इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने एक महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई के दौरान फाइल समय पर न पहुंचने पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की है। न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति राजीव भारती की खंडपीठ ने इस मामले में संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है। न्यायालय ने वरिष्ठ रजिस्ट्रार को जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने अपने आदेश में बताया कि यह मामला मंगलवार को प्रथम वरीयता के रूप में सुबह 10:30 बजे सुनवाई के लिए सूचीबद्ध था। बेंच सचिव को निर्देश दिया गया था कि व्यक्तिगत उपस्थिति से संबंधित फाइलें सुनवाई से एक दिन पहले पीठ के सदस्यों के आवास पर भेजी जाएं। हालांकि, संबंधित अनुभाग द्वारा फाइल समय पर न भेजे जाने के कारण ऐसा नहीं हो सका। बेंच सचिव ने अदालत को सूचित किया कि कई बार टेलीफोन पर अनुरोध करने के बावजूद फाइल न तो पिछली शाम को भेजी गई और न ही सुबह अदालत में पहुंचाई गई। अनुभाग अधिकारी को तलब करने पर भी वे न्यायालय नहीं पहुंचे। बेंच सचिव ने संयुक्त रजिस्ट्रार, उप रजिस्ट्रार और सहायक रजिस्ट्रार से भी संपर्क किया, लेकिन फाइल अदालत तक नहीं पहुंच सकी। वरिष्ठ रजिस्ट्रार को भी इसकी सूचना दी गई, जिनके कार्यालय से बताया गया कि फाइल रास्ते में है। पांच मिनट तक प्रतीक्षा के बाद भी फाइल नहीं आई। मामले में लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) के उपाध्यक्ष भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित थे, लेकिन फाइल न होने के कारण सुनवाई नहीं हो सकी। न्यायालय ने वरिष्ठ रजिस्ट्रार को तलब किया और उनसे संयुक्त रजिस्ट्रार, उप रजिस्ट्रार और सहायक रजिस्ट्रार की अनुपस्थिति के बारे में पूछा। उन्हें बताया गया कि वे अभी तक कार्यालय नहीं पहुंचे हैं और रास्ते में हैं, जबकि उस समय न्यायालय की कार्यवाही शुरू हो चुकी थी। न्यायालय ने इसे अत्यंत गंभीर लापरवाही बताया। न्यायालय ने निर्देश दिया कि वरिष्ठ रजिस्ट्रार पूरे मामले की जांच कर अगली तिथि तक रिपोर्ट प्रस्तुत करें। पीठ ने कहा कि यह मामला 2016 से लंबित ध्वस्तीकरण आदेशों से संबंधित है और इसमें एलडीए अधिकारियों की मिलीभगत के गंभीर आरोप हैं। न्यायालय ने संबंधित सभी अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए अगली सुनवाई 10 नवम्बर 2025 को तय की है।


