संस्कृत शिक्षा के विकास के लिए बिहार बोर्ड सक्रिय:मधुबनी में बोर्ड अध्यक्ष ने संस्कृत भाषा को बताया सांस्कृतिक विरासत, पाठ्यक्रम आधुनिकीकरण पर दिया जोर

संस्कृत शिक्षा के विकास के लिए बिहार बोर्ड सक्रिय:मधुबनी में बोर्ड अध्यक्ष ने संस्कृत भाषा को बताया सांस्कृतिक विरासत, पाठ्यक्रम आधुनिकीकरण पर दिया जोर

बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. मृत्युंजय झा का मधुबनी जिले के बेनीपट्टी में नागरिक अभिनंदन किया गया। कटैया रोड स्थित विवाह भवन के सभागार में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रख्यात शिक्षाविद् डॉ. अमरनाथ झा ने की। मिथिला की परंपरा के अनुसार पाग, दोपट्टा और फूल माला से अतिथियों का स्वागत किया गया। कार्यक्रम में क्षेत्र के शिक्षाविद, संस्कृत प्रेमी और संस्कृत शिक्षा से जुड़े गणमान्य लोग उपस्थित थे। संस्कृत भाषा को बताया सांस्कृतिक विरासत बोर्ड अध्यक्ष डॉ. झा ने कहा कि संस्कृत भाषा हमारी सांस्कृतिक विरासत है। इसे घर-घर तक पहुंचाना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड ज्ञान, विज्ञान और अध्यात्म के मूल स्रोत के रूप में संस्कृत को फिर से प्रतिष्ठित करने की दिशा में कार्य कर रहा है। पाठ्यक्रम का होगा आधुनिकीकरण डॉ. झा ने आश्वासन दिया कि जहां आवश्यक होगा, संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे। पाठ्यक्रम का आधुनिकीकरण किया जाएगा। योग्य शिक्षकों की बहाली और आधारभूत संरचना के विकास को प्राथमिकता दी जाएगी। कार्यक्रम से पहले डॉ. झा सिद्धपीठ उच्चैठ भगवती स्थान पहुंचे। वहां उन्होंने मां भगवती की पूजा-अर्चना की और क्षेत्र की सुख-शांति और संस्कृत शिक्षा की प्रगति की कामना की। कार्यक्रम में डॉ. रोहित झा, कमल झा, शत्रुघ्न ठाकुर, महादेव मिश्र, अमरेश चौधरी, मिथिलेश झा समेत कई शिक्षाविद मौजूद रहे। सभी ने संस्कृत शिक्षा के पुनरुत्थान के लिए एकजुट प्रयास का संकल्प लिया। बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. मृत्युंजय झा का मधुबनी जिले के बेनीपट्टी में नागरिक अभिनंदन किया गया। कटैया रोड स्थित विवाह भवन के सभागार में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रख्यात शिक्षाविद् डॉ. अमरनाथ झा ने की। मिथिला की परंपरा के अनुसार पाग, दोपट्टा और फूल माला से अतिथियों का स्वागत किया गया। कार्यक्रम में क्षेत्र के शिक्षाविद, संस्कृत प्रेमी और संस्कृत शिक्षा से जुड़े गणमान्य लोग उपस्थित थे। संस्कृत भाषा को बताया सांस्कृतिक विरासत बोर्ड अध्यक्ष डॉ. झा ने कहा कि संस्कृत भाषा हमारी सांस्कृतिक विरासत है। इसे घर-घर तक पहुंचाना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड ज्ञान, विज्ञान और अध्यात्म के मूल स्रोत के रूप में संस्कृत को फिर से प्रतिष्ठित करने की दिशा में कार्य कर रहा है। पाठ्यक्रम का होगा आधुनिकीकरण डॉ. झा ने आश्वासन दिया कि जहां आवश्यक होगा, संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे। पाठ्यक्रम का आधुनिकीकरण किया जाएगा। योग्य शिक्षकों की बहाली और आधारभूत संरचना के विकास को प्राथमिकता दी जाएगी। कार्यक्रम से पहले डॉ. झा सिद्धपीठ उच्चैठ भगवती स्थान पहुंचे। वहां उन्होंने मां भगवती की पूजा-अर्चना की और क्षेत्र की सुख-शांति और संस्कृत शिक्षा की प्रगति की कामना की। कार्यक्रम में डॉ. रोहित झा, कमल झा, शत्रुघ्न ठाकुर, महादेव मिश्र, अमरेश चौधरी, मिथिलेश झा समेत कई शिक्षाविद मौजूद रहे। सभी ने संस्कृत शिक्षा के पुनरुत्थान के लिए एकजुट प्रयास का संकल्प लिया।  

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