देव दीपावली पर काशी ने फिर साबित कर दिया कि यह सिर्फ शहर नहीं, बल्कि ‘जीवित आस्था’ है। जैसे ही शाम का अंधियारा छाया, गंगा के घाटों से लेकर आसमान तक रोशनी की झिलमिलाहट फैल गई। घंटों की गूंज और शंखध्वनि के बीच जब आतिशबाजी शुरू हुई तो पूरा आकाश सुनहरी, लाल और हरी रोशनी से रंग गया। दशाश्वमेध, अस्सी, केदार और राजघाट से उठती आतिशबाजी ने ऐसा दृश्य बनाया मानो तारों की बरसात हो रही हो।


