राजगढ़ पुलिस लाइन के परेड ग्राउंड में बुधवार को डायल 112 के चालकों को जीवनरक्षक प्रशिक्षण दिया गया। इस दौरान उन्हें सड़क दुर्घटनाओं में घायल व्यक्तियों को सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन) देकर उनकी जान बचाने का हुनर सिखाया गया। पुलिस मुख्यालय से जिले को हाल ही में 22 नए डायल 112 वाहन मिले हैं। इन वाहनों को चलाने वाले 88 पायलट अब सिर्फ चालक नहीं, बल्कि प्रशिक्षित जीवनरक्षक के रूप में कार्य करेंगे। जिला अस्पताल की मेडिकल टीम ने चालकों को सीपीआर का व्यावहारिक अभ्यास कराया। गोल्डन आवर के महत्व पर दिया जोर डॉक्टर बृजेश वर्मा और डॉ. योगेन्द्र ने प्रशिक्षण के दौरान “गोल्डन आवर” के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि किसी भी दुर्घटना के बाद पहले एक घंटे में दी गई सही और त्वरित सहायता किसी व्यक्ति की जान बचा सकती है। इस प्रशिक्षण में चालकों को वाहन संचालन के मानक, इंजन की तकनीकी जानकारी और अचानक खराबी आने पर त्वरित समाधान के तरीके भी सिखाए गए। पुलिस अधिकारियों ने चालकों को यह भी समझाया कि हर कॉल पर मौके पर पहुँचना सिर्फ एक ड्यूटी नहीं, बल्कि किसी परिवार की उम्मीद तक पहुँचना है। कलेक्टर और एसपी के मार्गदर्शन में हुई पहल यह कार्यक्रम कलेक्टर डॉ. गिरीश कुमार मिश्रा और पुलिस अधीक्षक अमित तोलानी के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया। रक्षित निरीक्षक उर्मिला चौहान और निरीक्षक संजय ठाकुर ने इसमें विशेष सहयोग दिया। इस पहल का उद्देश्य आपातकालीन सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ाना है, जिससे डायल 112 की सायरन अब सिर्फ मदद नहीं, बल्कि उम्मीद की आवाज़ बनेगी।


