सुप्रीम कोर्ट में मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से जुड़ी याचिका पर आज सुनवाई होगी। 2023 के कानून को चुनौती देते हुए एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने याचिका लगाई है। ADR के वकील प्रशांत भूषण ने तर्क दिया है कि 2023 के कानून में चयन पैनल से भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) को बाहर रखा गया है, जबकि 2023 की संविधान पीठ के फैसले में पैनल में CJI को शामिल करने का निर्देश दिया गया था। 19 फरवरी को पिछली सुनवाई में ADR की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने कहा था कि यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। इस पर तुरंत विचार करने की आवश्यकता है। उन्होंने सवाल किया था कि क्या प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और मुख्य न्यायाधीश को शामिल करने वाले पैनल के माध्यम से CECऔर EC की नियुक्ति के लिए 2023 के फैसले का पालन करना चाहिए या 2023 के CJI को पैनल से बाहर रखने वाले कानून का पालन करना चाहिए। 17 फरवरी को केंद्र सरकार ने ज्ञानेश कुमार को मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त कर दिया था। 12 फरवरी को भी सुनवाई नहीं हो सकी थी
इससे पहले 12 फरवरी को सुनवाई होनी थी, लेकिन उस दिन केस लिस्ट नहीं हुआ था। तब वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटीश्वर सिंह की बेंच के सामने मामला उठाया। उन्होंने कहा था- CEC राजीव कुमार 18 फरवरी को रिटायर हो रहे हैं। सरकार नए CEC की नियुक्ति कर सकती है, इसलिए कोर्ट जल्द सुनवाई करे। इस पर कोर्ट ने 19 फरवरी की तारीख देते हुए कहा था कि इस बीच कुछ होता है तो वह अदालत के फैसले के अधीन होगा, इसलिए चिंता की बात नहीं है। अब जानिए पूरा मामला क्या है… 2 मार्च 2023: सुप्रीम कोर्ट का फैसला- सिलेक्शन पैनल में CJI को शामिल करना जरूरी
सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय कॉन्स्टिट्यूशन बेंच ने अपने फैसले में कहा कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति एक पैनल करेगा। इसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) शामिल होंगे। यह कमेटी मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और चुनाव आयुक्त (EC) के नामों की सिफारिश से करेगी। इसके बाद राष्ट्रपति इनकी नियुक्ति करेंगे। इससे पहले चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति केंद्र सरकार करती थी। कोर्ट ने यह भी कहा था कि यह प्रोसेस तब तक लागू रहेगी, जब तक संसद इनकी नियुक्ति पर कोई कानून नहीं बना लेती। 21 दिसंबर 2023: चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से जुड़ा नया बिल पास
केंद्र सरकार CEC और EC की नियुक्ति, सेवा, शर्तें और कार्यकाल से जुड़ा नया बिल लेकर आई। इसके तहत चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति तीन सदस्यों का पैनल करेगा। इसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष का नेता और एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री शामिल होंगे। CJI को इस पैनल से बाहर रखा गया। 21 दिसंबर, 2023 को शीतकालीन सत्र के दौरान यह बिल दोनों सदनों में पास हो गया। नए कानून पर विपक्ष ने आपत्ति दर्ज कराई थी
इस कानून पर विपक्षी दलों का कहना था कि सरकार सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के आदेश के खिलाफ बिल लाकर उसे कमजोर कर रही है। कांग्रेस कार्यकर्ता जया ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया कि कानून की धारा 7 और 8 स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के सिद्धांत का उल्लंघन करती है क्योंकि इससे चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए इंडिपेंडेंट मैकेनिज्म नहीं मिलता है। इस विवाद के बीच केंद्र ने मार्च, 2024 में ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू को इलेक्शन कमिश्नर नियुक्त किया था। चुनाव आयोग में कितने आयुक्त हो सकते हैं
चुनाव आयुक्त कितने हो सकते हैं, इसे लेकर संविधान में कोई संख्या फिक्स नहीं की गई है। संविधान का अनुच्छेद 324 (2) कहता है कि चुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त हो सकते हैं। यह राष्ट्रपति पर निर्भर करता है कि इनकी संख्या कितनी होगी। आजादी के बाद देश में चुनाव आयोग में सिर्फ मुख्य चुनाव आयुक्त होते थे। 16 अक्टूबर 1989 को प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार ने दो और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की। इससे चुनाव आयोग एक मल्टी-मेंबर बॉडी बन गई। ये नियुक्तियां 9वें आम चुनाव से पहली की गई थीं। उस वक्त कहा गया कि यह मुख्य चुनाव आयुक्त आरवीएस पेरी शास्त्री के पर कतरने के लिए की गई थीं। 2 जनवरी 1990 को वीपी सिंह सरकार ने नियमों में संशोधन किया और चुनाव आयोग को फिर से एक सदस्यीय निकाय बना दिया। एक अक्टूबर 1993 को पीवी नरसिम्हा राव सरकार ने फिर अध्यादेश के जरिए दो और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को मंजूरी दी। तब से चुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त के साथ दो चुनाव आयुक्त होते हैं।
CEC की नियुक्ति वाले कानून पर सुनवाई आज:याचिकाकर्ता की मांग पैनल में CJI को रखा जाए, 17 फरवरी को ज्ञानेश कुमार नए CEC बने
