नूंह में पंचायत भूमि में करोड़ों का गोलमाल:राजस्व विभाग के अधिकारियों की संलिप्तता,SDM ने जांच के लिए बुलाया

नूंह में पंचायत भूमि में करोड़ों का गोलमाल:राजस्व विभाग के अधिकारियों की संलिप्तता,SDM ने जांच के लिए बुलाया

हरियाणा के नूंह जिले के तावडू खंड के गांव सराय गंगानी में पंचायती भूमि के अवैध हस्तांतरण के मामले में आज सुनवाई होगी। इस मामले में करोड़ों रुपये के कथित भ्रष्टाचार में राजस्व विभाग के अधिकारियों की संलिप्तता का आरोप है। इस मामले में तावडू एसडीएम जितेंद्र गर्ग ने सुनवाई के लिए पंचायत और राजस्व विभाग के अधिकारियों के साथ दोनों पक्षों को बुलाया है। मामले की जांच पूरी होने के बाद रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेजी जाएगी। खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी ने डीसी को दो अलग अलग पत्र भेजे जानकारी के मुताबिक गांव सराय गंगानी में करोड़ों रुपए की कीमत वाली पंचायती भूमि की गलत रजिस्ट्री का मामला सामने आया था। खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी ने उपायुक्त को दो अलग-अलग दो पत्र भेजकर इस घोटाले की जांच की मांग की है। एक पत्र में राजस्व विभाग के अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज करने की अपील की गई है। जबकि दूसरे में फ्रॉड रजिस्ट्री को रद्द करने का आह्वान किया गया है। बीडीपीओ ने पंजाब लैंड रेवेन्यू एक्ट के तहत रिविजनल पावर का उपयोग कर म्यूटेशन को उलटने और जमाबंदी रिकार्ड में हाई कोर्ट के फैसले को लागू करने का अनुरोध किया है। बीडीपीओ ने सेल डीड के रजिस्ट्रेशन को अमान्य घोषित करने और संबंधित रजिस्टर में स्थायी प्रतिबंध लगाने के मांग की है। 15 करोड़ प्रति एकड़ बताई जा रही है कीमत गौरतलब है कि यह भूमि आईटीसी ग्रैंड भारत होटल के सामने स्थित है और इसकी लगभग 15 करोड़ रुपए प्रति एकड़ बताई जा रही है। जबकि रजिस्ट्री में मात्र 8 करोड़ रुपए से अधिक ही बताई जा रही है। गांव सराय की गांव गंगानी में कुल 37 कनाल 5 मरला भूमि पंचायत की संपत्ति है। रिकॉर्ड में यह स्पष्ट रूप से पंचायत के नाम दर्ज है। हालांकि गांव कोटा खंडेवला के सूरजमल के परिवार वाले धर्मपाल, सुखबीर, सतबीर और ज्ञानचंद ने इस भूमि को गैर-कानूनी तरीके से अपने नाम रजिस्टर्ड करा लिया। यह मामला पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट चंडीगढ़ में विचाराधीन था। गत 21 दिसंबर 2023 को हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को पंजाब ग्राम साझा भूमि अधिनियम 1961 की धारा के तहत नियमित मामला दायर करने की अनुमति देकर याचिका वापस लेने की इजाजत दी थी। एसडीएम ने दोनों पक्षों को बुलाया अदालत ने जमाबंदी 2016-17 का हवाला देते हुए भूमि को ग्राम पंचायत की संपत्ति माना था। फिर भी तहसील प्रशासन ने कथित भूमाफियाओं और राजनीतिक दबाव में आकर गत 3 अक्टूबर को रजिस्ट्री कर दी। बीडीपीओ ने कहा कि यह पंचायती भूमि पर गलत कब्जा और रजिस्ट्री नियमों का खुला उल्लंघन है और सख्त कार्रवाई की जरूरत है। एसडीएम जितेंद्र गर्ग ने बताया कि इस मामले में आज पंचायत और राजस्व विभाग के अधिकारियों के साथ दोनों पक्षों को बुलाया गया है। जांच पूरी होने के बाद रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेजी जाएगी। जिला स्तर पर भी इसकी गहनता के साथ जांच चल रही है।

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