हिमाचल हाईकोर्ट में आज नगर निगम शिमला के मेयर का कार्यकाल ढाई से बढ़ाकर पांच वर्ष करने के विरुद्ध दायर जनहित याचिका पर सुनवाई होगी। एक एडवोकेट अंजली सोनी ने इस मामले में याचिका दायर कर रखी है। अंजली सोनी ने सरकार के निर्णय को चुनौती देते हुए राज्य सरकार के शहरी विभाग सहित राज्य निर्वाचन आयोग व महापौर सुरेंद्र चौहान को प्रतिवादी बनाया है। उनका आरोप है कि प्रदेश सरकार ने एक व्यक्ति विशेष को गैर कानूनी लाभ पहुंचाने के इरादे से महापौर के कार्यकाल को पांच वर्ष करने का अध्यादेश लाया।` प्रार्थी बोला- महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों का हनन प्रार्थी का कहना है कि अध्यादेश आपातकालीन परिस्थितियों में लाया जाता है। मौजूदा मेयर के कार्यकाल की समाप्ति पर किसी पात्र महिला को मेयर पद के लिए चयनित होने का मौका दिया जाना चाहिए था। मगर सरकार ने महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों का हनन करने के लिए अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया है। इसलिए इस अध्यादेश को रद्द किया जाना चाहिए। सीएम सुक्खू के करीबी हैं शिमला के मेयर बता दें कि शिमला नगर निगम के मेयर सुरेंद्र चौहान हैं। वह सीएम सुक्खू के करीबी है। उनका ढाई साल का कार्यकाल बीते 15 नवंबर को पूरा हो गया है। पुराने रोस्टर के हिसाब से 15 नवंबर उन्हें बदलान जाना था और एससी कोटे की किसी महिला की इस पद पर ताजपोशी तय थी। मगर सीएम सुक्खू ने अध्यादेश लाकर मेयर का कार्यकाल पांच साल किया। इस वजह से सुरेंद्र चौहान अभी भी मेयर बने हुए हैं। कांग्रेस पार्षद भी विरोध जता चुके हालांकि, अंदरखाते कांग्रेस के कई पार्षद भी सरकार के इस फैसले से नाराज है। सूत्र बताते हैं कि कुछ पार्षदों ने इसे लेकर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और प्रियंक गांधी को भी एक शिकायत पत्र लिख रखा है। इसमें सरकार के फैसले को महिला विरोध बताया गया है। लिहाजा अब सबकी नजरे हिमाचल हाईकोर्ट के फैसले पर टिकी हुई है। इस मामले में कोर्ट ने सरकार और इलेक्शन कमीशन को नोटिस भेजकर जवाब देने के आदेश दे रखे है।


