बिहार विधानसभा चुनाव के मतदान से ठीक 2 दिन पहले बिहार में SIR को लेकर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में महत्वपूर्ण सुनवाई होने जा रही है। सुनवाई कई मायनों में महत्वपूर्ण मानी जा रही है। माना जा रहा है कि सुनवाई SIR के वैधानिकता को तय करेगा, साथ ही देश भर में होने वाले SIR की दिशा भी तय करेगा। पिछली बार 16 अक्टूबर को सुनवाई हुई थी। तमाम दलील सुनने के बाद 4 नवंबर की तारीख सुनवाई के लिए तय हुई थी। निर्वाचन आयोग ने याचिकाकर्ताओं पर लगाए थे आरोप निर्वाचन आयोग की तरफ से वकील राकेश द्विवेदी ने याचिकाकर्ताओं पर सवाल खड़े किए है। राकेश द्विवेदी ने कहा था कि पूरा मौका देने के बावजूद लिस्ट से हटाए गए कोई व्यक्ति अपील करने नहीं आए हैं। प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव अगर गंभीर हैं तो उन्हें बिहार जा कर लोगों की मदद करनी चाहिए थी, लेकिन इसकी बजाय वह यहां कोर्ट का समय बर्बाद कर रहे हैं। उन्हें सिर्फ आंकड़े चाहिए ताकि वह उन्हें गलत तरीके से पेश कर भ्रम फैला सकें। चुनाव आयोग के वकील ने आगे कहा कि याचिकाकर्ता ने झूठे और फर्जी दस्तावेजों के साथ हलफनामा दाखिल किया है। SIR की वैधानिकता पर सवाल उठाया था पिछली बार की सुनवाई में एक याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए वकील गोपाल शंकरनारायण ने SIR की वैधानिकता पर सवाल उठाया था। उन्होंने कहा था कि सबसे पहले इस बात पर फैसला होना चाहिए कि SIR कानूनी रूप से वैधानिक है या नहीं। याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण ने भी कहा था कि आयोग हर राज्य में वोटर लिस्ट समीक्षा के लिए SIR की बात कह रहा है। सुप्रीम कोर्ट को सभी पहलुओं पर सुनवाई करनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह 4 नवंबर को वैधानिकता पहलू पर चुनाव आयोग की दलीलें सुनेगा और सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि बिहार की वोटर लिस्ट जारी होने के बाद याचिकाकर्ता उसकी समीक्षा करें और अगर कोई बात गलत लगे कोर्ट में उठाने लायक हो तो जरूर लेगा। बिहार विधानसभा चुनाव के मतदान से ठीक 2 दिन पहले बिहार में SIR को लेकर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में महत्वपूर्ण सुनवाई होने जा रही है। सुनवाई कई मायनों में महत्वपूर्ण मानी जा रही है। माना जा रहा है कि सुनवाई SIR के वैधानिकता को तय करेगा, साथ ही देश भर में होने वाले SIR की दिशा भी तय करेगा। पिछली बार 16 अक्टूबर को सुनवाई हुई थी। तमाम दलील सुनने के बाद 4 नवंबर की तारीख सुनवाई के लिए तय हुई थी। निर्वाचन आयोग ने याचिकाकर्ताओं पर लगाए थे आरोप निर्वाचन आयोग की तरफ से वकील राकेश द्विवेदी ने याचिकाकर्ताओं पर सवाल खड़े किए है। राकेश द्विवेदी ने कहा था कि पूरा मौका देने के बावजूद लिस्ट से हटाए गए कोई व्यक्ति अपील करने नहीं आए हैं। प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव अगर गंभीर हैं तो उन्हें बिहार जा कर लोगों की मदद करनी चाहिए थी, लेकिन इसकी बजाय वह यहां कोर्ट का समय बर्बाद कर रहे हैं। उन्हें सिर्फ आंकड़े चाहिए ताकि वह उन्हें गलत तरीके से पेश कर भ्रम फैला सकें। चुनाव आयोग के वकील ने आगे कहा कि याचिकाकर्ता ने झूठे और फर्जी दस्तावेजों के साथ हलफनामा दाखिल किया है। SIR की वैधानिकता पर सवाल उठाया था पिछली बार की सुनवाई में एक याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए वकील गोपाल शंकरनारायण ने SIR की वैधानिकता पर सवाल उठाया था। उन्होंने कहा था कि सबसे पहले इस बात पर फैसला होना चाहिए कि SIR कानूनी रूप से वैधानिक है या नहीं। याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण ने भी कहा था कि आयोग हर राज्य में वोटर लिस्ट समीक्षा के लिए SIR की बात कह रहा है। सुप्रीम कोर्ट को सभी पहलुओं पर सुनवाई करनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह 4 नवंबर को वैधानिकता पहलू पर चुनाव आयोग की दलीलें सुनेगा और सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि बिहार की वोटर लिस्ट जारी होने के बाद याचिकाकर्ता उसकी समीक्षा करें और अगर कोई बात गलत लगे कोर्ट में उठाने लायक हो तो जरूर लेगा।


