HDFC के CEO शशिधर को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं:FIR रद्द करने की याचिका खारिज; लीलावती ट्रस्ट ने धोखाधड़ी का केस किया था

HDFC के CEO शशिधर को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं:FIR रद्द करने की याचिका खारिज; लीलावती ट्रस्ट ने धोखाधड़ी का केस किया था

HDFC बैंक के CEO और MD शशिधर जगदीशन को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। कोर्ट ने लीलावती ट्रस्ट से जुड़े मामले में उनके खिलाफ दर्ज FIR रद्द करने की याचिका को सुनने से इनकार कर दिया। अब मामले की सुनवाई 14 जुलाई को निचली अदालत में होगी। जस्टिस पीएस नरसिम्हा और आर महादेवन की बेंच ने कहा कि जब बॉम्बे हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई होनी है, तो सुप्रीम कोर्ट का दखल देना सही नहीं है। इससे पहले लीलावती किर्तीलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट ने जगदीशन ​​​​के खिलाफ वित्तीय धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए 30 मई को मुंबई मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश के बाद FIR दर्ज कराई थी। ट्रस्ट के मेंबर से 2.05 करोड़ रुपए लेने का आरोप ट्रस्ट ने आरोप लगाया था कि जगदीशन ने उनके एक पूर्व मेंबर से 2.05 करोड़ रुपए लिए, जिसका मकसद ट्रस्ट के एक मौजूदा मेंबर के पिता को परेशान करना था। हालांकि, HDFC ने इन आरोपों को “बेबुनियाद और दुर्भावनापूर्ण” बताया था। तीन पॉइंट में पूरा मामला समझें… HDFC बैंक बोला- ये बैंक को बदनाम करने की साजिश HDFC बैंक ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा- ये सब लीलावती ट्रस्ट और मेहता परिवार की तरफ से बैंक को बदनाम करने की साजिश है। बैंक का दावा है कि मेहता परिवार ने 1995 में लिए गए एक लोन को चुकाने में डिफॉल्ट किया था। ब्याज समेत ये रकम 31 मई 2025 तक 65.22 करोड़ रुपए हो चुकी है। इस लोन को स्प्लेंडर जेम्स नाम की कंपनी के लिए लिया गया था, जो मेहता परिवार की ही है। बैंक के मुताबिक, 2004 में डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल (DRT) ने इस लोन की वसूली के लिए सर्टिफिकेट जारी किया था, लेकिन मेहता परिवार ने इसे चुकाने की बजाय बैंक और इसके सीनियर अधिकारियों के खिलाफ कानूनी शिकायतें कीं। मेहता परिवार की ये शिकायतें बार-बार खारिज हो चुकी हैं, यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट में भी। अब ये FIR उनके CEO को टारगेट करने और लोन की वसूली को रोकने की एक और कोशिश है। HDFC बैंक ने अपने बयान में कहा, “हमारे MD और CEO शशिधर जगदीशन को बिना वजह निशाना बनाया जा रहा है। ये आरोप पूरी तरह से झूठे और दुर्भावनापूर्ण हैं। हम कानूनी रास्तों से इसका जवाब देंगे और अपने CEO की प्रतिष्ठा की रक्षा करेंगे।” कौन हैं शशिधर जगदीशन? शशिधर जगदीशन 1996 से HDFC बैंक के साथ हैं। धीरे-धीरे तरक्की करते हुए 2020 में बैंक के CEO और MD बने। इससे पहले वो बैंक के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर (CFO) रह चुके हैं। मुंबई में जन्मे और पले-बढ़े जगदीशन ने मुंबई यूनिवर्सिटी से फिजिक्स में बैचलर डिग्री ली और यूके की शेफील्ड यूनिवर्सिटी से मनी, बैंकिंग और फाइनेंस में मास्टर्स किया। 2023 में RBI ने उनकी नियुक्ति को तीन साल के लिए और बढ़ा दिया, जो अब 26 अक्टूबर 2026 तक चलेगी। जगदीशन को बैंकिंग सेक्टर में एक काबिल और सम्मानित लीडर माना जाता है। 2022-23 में उनकी सैलरी 10.5 करोड़ रुपए थी। लीलावती ट्रस्ट और मेहता परिवार का विवाद लीलावती अस्पताल की स्थापना 1997 में किशोर मेहता ने की थी। बाद में उनके भाई विजय मेहता के परिवार को ट्रस्ट में शामिल किया गया। लेकिन 2002-03 में विवाद तब शुरू हुआ। आरोप लगे कि विजय मेहता के परिवार ने किशोर मेहता के विदेश में इलाज के दौरान बोर्ड मेंबर्स के जाली हस्ताक्षर कर ट्रस्ट पर कब्जा कर लिया। दोनों भाइयों का अब निधन हो चुका है, लेकिन उनके परिवारों के बीच विवाद आज भी जारी है। 2023 में किशोर मेहता के परिवार ने लंबी कानूनी लड़ाई के बाद ट्रस्ट का कंट्रोल हासिल किया। इसके बाद उन्होंने एक फोरेंसिक ऑडिट शुरू किया, जिसमें ₹1200-₹1500 करोड़ की हेराफेरी और यहां तक कि अस्पताल में काला जादू जैसी गतिविधियों के दावे सामने आए। ट्रस्ट का कहना है कि जगदीशन ने पुराने ट्रस्टियों के साथ मिलकर इन गलत कामों को छिपाने में मदद की। ——————————- ये खबर भी पढ़ें… लीलावती अस्पताल के ट्रस्टी का दावा- काला जादू होता था: इंसानी खोपड़ियों से भरे 8 कलश मिले; पूर्व ट्रस्टी पर ₹1500 करोड़ की हेराफेरी का भी आरोप मुंबई के लीलावती हॉस्पिटल के मौजूदा ट्रस्टी ने पूर्व ट्रस्टियों पर ₹1500 करोड़ की हेराफेरी का आरोप लगाया है। अस्पताल का मैनेजमेंट ‘लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट’ के हाथों में है। ट्रस्ट का यह भी दावा है कि अस्पताल परिसर में काला जादू किया जाता था। उन्हें हड्डियों और बाल से भरे 8 कलश मिले हैं। अस्पताल के फाइनेंशियल ऑडिट में ये बातें सामने आईं हैं। न्यूज एजेंसी PTI की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रस्ट ने बांद्रा मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश के बाद पूर्व ट्रस्टियों के खिलाफ FIR दर्ज करवाई है। पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…

No tags for this post.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *