Devshayani Ekadashi: सनातन परंपरा में देवशयनी एकादशी का विशेष महत्व

Devshayani Ekadashi: सनातन परंपरा में देवशयनी एकादशी का विशेष महत्व

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने प्रदेशवासियों को देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi) की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं प्रेषित की हैं। उन्होंने कामना की कि भगवान श्रीहरि विष्णु की अनुकंपा समस्त जनमानस पर बनी रहे और सबके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का संचार हो। मुख्यमंत्री साय ने कहा कि सनातन परंपरा (Sanatan Tradition) में देवशयनी एकादशी का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आज के दिन भगवान विष्णु चार मास के शयन में प्रवेश करते हैं, जिसे चातुर्मास (Chaturmas) कहा जाता है। इस अवधि में विवाह जैसे सभी मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं और उपासना, साधना तथा पुण्य कर्मों को विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।

देवशयनी एकादशी पर्व आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इसे हरि शयनी एकादशी (Hari Shayani Ekadashi), देवशयनी एकादशी अथवा आषाढ़ी एकादशी (Ashadhi Ekadashi) के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन श्रद्धालु व्रत, उपवास एवं भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना कर लोककल्याण की कामना करते हैं। पुराणों के अनुसार देवशयनी एकादशी से ही भगवान विष्णु क्षीरसागर में शेषनाग की शैया पर योगनिद्रा में चले जाते हैं और चार मास पश्चात प्रबोधिनी एकादशी (Prabodhini Ekadashi) के दिन जाग्रत होते हैं। इसी कारण इस अवधि में धार्मिक साधना एवं आत्मचिंतन का विशेष महत्व बताया गया है। सीएम साय ने सभी नागरिकों से आग्रह किया कि वे इस अवसर पर सद्भाव, संयम और सदाचार का पालन करते हुए जनकल्याण और आत्मकल्याण के पथ पर आगे बढ़ें।

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