केंद्र सरकार की खाद्य सुरक्षा संस्था (FSSAI) ने कहा कि यदि किसी फूड-ड्रिंकिंग प्रोडक्ट का फार्मूला विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से मंजूर न किया गया हो तो कंपनी उस प्रोडक्ट पर ओरल रिहाइड्रेशन साल्ट (ORS) का लेबल नहीं लगा सकेगी। सभी कंपनियों को उनके प्रोडक्ट्स से ORS लेबल हटाने के निर्देश भी दिए गए हैं। केंद्र सरकार के 2022 और 2024 के आदेश में कंपनियों को अपने प्रोडक्ट में ORS शब्द जोड़ने की अनुमति दी गई थी जैसे प्रीफिक्स (शुरू में) या सफिक्स (अंत में)। इसके बाद कुछ फ्रूट ड्रिंक, नॉन-कार्बोनेटेड या रेडी-टू-ड्रिंक पेय पदार्थ ORS का लेबल लगाने लगे थे। हालांकि, तब शर्त रखी गई थी कि उस प्रोडक्ट पर साफ लिखना होगा कि उत्पाद WHO द्वारा अनुशंसित ORS फार्मूला नहीं है। अब FSSAI ने इन पुराने आदेशों को पूरी तरह रद्द कर दिया है। सरकार ने कहा कि इससे फर्जी ORS उत्पादों पर लगाम लगेगी और ग्राहकों को असली, सुरक्षित और WHO मानक वाले ORS प्रोडक्ट ही मिलेंगे। इससे स्वास्थ्य सुरक्षा को मजबूत करने में मदद मिलेगी। ORS क्या होता है? यूनिसेफ के मुताबिक, ORS एक ऐसा घोल होता है जिसमें चीनी और नमक का सही मिश्रण होता है। इसे साफ पानी में घोलकर पीने से शरीर में पानी की कमी पूरी होती है। यह दवा डायरिया, उल्टी, या हीट स्ट्रोक जैसी स्थितियों में डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) से बचाने का सबसे कारगर तरीका है। डॉक्टरों के अनुसार, ORS का प्रयोग सिर्फ चिकित्सक की सलाह पर ही करना चाहिए, क्योंकि गलत उपयोग से नमक की अधिकता (सॉल्ट टॉक्सिसिटी) हो सकती है। डॉक्टरों ने फैसले का स्वागत किया बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. शिवरांजनी संतोष ने सोशल मीडिया पर सरकार के इस कदम की सराहना की। उन्होंने कहा- अब कोई भी कंपनी WHO द्वारा सुझाए गए फार्मूले के बिना ORS नाम का इस्तेमाल नहीं कर सकेगी। यह आदेश तुरंत लागू होगा। डॉ. संतोष ने पिछले कुछ समय से गलत लेबलिंग वाले ORS ब्रांड्स के खिलाफ अभियान चलाया था। उन्होंने इस फैसले के लिए उन सभी अभिभावकों, डॉक्टरों, पत्रकारों और शिक्षकों का धन्यवाद दिया जिन्होंने इस अभियान में उनका साथ दिया।
सरकार ने फूड-ड्रिंकिंग प्रोडक्ट पर ORS लेबल के नियम बदले:कंपनियां WHO से फार्मूला मंजूर होने के बाद लेबल लगा सकेंगी; 2022-24 के आदेश रद्द किए


