पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन शृंगला ने सोमवार को कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान चीन-पाकिस्तान के बीच गहरी रणनीतिक साझेदारी का संकेत मिला।
उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान के साथ चीन की भागीदारी रक्षा आपूर्ति से आगे बढ़कर खुफिया और कूटनीतिक समर्थन तक पहुंच गई है, जिससे एक सदाबहार गठबंधन बन गया है जिसका उद्देश्य भारत के उत्थान को रोकना है।
शृंगला ने पुणे इंटरनेशनल सेंटर (पीआईसी) द्वारा आयोजित एक संवाद कार्यक्रम के दौरान भारत की विदेश नीति और रणनीतिक मामलों पर बात की।
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चीन में भारत के पूर्व राजदूत गौतम बंबावाले ने इस कार्यक्रम का संचालन किया।
उन्होंने कहा कि भारत की विदेश नीति यथार्थवाद और आदर्शवाद के बीच संतुलन को दर्शाती है, जो विकासात्मक अनिवार्यताओं, रणनीतिक स्वायत्तता और समावेशी वैश्विक दृष्टिकोण द्वारा निर्देशित है।
पीआईसी द्वारा जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार, कार्यक्रम में महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई, जिनमें चीन और पाकिस्तान के साथ भारत के संबंध, आधुनिक युद्ध की बदलती प्रकृति और रक्षा एवं कूटनीति में प्रौद्योगिकी, ड्रोन और साइबर उपकरणों की बढ़ती भूमिका शामिल थी।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान द्वारा चीनी हथियारों के इस्तेमाल से संबंधित प्रश्नों पर उन्होंने इस संघर्ष को चीन-पाकिस्तान के बीच गहरी रणनीतिक साझेदारी का संकेत बताया।
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ऑपरेशन सिंदूर
पहलगाम आतंकी हमले, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई थी, के बाद 7 मई, 2025 को शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर ने तीनों सेनाओं की एक सुनियोजित प्रतिक्रिया को प्रदर्शित किया, जिसमें सटीकता, व्यावसायिकता और उद्देश्य का समावेश था। ऑपरेशन सिंदूर की परिकल्पना नियंत्रण रेखा के पार और पाकिस्तान के भीतर तक फैले आतंकी ढाँचे को ध्वस्त करने के लिए एक दंडात्मक और लक्षित अभियान के रूप में की गई थी। बहु-एजेंसी खुफिया जानकारी ने उन नौ प्रमुख शिविरों की पुष्टि की जिन्हें अंततः अभियान में निशाना बनाया गया था। भारत की जवाबी कार्रवाई सावधानीपूर्वक योजना और खुफिया जानकारी पर आधारित थी, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि अभियान न्यूनतम क्षति के साथ चलाए गए। इस अभियान में परिचालन नैतिकता का विशेष ध्यान रखा गया और नागरिकों को होने वाले नुकसान से बचने के लिए संयम बरता गया।


