज बिहारी होना था। क्योंकि आप अगर बिहारी हैं तो बाहर के राज्यों में प्रशासनिक सेवा या फिर पॉलिटिक्स के लिए जाने जाते हैं। बिहार कभी भी एंटरप्रेन्योर्स के लिए नहीं जाना जाता है। फर्स्ट जनरेशन एंटरप्रेन्योर्स को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।’ पूरी खबर पढ़िए ‘बिहार से होने के बावजूद मुझे मुंबई में कभी ये नहीं लगा कि मैं किसी से कम हूं। उल्टा, बिहारी जिद-मेहनत और यहां की माटी ने ही मुझे मजबूत बनाया। आज जो कुछ हूं, उसमें पटना की गलियों और मां-बाबूजी के संस्कारों का सबसे बड़ा हाथ है।’ ‘बचपन में मैं क्रिकेटर बन सकता था। पिताजी का मन था कि मैं UPSC क्लियर करूं। लेकिन 10वीं क्लास तक पहुंचते-पहुंचते मुझे समझ आया कि कुछ बड़ा करने के लिए बिहार से बाहर निकलना होगा। किसे पता था कि मैं आगे चलकर बड़े पर्दे पर नजर आऊंगा। बड़े-बड़े एक्टर के साथ स्क्रीन शेयर करूंगा।’ एक्टर अभिमन्यु हर फिल्म के लिए आज के डेट में 1 से 2 करोड़ रुपए तक चार्ज करते हैं। उनकी कुल नेटवर्थ 90 करोड़ रुपए है। ‘मैं बिहारी’ में आज बात करेंगे पटना के रहने वाले 50 साल के अभिमन्यु सिंह की, जो पेशे से एक्टर हैं। हिंदी से लेकर तेलुगु, तमिल, गुजराती, कन्नड़ और मलयालम में फिल्मों में एक्टिंग कर इन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई है। अभिमन्यु का बचपन पटना की गलियों में बीता है। क्रिकेट का शौक इतना कि गलियों में बैट-बॉल लिए दिनभर खेलते रहते थे। मछली पकड़ना, नदियों में तैरना और घर की छत से शहर देखना- यही उनका बचपन था। फिल्मों में खलनायक, असल जिंदगी में हीरो मुंबई की चकाचौंध दुनिया में जहां हर दिन हजारों सपने आते हैं, उनमें एक सपना बिहार के पटना के लोहानीपुर से निकले अभिमन्यु सिंह का भी था। आज भले ही वह ‘अक्स’, ‘गुलाल’, ‘मॉम’ और दर्जनों दक्षिण भारतीय फिल्मों में खलनायक बन चुके हों, लेकिन असल जिंदगी में वे बेहद शांत, मुस्कराने वाले और परिवार को सर्वोपरि मानने वाले इंसान हैं। ‘पिताजी चाहते थे- अफसर बनूं’ अभिमन्यु ने बताया कि- ‘मैंने अपनी हाईस्कूल तक की पढ़ाई पटना से ही की है, लेकिन कॉलेज की पढ़ाई के लिए दिल्ली पहुंचा। संस्कृत में रुचि थी इस वजह से मैंने सेंट स्टीफंस कॉलेज से संस्कृत ऑनर्स से ग्रेजुएशन कम्प्लीट की। पिताजी का मन था कि मैं UPSC क्लियर करूं और अफसर बनूं। लेकिन मेरे भाग्य में कुछ और ही मंजूर था।’ ग्रेजुएशन के बीच ऑफर मिला तो अभिमन्यु फैशन शो का भी हिस्सा बने। फिर जब उन्हें मॉडलिंग का चस्का लगा तो वे शेक्सपियर सोसाइटी में शामिल हो गए, लेकिन कुछ कारण से उसका हिस्सा नहीं बन सके। इसके बाद अभिमन्यु ने पॉकेट मनी के लिए मॉडलिंग की और फिर मुंबई का रुख किया। शुरुआत में परिवार वालों ने किया था विरोध अभिमन्यु ने आगे बताया, एक्टिंग की फील्ड में गया तो परिवार वालों ने विरोध किया। उनका कहना था- हमने इतने पैसे लगाकर तुम्हें पढ़ाया। लेकिन तुम अपनी लाइफ बर्बाद करना चाहते हो। हालांकि, मेरी जिद थी कि मैं अपना करियर एक्टिंग फील्ड में ही बनाऊं। मैंने माता-पिता को मनाने के लिए उनसे कहा- एक ही लाइफ होती है और मेरी मर्जी है कि मैं इसमें ट्राई करूं। अगर सक्सेस नहीं मिला तो आपलोग जो बोलेंगे वही करूंगा। एक बार जब ट्राई करने गया तो फिर मैंने कभी पीछे पलट कर नहीं देखा। मुंबई में ‘अंश’ नामक थिएटर ग्रुप से जुड़ाव हुआ। यहीं मेरी किस्मत बदली, जब एक दिन मनोज वाजपेयी का नाटक देखा। उन्होंने तुरंत राकेश ओमप्रकाश मेहरा को फोन किया और ‘अक्स’ फिल्म के लिए बात की। इसके बाद अभिमन्यु ने अपनी पहली फिल्म 2001 में अभिनेता अमिताभ बच्चन के साथ की। हालांकि, फिल्म फ्लॉप हो गई। अभिमन्यु याद करते हैं – ‘जब पहली बार राकेश मेहरा से मिला, तो उन्होंने कहा- ‘मुंबई इज वेटिंग फॉर यू’।’ ‘गुलाल’ से मिली पहचान, ‘मॉम’ से सम्मान मिला अभिमन्यु बताते है कि ‘गुलाल'(2009) उनके करियर के लिए टर्निंग प्वाइंट बना। इसके बाद ‘रक्तचरित्र'(2010), ‘ढोल’, ‘लक्ष्य’, ‘जन्नत’ जैसी फिल्मों में वे नजर आए। फिल्म रक्तचरित्र के लिए उन्होंने 40 हजार रुपए चार्ज किए थे। अभिमन्यु ने 20 से ज्यादा साउथ फिल्मों में काम किया है। ज्यादातर नेगेटिव किरदार निभाए, लेकिन हर बार दर्शकों का प्यार मिला। टीवी पर भी उन्होंने ‘कहीं किसी रोज’, ‘कुसुम’ और ‘ये नजदीकियां’ जैसे सीरियल्स में काम किया है। बाद में वो श्रीदेवी के साथ थ्रिलर फिल्म ‘मॉम’ में नजर आएंगे। यह फिल्म रवि उद्यावर द्वारा निर्देशित और बोनी कपूर द्वारा निर्मित है। अपकमिंग मूवी के लिए किया 2Cr की डिमांड आज उनके पास कई बड़ी फिल्में हैं, जो आने वाले समय में दर्शकों को उनका नया अवतार दिखाएंगी। खासकर ‘लाहौर 1947’ में वह सनी देओल के सामने नजर आएंगे, जिसमें उनका किरदार एक बड़े खतरे के रूप में सामने आ सकता है। ये फिल्म 2025 में आने वाली है। इसमें वो विलेन के रोल में हैं, इस फिल्म के लिए उन्होंने 2 करोड़ फीस ली है। कहा जा रहा है एक बार फिर अभिमन्यु सिंह अपने दमदार अभिनय से दर्शकों को चौंकाने वाले हैं। ‘पत्नी नहीं होती, तो लाइफ नहीं होती’ ‘मेरी निजी जिंदगी भी संघर्षों से भरी रही। एक दौर ऐसा था, जब मेरे पास काम नहीं था। जेब खाली थी, लेकिन दोस्ती निभा रही थीं सरगम, जो आगे चलकर 2006 में जीवनसाथी बनीं। अभिमन्यु भावुक होकर कहते हैं – ‘उस समय जब कुछ नहीं था, सरगम ने मेरा साथ दिया। आज भी कहता हूं – वाइफ ना होती, तो लाइफ ना होती।’ अभिमन्यु और सरगम का एक बेटा भी है। उनके पिता चंद्रशेखर सिंह और मां शांति सिंह आज भी पटना के साकेतपुरी में रहते हैं। उनका पैतृक गांव जहानाबाद के दाउदपुर में है। ———————- ये भी पढ़ें… 5 लाख से शुरूआत, आज 3 हजार करोड़ का टर्नओवर:माता-पिता से 2 साल तक बिजनेस की बात छुपाई, पढ़िए बिहार के साकेत गौरव की कहानी ‘बिहार से निकलकर बिजनेस शुरू करने में सबसे बड़ा चैलेंज बिहारी होना था। क्योंकि आप अगर बिहारी हैं तो बाहर के राज्यों में प्रशासनिक सेवा या फिर पॉलिटिक्स के लिए जाने जाते हैं। बिहार कभी भी एंटरप्रेन्योर्स के लिए नहीं जाना जाता है। फर्स्ट जनरेशन एंटरप्रेन्योर्स को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।’ पूरी खबर पढ़िए
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