गुरदास मान के भाई गुरपंथ का चंडीगढ़ में अंतिम संस्कार:सीएम मान समेत कई हस्तियां शामिल हुई, भाई ने अर्थी को कंधा दिया

गुरदास मान के भाई गुरपंथ का चंडीगढ़ में अंतिम संस्कार:सीएम मान समेत कई हस्तियां शामिल हुई, भाई ने अर्थी को कंधा दिया

पंजाबी सिंगर और एक्टर गुरदास मान के छोटे भाई गुरपंथ मान (68) का सोमवार को देहांत हो गया था। उनका आज 10 जून चंडीगढ़ स्थित श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार किया गया। वह अब पंचतत्व में विलीन हो गए है। इस मौके पंजाब के सीएम भगवंत मान और पंजाब कांग्रेस के प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग समेत कई हस्तियां और पारिवारिक मेंबर मौजूद रहे। गुरदास मान ने खुद भाई की अर्थी को कंधा दिया। इलेक्ट्रिक तरीके से उनका संस्कार किया गया। वह काफी दिनों से बीमार चल रहे थे। वह कैंसर से पीड़ित थे उन्होंने आखिरी सांस मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में सोमवार शाम 5 बजे ली। गुरदास मान बोले जिगर का टुकड़ा था इस दौरान जब मीडिया ने गुरदास मान से कहा कि आप उनकी सलामती के लिए अरदास करते रहे, तो मान ने कहा, “अपनों के लिए अरदास नहीं करेंगे, तो किसके लिए करेंगे?” वह जिगर का टुकड़ा था। बहुत ही अच्छा इंसान था। ऐसा इंसान मैंने नहीं देखा। उन्होंने बताया कि उसने बीमारी के बारे में भी खुलासा नहीं किया। कुछ दिनों से तबीयत चल रही थी उनके रिश्तेदारों के मुताबिक गुरपंथ का गिद्दड़बाहा में ही कारोबार था। उनकी हालत में कुछ दिन पहले सुधार हुआ था। इसके बाद उन्हें अस्पताल से छुट्‌टी मिली थी। कुछ दिन उन्होंने घर में ही गुजारे। इसके बाद आज उनकी तबीयत फिर से बिगड़ी। उन्हें फौरन अस्पताल लाया गया था, लेकिन इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। वहीं, गुरदास मान खुद भाई की सेहत को लेकर गंभीर रहते थे। बेटा और बेटी विदेश में सैटल गुरपंथ के परिवार में उनकी पत्नी, बेटा गुरनियाज और बेटी गुड्डू हैं। गुरनियाज और गुड्डू कनाडा में रह रहे हैं। जबकि गुरपंथ गिदड़बाहा में अपनी पत्नी के साथ रहते थे। गुरदास और गुरपंथ दो ही भाई थे, और उनकी एक बहन भी है। परिवार के करीबी एडवोकेट गुरमीत मान ने बताया है कि गुरपंथ के निधन की सूचना उनके बच्चों को दे दी गई है। इन दिनों गुरपंथ का बेटा तो घर ही आया हुआ है, जबकि उनकी बेटी करीब 10 पहले ही कनाडा लौटी है। उसे जानकारी दे दी गई है। 1990 तक इकट्‌ठे करते थे काम गुरमीत बताते हैं कि गुरपंथ, गुरदास मान से छोटे थे। साल 1990 तक वह गुरदास मान के साथ ही काम करते थे। वह मेंडोलिन बजाते थे, लेकिन 1990 के बाद उन्होंने गिदड़बाहा में अपनी दुकान कर ली थी। इसके अलावा वह खेतीबाड़ी भी करते थे। उनका व्यवहार काफी अच्छा था।

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